सरकार का बड़ा कदम, अब पेट्रोल-डीजल नहीं, बल्कि फ्लेक्सी फ्यूल से चलेंगी गाड़ियां

रोड ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर नितिन गडकरी के अनुसार, इस ईंधन की कीमत 60-62 प्रति लीटर होगी, जबकि पेट्रोल की कीमत 100 रुपये प्रति लीटर से भी ज्यादा है. लिहाज़ा एथनॉल के इस्तेमाल से लोग प्रति लीटर 30-35 रुपये की बचत कर पाएंगे.

नई दिल्ली: पेट्रोल डीज़ल की बढ़ती कीमतों से निजात पाने की दिशा में भारत सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. देश में जल्द ही पेट्रोल-डीज़ल नहीं, बल्कि एथनॉल पर गाड़ियां दौड़ेने वाली हैं. एथनॉल आधारित गाड़ियों यानी flexifuel वाहनों को जल्द हकीकत बनाने के लिए सरकार तैयारी कर रही है. सड़क परिवहन मंत्रालय ने फ्लेक्सी फ्यूल वाहनों के लिए ड्राफ़्ट नोटिफ़िकेशन भी जारी कर दिया है.

व्हीकल मैनुफैक्चरर्स को प्रोत्साहित कर रही सरकार
सरकार अब वाहन निर्माताओं को प्रोत्साहित कर रही है कि वह आगे आएं और फ्लेक्सी फ्यूल वाहन बनाएं. इसके तहत वाहन निर्माताओं से एथनॉल मिश्रित फ़्यूल पर चलने वाली गाड़ियों को बनाने, उनकी टेस्टिंग और इसके लिए ज़रूरी मापदंड की रूपरेखा जारी की गई है. फिलहाल, इस नोटिफ़िकेशन पर मंत्रालय ने पब्लिक और स्टेक होल्डर से 30 दिन के अंदर सुझाव भी मांगे हैं.
इन देशों में चल रहा उत्पादन
ब्राजील, कनाडा और अमेरिका में ऑटोमोबाइल कंपनियां फ्लेक्स फ्यूल ईंधन का उत्पादन कर रही हैं. इन देशों में ग्राहकों को 100 परसेंट पेट्रोल या 10 परसेंट बायो एथनॉल का विकल्प मुहैया करवाया जा रहा है. फिलहाल, देश में प्रति लीटर पेट्रोल में 8.5% एथनॉल मिलाया जाता है, जो कि 2014 में 1 से 1.5% हुआ करता था. सरकार की एथनॉल की खरीदारी भी कई गुना बढ़कर 320 करोड़ लीटर तक पहुंच गई है.
आखिर क्यों है मोदी सरकार का फ्लेक्स फ्यूल वाहनों पर ज़ोर
देश में मकई (मक्का), चीनी और गेहूं का उत्पादन सरप्लस है. स्थिति तो ये है कि इस सरप्लस उत्पादन को गोदामों में रखने के लिए जगह भी नहीं है. इस दिक्कत के सॉल्यूशन तलाशते हुए सरकार ने फैसला लिया है कि खाद्यान्न और गन्ने का उपयोग करके एथनॉल बनाया जाए. एथनॉल का इस्तेमाल वाहनों को चलाने में किया जाएगा. इस कदम से कच्चे तेल का आयात कम होगा और साथ ही सरप्लस खाद्यान्न की समस्या का भी हल निकल जाएगा.
Flexi Fuel गाड़ी के फायदे
रोड ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर नितिन गडकरी के अनुसार, इस ईंधन की कीमत 60-62 प्रति लीटर होगी, जबकि पेट्रोल की कीमत 100 रुपये प्रति लीटर से भी ज्यादा है. लिहाज़ा एथनॉल के इस्तेमाल से लोग प्रति लीटर 30-35 रुपये की बचत कर पाएंगे.

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