देश के हर नागरिक पर 1.40 लाख कर्ज !
देश के हर नागरिक पर 1.40 लाख कर्ज …
भारत पर ₹205 लाख करोड़ कर्ज, IMF ने चेताया; कहां खर्च हो रहा पैसा?
देश पर कुल कर्ज 205 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा हो गया है। मार्च 2023 में देश पर कुल कर्ज 200 लाख करोड़ रुपए था। यानी बीते 6 महीने में 5 लाख करोड़ रुपए कर्ज बढ़ा है।
अब अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी IMF ने कहा है कि सरकार इसी रफ्तार से उधार लेती रही तो देश पर GDP का 100% कर्ज हो सकता है। ऐसा हुआ तो कर्ज चुकाना मुश्किल हो जाएगा।
वहीं, IMF की चेतावनी पर असहमति जताते हुए भारत सरकार ने कहा है कि ज्यादातर कर्ज भारतीय रुपए में है, इसलिए कोई समस्या नहीं है।
आखिर IMF ने भारत को क्यों चेताया है? सरकार क्यों कर्ज ले रही है और कहां खर्च कर रही है? देश के हर नागरिक पर कितना कर्ज है?
10 सवालों के जवाब जानते हैंं….
सवाल-1: भारत सरकार पर कुल कर्ज कितना है और बीते 9 साल में कितना बढ़ा है?
जवाब: बिजनेस स्टैंडर्ड ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि सितंबर 2023 में देश पर कुल कर्ज 205 लाख करोड़ रुपए हो गया है। इसमें से भारत सरकार पर 161 लाख करोड़ रुपए, जबकि राज्य सरकारों पर 44 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा कर्ज है।
2014 में केंद्र सरकार पर कुल कर्ज 55 लाख करोड़ रुपए था, जो सितंबर 2023 तक बढ़कर 161 लाख करोड़ हो गया है। इस हिसाब से देखें तो पिछले 9 साल में भारत सरकार पर 192% कर्ज बढ़ा है। इसमें देश और विदेश दोनों तरह के कर्ज शामिल हैं।
इसी तरह अब अगर विदेशी कर्ज की बात करें तो 2014-15 में भारत पर विदेशी कर्ज 31 लाख करोड़ रुपए था। 2023 में भारत पर विदेशी कर्ज बढ़कर 50 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा हो गया है।
सवाल-2: मार्च 2023 से सितंबर 2023 तक भारत सरकार पर कितना कर्ज बढ़ा है?
जवाब: 20 मार्च 2023 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सांसद नागेश्वर राव के एक सवाल का लिखित जवाब दिया था। सांसद नागेश्वर राव ने सरकारी कर्ज के बारे में सवाल पूछा था। इसके जवाब में वित्त मंत्री सीतारमण ने भी कहा था कि 31 मार्च 2023 तक भारत सरकार पर 155 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज है।
सितंबर 2023 को भारत पर कर्ज 161 लाख करोड़ रुपए हो गया है। इसका मतलब ये है कि 6 महीने में भारत सरकार पर करीब 5 लाख करोड़ रुपए यानी 4% का कर्ज बढ़ा है।
सवाल-3: 2004 में भारत सरकार पर कितना कर्ज था और साल-दर-साल ये कैसे बढ़ा है?
जवाब: 2004 में जब मनमोहन सिंह की सरकार बनी तो भारत सरकार पर कुल कर्ज 17 लाख करोड़ रुपए था। 2014 तक तीन गुना से ज्यादा बढ़कर ये 55 लाख करोड़ रुपए हो गया। इस समय भारत सरकार पर कुल कर्ज 161 लाख करोड़ रुपए है।
सवाल-4: भारत में हर आदमी पर 9 साल में कितना रुपए कर्ज बढ़ा है?
जवाब: सितंबर 2023 में देश पर कुल कर्ज 205 लाख करोड़ रुपए हो गया है। इनमें केंद्र और राज्य सरकारों के कर्ज शामिल हैं। भारत की कुल आबादी 142 करोड़ मान लें तो आज के समय में हर भारतीय पर 1.40 लाख रुपए से ज्यादा कर्ज है।
सवाल-5: 9 साल में विदेश से कर्ज लेने के मामले में केंद्र की UPA सरकार या NDA सरकार आगे है?
जवाब: 2014 के बाद से अब तक केंद्र सरकार ने विदेश से कुल 19 लाख करोड़ रुपए का कर्ज लिया है, जबकि 2005 से 2013 तक 9 साल में UPA सरकार ने करीब 21 लाख करोड़ रुपए विदेशी कर्ज लिया।
2005 में देश पर विदेशी कर्ज 10 लाख करोड़ था, जो 2013 में बढ़कर 31 लाख करोड़ हुआ। यानी, UPA के समय केंद्र सरकार पर 9 साल में 21 लाख करोड़ रुपए विदेशी कर्ज बढ़ा।
सवाल-6: किसी देश की सरकार पर किन वजहों से कर्ज बढ़ता है?
जवाब: अर्थशास्त्री अरुण कुमार ने एक इंटरव्यू में बताया है कि सरकार का कर्ज दो बातों पर निर्भर करता है…
1. सरकार की आमदनी कितनी है।
2. सरकार का खर्च कितना है।
अगर खर्चा आमदनी से ज्यादा हो तो सरकार को कर्ज लेना ही होता है। सरकार जैसे ही कर्ज लेती है इससे राजस्व घाटा बढ़ता है। इसका मतलब ये हुआ कि सरकार का खर्च राजस्व से होने वाली कमाई से ज्यादा है। आमतौर पर राजस्व घाटा तब ज्यादा होता है जब सरकार कर्ज के पैसे को वहां खर्च करती है, जिससे रिटर्न नहीं आता है।
सवाल-7: भारत सरकार इतना पैसा कर्ज लेकर कहां खर्च करती है?
जवाब: 2020 में आई कोरोना महामारी के बाद से भारत सरकार कई तरह की सब्सिडी दे रही है। जैसे…
1. 80 करोड़ लोगों को हर महीने मुफ्त अनाज
2. करीब 10 करोड़ महिलाओं को उज्जवला योजना के तहत मुफ्त गैस सिलेंडर
3. करीब 9 करोड़ किसानों को सालाना 6 हजार रुपए
4. PM आवास योजना के तहत दो करोड़ लोगों को घर बनाने में आर्थिक सहायता
अर्थशास्त्री परंजॉय गुहा ठाकुरता एक इंटरव्यू में कहते हैं कि 2014 में सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार ने कई फ्रीबीज योजनाओं की शुरुआत की है। लोगों को मुफ्त की चीजें देने के लिए सरकार पैसा कर्ज पर लेती है। सब्सिडी, डिफेंस और इसी तरह के दूसरे सरकारी खर्चों की वजह से देश का वित्तीय घाटा बढ़ता है।
फ्रीबीज योजनाओं के मामले में बीजेपी की तरह ही राज्यों में कांग्रेस की सरकारों ने भी कई योजनाएं लागू की। जैसे- राजस्थान में इंदिरा गांधी फ्री मोबाइल योजना, फ्री स्कूटी योजना, फ्री राशन योजना आदि।
सवाल-8: देश पर कर्ज और महंगाई के बीच का रिलेशन क्या है?
जवाब: एक सवाल जो हर किसी के मन में उठता है वह यह है कि क्या देश पर कर्ज बढ़ने से महंगाई बढ़ती है। इस मामले में केयर रेटिंग एजेंसी के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस के मुताबिक, ‘देश पर कर्ज बढ़ने का महंगाई से कोई सीधा संबंध नहीं है। सरकार कर्ज के पैसे को आय बढ़ाने के लिए इस्तेमाल करती है। कर्ज का पैसा जब बाजार में आता है तो इससे सरकार का रेवेन्यू बढ़ता है।’
साथ ही उन्होंने कहा कि कर्ज के पैसे का गलत इस्तेमाल हो तो महंगाई बढ़ भी सकती है। जैसे- कर्ज लेकर पैसा आम लोगों में बांट दिया जाए तो लोग ज्यादा चीजें खरीदने लगेंगे। इससे बाजार में चीजों की मांग बढ़ेगी। मांग बढ़ने के बाद आपूर्ति सही नहीं रही तो चीजों की कीमत बढ़ेगी।
वहीं, एक अन्य अर्थशास्त्री सुव्रोकमल दत्ता का मानना है कि कर्ज लेना हमेशा किसी देश के लिए खराब ही नहीं होता है। भारत की इकोनॉमी 3 ट्रिलियन से ज्यादा की हो गई है। इस हिसाब से देखें तो 155 लाख करोड़ रुपए कर्ज ज्यादा नहीं है। ये पैसा सरकार वंदे भारत जैसी ट्रेन चलाने, रोड और एयरपोर्ट बनाने पर खर्च करती है, जो देश के विकास के लिए जरूरी है।
सवाल-9: दुनिया में सबसे ज्यादा कर्ज लेने वाले देश कौन हैं?
जवाब: दुनिया में सबसे ज्यादा कर्ज लेने वाले देशों में जापान जैसे देश शामिल हैं। दुनिया का सबसे ताकतवर देश अमेरिका भी कर्ज लेने के मामले में भारत से आगे है।
सवाल-10: अमेरिका और विकसित देशों पर इतना ज्यादा कर्ज है, इसके बावजूद IMF उन देशों के बजाय भारत को ही क्यों चेतावनी दे रहा है?
जवाब: अर्थशास्त्री अरूण कुमार का कहना है कि IMF अमेरिका या दूसरे विकसित देशों के बजाय भारत को ज्यादा कर्ज लेने पर तीन वजहों से चेतावनी दे रहा है…
1. अमेरिका जैसे देश ये कर्ज अपने ही रिजर्व बैंक से लेते हैं। जबकि भारत वैश्विक संस्थाओंं या बड़े-बड़े प्राइवेट कंपनियों से कर्ज लेता है। इस स्थिति में भारत के लिए कर्ज चुकाना ज्यादा मुश्किल होगा।
2. अमेरिका और चीन जैसे देशों के पास खुद का कमाया हुआ पैसा है। उनके पास रिजर्व मनी भारत से कई गुना ज्यादा है। डॉलर दुनिया के कई देशों में करेंसी की तरह खरीदने-बेचने में इस्तेमाल होती है। इस स्थिति में अमेरिका और चीन जैसे देशों के लिए कर्ज तोड़ना ज्यादा मुश्किल नहीं होगा। इसकी वजह ये है कि उनकी डॉलर जितनी मजबूत होगी, उन्हें उतना ही कम इंट्रेस्ट देना होगा। जबकि भारत की स्थिति में ऐसा नहीं है।
3. भारत की इकोनॉमी में ज्यादातर पैसा पोर्टफोलियो इंवेस्टमेंट और FDI से आता है। जबकि विकसित देशों के साथ ऐसा नहीं है। वहां की इकोनॉमी भारत से काफी ज्यादा मजबूत है। इसका उदाहरण ये है कि 2008 में फाइनेंशियल क्राइसिस जिस अमेरिका से शुरू हुआ, उससे सबसे ज्यादा फायदा अमेरिका को ही हुआ था।