2024 में क्षेत्रीय दलों से सीधे लड़ेगी भाजपा …
2024 में क्षेत्रीय दलों से सीधे लड़ेगी भाजपा …
मोदी की गारंटी पर फोकस होगा, विपक्ष को मात देने 50% वोट का लक्ष्य
दिल्ली में भाजपा की दो दिनों से चल रही बैठक शनिवार शाम को खत्म हो गई। लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटी भाजपा ने सत्ता की हैट्रिक मारने के लिए रणनीति बनानी शुरू कर दी है।
दो दिवसीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संगठन के प्रमुख नेताओं से पार्टी का वोट प्रतिशत 10 प्रतिशत बढ़ाने की दिशा में जुटने को कहा। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा को 37 फीसदी वोट के साथ 303 सीटें मिली थीं।
दूसरी ओर, विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के एक प्रत्याशी के फॉर्मूले से निपटने के लिए पार्टी ने उन राज्यों में भी मजबूत और सीधी लड़ाई का फैसला किया है, जहां पार्टी कमजोर स्थिति में है। इनमें खासतौर पर दक्षिण भारतीय राज्य शामिल हैं।
विपक्ष को मात देने 50% वोट का लक्ष्य
बैठक के दूसरे दिन गृह मंत्री अमित शाह ने प्रदेश अध्यक्षों और प्रभारियों को 2019 के मुकाबले 10% या ज्यादा वोट हासिल करने का लक्ष्य दिया। उन्होंने कहा, विपक्षी गठबंधन भाजपा के खिलाफ वन-टू-वन प्रत्याशी उतारने की रणनीति पर काम कर रहा है, इसलिए हमें 50% से अधिक वोट हासिल करना होगा।
सूत्रों ने बताया कि शाह ने चुनावों में संगठन के महत्व को रेखांकित किया और कहा, पार्टी को इतनी ‘बड़ी’ जीत मिलनी चाहिए कि विपक्ष उसे चुनौती देने से पहले कई बार सोचे।
पिछले आमचुनाव में भाजपा ने 17 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 50 फीसदी के आसपास वोट हासिल किए थे। बैठक में इस बार यूपी में पिछली बार से 10, पश्चिम बंगाल में 5, ओडिशा में 2, तेलंगाना में 4, तमिलनाडु में 16, केरल में 6, आंध्र में 10 सीट ज्यादा जीतने का लक्ष्य रखा गया है।
मिशन 2024: क्षेत्रीय दलों से समझौता नहीं
पार्टी ने राज्यों में स्थानीय छोटे दलों के साथ गठबंधन की गुंजाइश तलाशने के लिए पार्टी प्रभारियों को अधिकृत कर दिया गया है। लेकिन, यह शर्त रखी है कि लोकसभा में सीटों के लिहाज से भाजपा सीनियर पार्टनर की अपनी भूमिका से कोई समझौता नहीं करेगी।
सूत्रों के मुताबिक बैठक में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने कहा, 2014 से अब तक भाजपा ने तमाम चुनौतियों का मजबूती से सामना किया और यह मिथक तोड़ दिया कि भाजपा देशव्यापी पार्टी नहीं है।
इसमें उत्तराखंड, हरियाणा और यूपी में दोबारा सरकार बनाने, त्रिपुरा से वामदल के सफाए और प. बंगाल में 18 लोकसभा सीट जीतने जैसे उदाहरण देते हुए कहा गया कि अब तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों के स्थानीय दलों से सीधे मुकाबले की रणनीति पर काम किया जाए।
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, पार्टी ने इस काम शुरू कर दिया है और पहले चरण का काम दो महीने में हो जाएगा। फरवरी के अंत तक मोदी की गारंटी के स्लोगन के जरिए पार्टी सीधे मुकाबले की स्थिति में होगी।
इसके लिए भाजपा ने सभी प्रदेश अध्यक्षों और प्रभारियों को निर्देश दिया है कि वो भाजपा के विकसित भारत संकल्प यात्रा से लोगों को जोड़ें और उन्हें केंद्र की सभी स्कीमों से अवगत कराएं।
दक्षिण में भाजपा का ऐसा होगा रोडमैप…
आंध्र प्रदेश: लोकसभा के साथ ही विधान सभा चुनाव होंगे। पार्टी यहां टीडीपी और पवन कल्याण की पार्टी जनसेना से समझौता कर सकती है। हालांकि गठबंधन इसी शर्त पर होगा कि लोकसभा में भाजपा सीनियर पार्टी रहेगी।
तमिलनाडु: एमकेएम, पीटी पार्टी जैसे दलों और निर्दलीय 1-2 लाख वोट पाने वाले नेताओं को पार्टी साथ जोड़ेगी। कन्याकुमारी, तेनकासी, मदुरै, चेन्नई दक्षिण, रामनाथपुरम, तुतुकुडी सहित 19 सीटों पर भाजपा लड़ेगी।
केरल: यहां लेफ्ट और कांग्रेस में टिकट से वंचित नेताओं को साधने की कोशिश होगी। मोदी के नाम पर चर्च से समर्थन हासिल करने की रणनीति भी पार्टी अपनाएगी।