ग्वालियर-चंबल में भाजपा व कांग्रेस के कई दिग्गज विधानसभा चुनाव हार गए !

विधानसभा हारे ग्वालियर-चंबल के दिग्गज अब लोकसभा चुनाव में ठोक सकते हैं ताल
MP Election 2023: ग्वालियर-चंबल में भाजपा व कांग्रेस के कई दिग्गज विधानसभा चुनाव हार गए। इन दिग्गजों में प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा व पूर्व गृहमंत्री व नेता प्रतिपक्ष डा. गोविंद सिंह, पूर्व मंत्री केपी सिंह व ईमरती देवी शामिल हैं।
  1. ग्वालियर-चंबल में भाजपा व कांग्रेस के कई दिग्गज विधानसभा चुनाव हार गए
  2. गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा, पूर्व गृहमंत्री डा. गोविंद सिंह, पूर्व मंत्री केपी सिंह व ईमरती देवी शामिल

ग्वालियर। ग्वालियर-चंबल में भाजपा व कांग्रेस के कई दिग्गज विधानसभा चुनाव हार गए। इन दिग्गजों में प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा व पूर्व गृहमंत्री व नेता प्रतिपक्ष डा. गोविंद सिंह, पूर्व मंत्री केपी सिंह व ईमरती देवी शामिल हैं। अब यह दिग्गज हार के बाद पांच साल के राजनीतिक वनवास से निकलने का रास्ता तलाश रहे हैं। इन दिग्गजों की नजरें छह माह बाद होने वाले लोकसभा चुनाव पर ठिक गई हैं। यह लोग अब लोकसभा चुनाव में ताल ठोकने का मानस बना रहे हैं। इन चार में से तीन नेता नरोत्तम मिश्रा, डा. गोविंद सिंह व ईमरती देवी भी लोकसभा चुनाव लड़ चुकी हैं। यह अलग बात है कि यह तीनों नेता लोकसभा चुनाव जीत नहीं पाए हैं। ग्वालियर-चंबल अंचल के राजनीतिक समीकरण ऐसे बनते नजर आ रहे हैं कि दोनों दलों में एक-दो लोगों को लोकसभा चुनाव में मौका मिल सकता है। राजनीति में पांच साल का वनवास काटे नहीं कटता है डा. गोविंद सिंह अपने राजनीतिक जीवन का पहला चुनाव हारे हैं। नरोत्तम मिश्रा जरूर एक बार लोकसभा चुनाव में पराजय का स्वाद चख चुके हैं, लेकिन विधानसभा चुनाव में पहली बार हारे हैं। इसी तरह पूर्व मंत्री केपी सिंह को भी लगातार चुनाव जीतने के बाद पहली बार पराजय का मुंह देखना पड़ा है। ईमरती देवी पिछली बार उपचुनाव के साथ-साथ एक बार लोकसभा भी हार चुकी हैं। 24 घंटे राजनीतिक ग्लैमर में रहने वाले इन नेताओं के वनवास के दिन अभी से काटे नहीं कट रहे हैं। इन लोगों ने दिल्ली-भोपाल की दौड़ लगाना शुरू कर दी है।

नरोत्तम मिश्रा को तगड़ा राजनीतिक झटका

विधानसभा चुनाव में नरोत्तम मिश्रा को राजनीतिक रूप से तगड़ा झटका लगा है। शिवराज सरकार अब भी नरोत्तम मिश्रा की गिनती प्रभावशाली मंत्रियों में थी। इस बार सीएम न सही डिप्टी सीएम तो बन ही सकते थे। दतिया विधानसभा क्षेत्र से पराजित होने के बाद नरोत्तम मिश्रा को पांच साल तक राजनीतिक व्यस्त रहने के मार्ग खोजने पड़ रहे हैं। नरोत्तम मिश्रा एक बार ज्योतिरादित्य सिंधिया को उनके ही गढ़ में चुनौती देते हुए शिवपुरी- गुना संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ चुके है। मिश्रा की नजर ग्वालियर संसदीय क्षेत्र पर लगी है। क्योंकि यह उनका गृह क्षेत्र है और ग्वालियर संसदीय क्षेत्र की डबरा विधानसभा से अजेय रहे हैं।

डा. गोविंद सिंहः मुरैना-श्योपुर के साथ ग्वालियर पर नजर

पूर्व मंत्री डा. गोविंद सिंह मुरैना-श्योपुर ससंदीय क्षेत्र से केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का सामना कर चुके हैं। चूकि भिंड-दतिया संसदीय क्षेत्र अजा के लिए आरक्षित है, इसलिए डा. गोविंद सिंह को अगर चुनाव लड़ना हैं तो अपने गृह क्षेत्र से एक बार फिर बाहर निकलना पड़ सकता है। उनकी नजर मुरैना-श्योपुर के साथ ग्वालियर संसदीय क्षेत्र पर भी है। माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव यहां से लड़ सकते हैं।

इमरती देवी: इस समय पूरी तरह से सिंधिया पर आश्रित

डबरा विधानसभा से दूसरी बार चुनाव हारने वालीं पूर्व मंत्री इमरती देवी इस समय पूरी तरह से सिंधिया पर आश्रित हैं, इससे पहले महल के ही निर्देश पर भिंड-दतिया संसदीय क्षेत्र से पूर्व आइएएस अधिकारी भागीरथ प्रसाद का मुकाबला कर चुकी हैं। अब राजनीतिक पुनर्वास के लिए महल के भरोसे हैं।

केपी सिंहः शिवपुरी-गुना संसदीय क्षेत्र पर नजर

पूर्व मंत्री केपी सिंह ने वरिष्ठ नेता के कहने पर अपने सुरक्षित किले से बाहर निकलकर बड़ी चूक की है। केपी सिंह बड़े अंतराल से शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव हार गए। अब कक्काजू अपने राजनीतिक पुनर्वास के लिए शिवपुरी-गुना संसदीय क्षेत्र पर नजर गढ़ाए हुए हैं। संगठन पर उन्हें एग्जस्ट करने का नैतिक दवाब रहेगा।

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