JNU में हिंसा करने पर एडमिशन रद्द हो सकता है …!

नए नियमों में 17 अपराधों के लिए सजा, विरोध प्रदर्शन पर 20 हजार जुर्माना …

नई दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में अब विरोध प्रदर्शन, धरना करने वाले स्टूडेंट को 20 हजार रुपए जुर्माना देना होगा। किसी भी तरह की हिंसा करने पर 30 हजार रुपए तक जुर्माना लगाया जा सकता है या एडमिशन रद्द किया जा सकता है। यूनिवर्सिटी ने विरोध प्रदर्शनों को रोकने के लिए नई गाइडलाइन बनाई है।

रूल्स ऑफ डिसिप्लिन एंड प्रॉपर कंडक्ट ऑफ स्टूडेंट्स ऑफ JNU नाम की इस 10 पेज की किताब में प्रोटेस्ट, धोखाधड़ी जैसी हरकतों के लिए अलग-अलग तरह की सजा बताई गई है। साथ ही यूनिवर्सिटी में किसी तरह की इंक्वायरी और बयान दर्ज कराने की प्रक्रिया भी समझाई गई है।

डॉक्यूमेंट के मुताबिक ये नियम 3 फरवरी से ही लागू कर दिए गए हैं। ये रेगुलर और पार्ट-टाइम दोनों स्टूडेंट्स पर लागू होंगे। दरअसल, BBC की विवादित डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर यूनिवर्सिटी में लगातार कई प्रदर्शन हुए थे। इन्हें रोकने के लिए यूनिवर्सिटी ने ये कदम उठाया है।

25 जनवरी को JNU में BBC की डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग के दौरान विवाद हुआ था, जिसके बाद छात्रों ने प्रदर्शन किया।
25 जनवरी को JNU में BBC की डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग के दौरान विवाद हुआ था, जिसके बाद छात्रों ने प्रदर्शन किया।

3 साल पहले JNU में हुआ था जबरदस्त हंगामा और हिंसक प्रदर्शन
5 जनवरी 2020 की रात JNU में फीस बढ़ोतरी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर 50 से ज्यादा नकाबपोश बदमाशों ने हमला किया था। उन्होंने डंडे और लोहे की रॉड से स्टूडेंट्स और टीचर्स को पीटा था। हमले में छात्र संघ अध्यक्ष आइशी घोष समेत 35 लोग जख्मी हुए थे।

इन्हें दिल्ली एम्स और सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बदमाशों ने हॉस्टलों में तोड़फोड़ भी की थी। इस घटना में अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।

17 अपराधों के लिए मिलेगी सजा, पेरेंट्स के पास भेजी जाएगी शिकायत की कॉपी
नए डॉक्यूमेंट में 17 अपराधों के लिए सजा बताई गई है। इनमें यूनिवर्सिटी में किसी जगह को ब्लॉक करना, जुआ खेलना, हॉस्टल के कमरों पर अवैध कब्जा करना, अभद्र और अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करना और धोखाधड़ी जैसे अपराध शामिल हैं। नियमों के मुताबिक शिकायत की एक कॉपी आरोपी छात्र के पेरेंट्स के पास भी भेजी जाएगी।

नए नियमों को लेकर विवाद शुरू
इस रूल बुक में लिखा है कि सारे नियमों को यूनिवर्सिटी की सबसे बड़ी डिसीजन मेकिंग बॉडी एग्जीक्यूटिव काउंसिल ने अप्रूव किया है। हालांकि इस काउंसिल के सदस्यों ने न्यूज एजेंसी को बताया कि इस मुद्दे को एजेंडा आइटम बताते हुए पेश किया गया था और कहा गया था कि यह दस्तावेज सिर्फ कोर्ट के काम के लिए तैयार किया गया है।

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के JNU सेक्रेटरी विकास पटेल ने नए नियमों को तुगलकी फरमान बताया है। उन्होंने कहा कि पुराना कोड ऑफ कंडक्ट काफी था। उन्होंने इन नियमों को क्रूर बताते हुए इन्हें वापस लिए जाने की मांग की है।

जिन मामलों में टीचर्स भी शामिल हैं, उनकी सुनवाई यूनिवर्सिटी प्रॉक्टर करेगा
ऐसे मामले जिनमें छात्रों के साथ टीचर्स भी शामिल होंगे, उनकी सुनवाई यूनिवर्सिटी, स्कूल और सेंटर लेवल पर शिकायत निवारण समिति करेगी। सेक्शुअल एब्यूज, लड़कियों से छेड़छाड़, रैगिंग और सांप्रदायिक सौहार्द्र को भंग करने के मामलों की सुनवाई यूनिवर्सिटी के चीफ प्रॉक्टर ऑफिस में होगी।

चीफ प्रॉक्टर रजनीश मिश्र ने न्यूज एजेंसी PTI को बताया कि नए नियम प्रॉक्टोरियल इन्क्वायरी के बाद लागू किए गए हैं। हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि प्रॉक्टोरियल इन्क्वायरी कब शुरू हुई। जब उनसे ये पूछा गया कि क्या पुराने नियमों में ही बदलाव किया गया है, तो उन्होंने हां में जवाब दिया।

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