आखिर क्यों हार रही है कांग्रेस? कौन है जिम्मेदार ?

आखिर क्यों हार रही है कांग्रेस? कौन है जिम्मेदार ..

मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ रहा है। एग्जिट पोल के अनुमानित आकड़ों से भी कम सीटें कांग्रेस की झोली में आई हैं। ऐसे में एक बड़ा सवाल ये उठता है कि लगातार कांग्रेस को मिल रही हार का कारण क्या है? इस आर्टिकल के माध्यम से समझने की कोशिश करते हैं कि कांग्रेस की लगातार खराब होती स्थिति के पीछे की वजह क्या है…

कांग्रेस नेताओं का ईगो
कांग्रेस इंडी अलायंस (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस) का हिस्सा है फिर भी इसके नेताओं का ईगो इनके साथ मिल कर काम करने के आड़े आ जाता है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू नेता नीतीश कुमार ने कई बार साथ मिल कर चुनाव लड़ने की बात कही। लेकिन कांग्रेस के नेता अपने ईगो में इस प्रस्ताव को ठुकराते रहे।

कांग्रेस नेताओं का बड़बोलापन
एक कार्यक्रम के दौरान जब मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ से अखिलेश यादव को लेकर सवाल किया गया तब उन्होंने कहा, “अरे छोड़ो अखिलेश-वखिलेश को” कमलनाथ के इस बयान के बाद सपा प्रमुख ने कहा था कि उन्हें नहीं पता था की अलायन्स सिर्फ लोकसभा चुनाव के लिए है विधानसभा के लिए नहीं। वरना वो एमपी में गठबंधन की बात नहीं करते। जब गठबंधन लोकसभा चुनाव के लिए है तो उसी अनुसार विचार किया जाएगा।

ये तो सिर्फ एक नेता और एक राज्य का उदाहरण हुआ। कांग्रेस के अन्य नेता भी समय-समय पर अलायन्स में शामिल पार्टियों के नेताओं पर बयानबाजी करते रहते हैं।

अंदरूनी कलह
कांग्रेस की कमजोर पड़ती स्थिति का एक कारण पार्टी के अंदर का कलह है। पार्टी के शीर्ष नेता आपस में ही उलझते नजर आते हैं। बात करें राजस्थान कि तो कांग्रेस महासचिव अशोक गहलोत और प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट के नेतृत्व वाले दो खेमों के बीच अंदरूनी कलह की भारी कीमत पार्टी को राज्य में हार के साथ चुकानी पड़ी। ये दोनों ही नेता मुख्यमंत्री पद के लिए दावेदारी कर रहे थे।

कांग्रेस का कमजोर संगठन

कांग्रेस की हार का एक बड़ा कारण संगठन का जमीनी स्तर पर कजोर होना है। एक समय था जब कांग्रेस सेवा दल, महिला कांग्रेस, सर्वोदय, यूथ कांग्रेस जैसे संगठन पार्टी के लिए खूब काम करते थे। इन संगठनों का सीधा संपर्क आम जनता से हुआ करता था। लेकिन बीते कुछ सालों से ये सभी संगठन सुस्त नजर आते हैं। राज्य में सत्ता में होने के बाद भी लोगों से ना जुड़ पाना कांग्रेस के कमजोर संगठन को दर्शाता है।

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