वर्ष 2024 में एआई को लेकर हकीकत को समझें…
वर्ष 2024 में एआई को लेकर हकीकत को समझें…
एआई प्रोग्राम्स को किन्हीं पेटेंट्स के आविष्कर्ता के रूप में नामित नहीं किया जा सकता है- यह बात ब्रिटेन के सुप्रीम कोर्ट ने इस सप्ताह अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कही। उसने मशीनों को मनुष्यों के बराबर मानने से इनकार कर दिया।
इमेजिनेशन इंजन इनकॉर्पोरेशन के संस्थापक स्टीफन थेलर ने अपनी एआई मशीन को “DABUS’ पुकारते हुए उसके नाम से पेटेंट की मांग की थी। स्टीफन ने बीवरेज कंटेनर और फ्लैश लाइट के लिए कई देशों में इस नाम से पेटेंट को पंजीकृत करने की कोशिश की और कहा कि “DABUS’ इनका आविष्कर्ता है। उनकी अपील को सर्वसम्मति से खारिज करते हुए न्यायाधीशों ने कहा, पेटेंट्स कानूनों के लिए आविष्कारक का एक व्यक्ति होना आवश्यक है और “DABUS’ कोई व्यक्ति नहीं है।
इस रविवार को यह विषय आपके सामने लाने के दो कारण हैं : एक, यह दुनिया में किसी भी देश के सर्वोच्च ट्रिब्यूनल द्वारा सुना गया इस तरह का पहला मामला है। और दूसरा, 2024 में दुनिया के अधिकतर लोग पेरिस ओलिम्पिक, नई वैकल्पिक ऊर्जाओं, आर्थिक अनिश्चितताओं और टी20 विश्व कप से भी अधिक एआई पर बात करने जा रहे हैं।
अभी तक कई लोग सोचते थे कि एआई को बेकार की हाइप दी जा रही है, लेकिन वे गलत हैं। क्योंकि एआई अब एक हकीकत बन चुकी है। विशेषज्ञों का अनुमान है 2024 में दुनिया की सरकारें यह तय करने के लिए साथ आ सकती हैं कि इस नई तकनीक की लगाम कसने के लिए वे किस तरह की वैश्विक संस्था चाहती हैं।
याद कीजिए 1944 में भी ऐसी मुलाकातें हुई थीं, जब दुनिया के नेताओं ने देखा था कि आसमान हवाई जहाजों से पट गया है। उन्हें अपने भू-भाग के आकाश पर अन्य देशों के विमानों द्वारा कब्जा कर लिए जाने का खतरा महसूस हुआ था। इसलिए उन्होंने “अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन’ नामक संस्था गठित की, जिसे अब आईसीएओ के नाम से जाना जाता है।
इसने हवाई-यातायात नियमों को तय करने से पहले अनेक दशकों तक उन पर चर्चा की थी। इसी कारण आकाश-मार्ग की सुरक्षा बनी हुई है, क्योंकि आज दुनिया के व्यस्ततम हवाई अड्डों में हर मिनट एक उड़ान या लैंडिंग दर्ज होती है। इसी तरह, वर्ष 2024 में विभिन्न सरकारों में सर्वोच्च पदों पर बैठे लोगों द्वारा जलवायु परिवर्तन के बाद एआई पर ही सबसे अधिक चर्चाएं की जाएंगी। माइक्रोसॉफ्ट पहले ही सुझाव दे चुकी हैं कि एआई के नियमन के लिए आईसीएओ जैसी संस्था बनाई जानी चाहिए।
लेकिन एआई के मामले में इस तरह की संस्था अधिक तेजी से काम संभालेगी, क्योंकि टेक्नोलॉजी पहले ही कई क्षेत्रों में दखल देने लगी है। इसके अप्रत्याशित उपयोग और दुरुपयोग मीडिया की सुर्खियां बने रहेंगे और औसत क्षमताओं के साथ की जाने वाली नौकरियों पर इसके प्रभाव के चलते कई जॉब-सीकर्स पर खतरा मंडराता रहेगा।
एआई में “सुपर-पर्सन’ बनने की क्षमता है, जो रोगाणुओं या साइबर-हथियारों को बनाकर मनुष्य जाति के अस्तित्व को भी खतरे में डाल सकती है। वहीं यह मृत्यु की पूर्व-चेतावनी देकर जीवन बचाने में चिकित्सा-पेशेवरों की खासी मदद भी कर सकती है।
तो आपके और मेरे जैसे लोगों के लिए आने वाले समय के पिटारे में क्या है? हमें एआई का अभ्यस्त बनना होगा और मानव जाति की बड़ी समस्याओं को हल करने के लिए उसका उपयोग करना होगा। हमें लोगों और व्यवसायों को आगे बढ़ाने में उसकी मदद लेनी होगी। अगर आप किसी भी नौकरी में समस्याएं सुलझाने वाले व्यक्ति की भूमिका में हैं, तो कभी बेरोजगार नहीं होंगे।
फंडा यह है कि 2024 जैसे साल में जहां मशीनें सुपर-स्मार्ट होने जा रही हैं, तेजी से बदलते कामकाज के परिदृश्य में अपनी जगह पुख्ता करने की सक्रिय रणनीति के तौर पर अप-स्किलिंग को पहचानें।