INDIA में कौन-कहां से लड़ेगा ?
INDIA में कौन-कहां से लड़ेगा: यूपी समेत 5 बड़े राज्यों में कांग्रेस को 50 सीटें मिलनी मुश्किल; PDP और CPM होगी आउट?
सीट बंटवारे में सबकी नजर यूपी, महाराष्ट्र और बंगाल समेत 5 बड़े राज्यों पर है, जहां कांग्रेस का जनाधार काफी कमजोर है. केरल और पंजाब जैसे राज्यों में भी कांग्रेस के लिए राह आसान नहीं है.
सीट बंटवारे में सबकी नजर यूपी, महाराष्ट्र और बंगाल समेत 5 बड़े राज्यों पर है, जहां कांग्रेस का जनाधार काफी कमजोर है. केरल और पंजाब जैसे राज्यों में भी कांग्रेस के लिए राह आसान नहीं है. कांग्रेस यहां विधानसभा में कमजोर है, जबकि लोकसभा में उसे बढ़त हासिल है.
इंडिया गठबंधन के सूत्रों के मुताबिक सीट बंटवारे के लिए शुरू में ही 3 फॉर्मूला नीतीश कुमार ने दिया था, लेकिन कई नेता इस पर सहमत नहीं थे. ऐसे में बड़े नेताओं को नए सिरे से भी सीट बंटवारे का फॉर्मूला ईजाद करना होगा.
कई राज्यों में फ्रेंडली फाइट जैसे हालात भी बन गए हैं. ऐसे में इस स्टोरी में आइए विस्तार से समझते हैं कि इंडिया गठबंधन में सीटों का बंटवारा कैसे हो सकता है और किस पार्टी को कितनी सीटें मिलेगी?
बात पहले सीट बंटवारे के 3 फॉर्मूले की
इंडिया गठबंधन बनाने का मुख्य मकसद लोकसभा चुनाव में 450 सीटों पर मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए को सीधी टक्कर देनी है. एनडीए खासकर उत्तर और मध्य भारत में काफी मजबूत स्थिति में है. ऐसे में सारे समीकरण इन्हीं राज्यों के लिए तैयार किया गया है.
अब राज्यवार सीट शेयरिंग का हिसाब-किताब ….
5 बड़े राज्यों में कांग्रेस को 50 सीट मिलना मुश्किल
लोकसभा सीटों के लिहाज से उत्तर प्रदेश (80), महाराष्ट्र (48), पश्चिम बंगाल (42), बिहार (40) और तमिलनाडु (39) सबसे बड़ा राज्य है. इन राज्यों में जो समीकरण बन रहे हैं, उसमें कांग्रेस को 50 सीटें मिलना मुश्किल लग रहा है.
बात पहले उत्तर प्रदेश से करते हैं. यहां पर कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और आरएलडी के साथ गठबंधन में है. सपा ने आजाद समाज पार्टी और अपना दल (कमेरावादी) को भी साथ जोड़ा है. यानी गठबंधन में मुख्य 3 दल के अलावा 2 छोटे दल भी शामिल हैं.
80 सीटों वाली उत्तर प्रदेश में कांग्रेस लंबे समय बाद गठबंधन कर चुनाव लड़ेगी. कांग्रेस 2009 में अकेले दम पर 21 सीटें यहां जीती थी. हालांकि, उस वक्त का सियासी समीकरण काफी अलग था.
कांग्रेस अब भी 20 से ज्यादा सीटों पर दावा ठोक रही है, लेकिन पुराने आंकड़े और समीकरण उसके पक्ष में नहीं है. 2019 के चुनाव में कांग्रेस ने रायबरेली सीट पर जीत हासिल की थी, जबकि अमेठी, कानपुर और फतेहपुर सीकरी में दूसरे नंबर पर रही थी.
यानी कुल 4 सीटों पर कांग्रेस का बीजेपी से सीधा मुकाबला हुआ था.
2014 में कांग्रेस को अमेठी और रायबरेली में जीत मिली थी, जबकि पार्टी 6 सीटों पर दूसरे स्थान पर रही थी. इनमें गाजियाबाद, कुशीनगर, बाराबंकी, कानपुर, लखनऊ और सहारनपुर जैसी सीटें थी.
कांग्रेस को यूपी में इस बार भी 7-12 सीटें मिलने की बात कही जा रही है. हालांकि, कांग्रेस का दावा कम से कम 20 सीटों का है.
महाराष्ट्र में कांग्रेस को उद्धव ठाकरे की शिवसेना और शरद पवार की एनसीपी के साथ सीटों का समझौता करना है. 48 सीटों वाली महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की पार्टी 18 से कम सीटों पर लड़ने को तैयार नहीं है.
2019 में उद्धव ठाकरे की पार्टी को 18 सीटों पर जीत मिली थी. हालांकि, पिछले 5 साल में महाराष्ट्र की सियासत में पानी काफी ज्यादा बह चुका है. 18 में से 12 सांसद उद्धव को छोड़ शिंदे के साथ चले गए हैं.
वहीं शिंदे, जिनके नेतृत्व में शिवसेना का एक बड़ा तबका पहले टूटा और फिर पार्टी पर दावा कर दिया. शिवसेना की लड़ाई अभी भी कोर्ट में चल रही है.
उद्धव गुट अगर 18 सीट लेने में कामयाब रहते हैं, तो कांग्रेस को महाराष्ट्र में 15 सीट से ज्यादा मिलना मुश्किल है. क्योंकि, एनसीपी की भी दावेदारी 16 से ज्यादा सीटों पर है.
पश्चिम बंगाल में इंडिया गठबंधन के 3 दलों का जनाधार है. तृणमूल बड़ी पार्टी है, जबकि कांग्रेस-सीपीएम दूसरे और तीसरे नंबर की. ममता बनर्जी सीपीएम को गठबंधन में लेने को तैयार नहीं है.
कई मौकों पर तृणमूल के बड़े नेताओं ने इसके संकेत भी दिए हैं. सीपीएम के बंगाल यूनिट के प्रमुख सुजान चक्रवर्ती ने भी ममता के साथ नहीं जाने की बात कही है. सीपीएम की प्रदेश इकाई ने हाल के दिनों में एक प्रस्ताव भी पास किया था.
ऐसे में बंगाल में सीट शेयरिंग का विवाद सुलझाना सबसे मुश्किल माना जा रहा है.
बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी को 2014 में 34 सीटों पर जीत मिली थी. 2019 में तृणमूल की सीटें घट गई, लेकिन पार्टी अधिकांश सीटों पर बीजेपी से सीधा मुकाबले में रही. ऐसे में तृणमूल की अब भी इन्हीं सीटों पर दावेदारी है.
बंगाल में लोकसभा की कुल 42 सीट है, लेकिन पिछले 2 चुनाव में यहां कांग्रेस और सीपीएम का प्रदर्शन काफी बुरा रहा है. कांग्रेस 4 सीटों पर ही आमने-सामने की लड़ाई में रही है. ऐसे में कांग्रेस ज्यादा सीटों पर दावेदारी करने की स्थिति में नहीं है.
इंडिया गठबंधन की शुरुआत बिहार से हुई थी. यहां 4 दलों में सीट बंटवारे का काम होना है. जदयू और राजद बड़े भाई की भूमिका में है. कांग्रेस और माले को भी लोकसभा चुनाव लड़ना है.
पिछले चुनाव में जदयू एनडीए गठबंधन के साथ मैदान में उतरी थी. 2019 में जदयू के 17 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे थे, जिसमें 16 ने जीत हासिल की थी. ऐसे में यह लगभग तय है कि जदयू 16 से कम सीटों पर उम्मीदवार नहीं उतारेगी.
राजद की भी इतनी ही सीटों पर दावेदारी है. 2 सीट पर सहयोगी माले भी दावा ठोक रही है. ऐसे में माना जा रहा है कि कांग्रेस को 4-6 सीटें बिहार में मिल सकती है. कांग्रेस की यहां दावेदारी 8 सीटों की है.
तमिलनाडु में पुराना समीकरण ही रह सकता है. 2019 में तमिलनाडु में कांग्रेस 9 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. उसे इस बार भी उतनी ही सीटें मिलने की उम्मीद है.
इन 5 राज्यों में पेंच ही पेंच
इंडिया गठबंधन के लिए सबसे ज्यादा मुश्किल केरल, पंजाब, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर और गुजरात की सीट शेयरिंग सुलझाना है. इन राज्यों में लोकसभा की करीब 70 सीटें हैं.
केरल में कांग्रेस और सीपीएम के बीच सीटों का बंटवारा होना है. 20 सीटों वाली केरल में कांग्रेस के पास 15 सीटें हैं. उसके पूर्व सहयोगियों ने भी 3 सीटों पर जीत हासिल की थी. सीपीएम गठबंधन को 2 सीटों पर ही जीत मिली थी.
राज्य की सत्ता में सीपीएम है और उसकी दावेदारी 50-50 की है. अगर कांग्रेस सीपीएम का यह फॉर्मूला मानती है, तो उसे कम से कम 8 सीटों की कुर्बानी देनी पड़ सकती है. एक चर्चा केरल की कुछ सीटों पर फ्रेंडली फाइट (दोस्ताना लड़ाई) की भी है.
पंजाब और दिल्ली में कांग्रेस को आप से समझौता करना है. दोनों ही जगहों पर आप की सरकार है. पंजाब में लोकसभा की 13 और दिल्ली में 7 सीटें हैं. चंडीगढ़ को मिलाकर तीनों ही जगहों पर सीटों की कुल संख्या 22 हो जाती है.
इन 22 सीटों का वितरण किस हिसाब से होगा, यह फॉर्मूला अभी तक तय नहीं हुआ है. कई रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया गया है कि आप हरियाणा और गुजरात की सीट भी कांग्रेस से मांग रही है, जिसको लेकर पेंच फंसा हुआ है.
आम आदमी पार्टी गुजरात में कम से कम 5 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है.
बात जम्मू-कश्मीर की करें, तो यहां लद्दाख को जोड़कर लोकसभा की कुल 6 सीटें हैं. इंडिया गठबंधन के 3 सहयोगी कांग्रेस, पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस यहां चुनाव लड़ती रही है. सीटों का बंटवारा भी इन्हीं तीनों के बीच होनी है.
घाटी की 6 में से 3 सीटों पर नेशनल कॉन्फ्रेंस और 3 सीटों पर बीजेपी का कब्जा है. नेशनल कॉन्फ्रेंस का कहना है उसके हिस्से वाली 3 सीटों पर समझौते की बात न की जाए. यह भी 3 सीटें अनंतनाग, श्रीनगर और बारामूल्ला है.
पीडीपी अनंतनाग सीट की डिमांड कर रही है. यहां से पिछले चुनाव में पार्टी प्रमुख महबूबा मुफ्ती मैदान में थी.
इन राज्यों में कांग्रेस और बीजेपी का सीधा मुकाबला
कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, राजस्थान, ओडिशा, उत्तराखंड, हिमाचल और असम में कांग्रेस का सीधा मुकाबला बीजेपी से है. इन राज्यों में कांग्रेस ने किसी भी पार्टी से गठबंधन का ऐलान नहीं किया है.
असम में बदरुद्दीन अजमल की पार्टी गठबंधन में शामिल होने को इच्छुक है, लेकिन कांग्रेस ने वीटो लगा दिया है. इसी तरह हरियाणा की इनेलो भी इंडिया में शामिल होना चाहती है, लेकिन कांग्रेस की वजह से शामिल नहीं हो पा रही है.
इन राज्यों में लोकसभा की 200 से ज्यादा सीटें हैं. 2019 में कांग्रेस को इन राज्यों में बमुश्किल 15 सीटों पर जीत मिली थी.