राम रहीम को जब-जब मिली पैरोल, तब-तब क्या रहे हरियाणा चुनाव के नतीजे?

राम रहीम को जब-जब मिली पैरोल, तब-तब क्या रहे हरियाणा चुनाव के नतीजे?
हरियाणा में विधानसभा चुनाव से पहले राम रहीम को फरलो मिली है. राम रहीम को पहले भी 6 चुनावों में 192 दिनों के लिए फरलो या पैरोल पर बाहर आ चुके हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि राम रहीम के बाहर आने से चुनाव के नतीजे कितने बदले?

राम रहीम को जब-जब मिली पैरोल, तब-तब क्या रहे हरियाणा चुनाव के नतीजे?

राम रहीम को 21 दिन की फरलो मिली है …
रेप और हत्या केस में सजा काट रहे डेरा सच्चा सौदा कमेटी के प्रमुख राम रहीम की फरलो हरियाणा सरकार ने मंजूर कर ली है. राम रहीम 21 दिन अब जेल से बाहर रहेंगे. यह 7वीं बार है, जब राम रहीम को किसी भी चुनाव से पहले फरलो या पैरोल मिली है. हरियाणा में अब से 2 महीने बाद 90 सीटों पर विधानसभा के चुनाव होने हैं. राम रहीम को पहले 6 चुनावों में 192 दिनों के लिए फरलो या पैरोल मिल चुकी है.
राम रहीम बाहर आए तो क्या रहे चुनाव के नतीजे?

 जून 2018 में हरियाणा नगर निगम की 5 सीटों के लिए निकाय का चुनाव होना था. इससे पहले राम रहीम को 30 दिनों के लिए पैरोल मिली. अगस्त 2017 में जेल जाने के बाद राम रहीम की यह पहली पैरोल थी. निकाय के इस चुनाव में बीजेपी ने एकतरफा जीत हासिल की. पार्टी ने सभी 5 सीटों पर जीत दर्ज की.

 2022 के अक्टूबर में हरियाणा में पंचायत चुनाव होने थे. इस बार राम रहीम को 40 दिनों पैरोल मिली और वे फिर से जेल से बाहर आए. राम रहीम के जेल से बाहर आने पर तत्कालीन मनोहर लाल खट्टर सरकार की खूब आलोचना हुई. हालांकि, पंचायत चुनाव में बीजेपी को नुकसान हुआ और पार्टी सात जिलों में जिला परिषद की 102 सीटों पर चुनाव लड़ी, जिसमें से उसे सिर्फ 22 सीटों पर जीत मिली. पंचकूला, पलवल में पार्टी बुरी तरह हारी.

 2022 में पंचायत चुनाव के साथ-साथ आदमपुर में विधानसभा का उपचुनाव भी कराया गया. यह सीट भजनलाल परिवार का गढ़ माना जाता है. आदमपुर से भजनलाल के पोते भव्या विश्नोई बीजेपी से मैदान में थे. कांग्रेस ने जयप्रकाश को उम्मीदवार बनाया. भव्य को इस चुनाव में 15,740 वोटों से जीत मिली.

 2023 में राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले भी राम रहीम को फरलो मिली. इस बार रहीम को 21 दिन की फरलो मिली. इस बार भी बीजेपी सरकार की आलोचना हुई. राज्य में विधानसभा के जब चुनावी नतीजे आए तो बीजेपी को जीत मिली. हालांकि, बीजेपी उन इलाकों में असफल साबित हुई, जहां राम रहीम का दबदबा था. श्रीगंगानगर की 6 में से बीजेपी 2 और हनुमानगढ़ की 5 में से सिर्फ एक सीट पर जीत दर्ज कर पाई.

– हरियाणा में विधानसभा के चुनाव होने हैं और हाल ही लोकसभा चुनाव में यहां सत्ताधारी बीजेपी को बड़ा झटका लगा है. बीजेपी लोकसभा की 10 में से सिर्फ 5 सीट ही जीत पाई. सिरसा में पार्टी के उम्मीदवार बुरी तरह से हारे. कांग्रेस ने यहां की सभी 9 सीटों पर बढ़त बना ली. 2019 में कांग्रेस को यहां की सिर्फ 2 विधानसभा सीटों पर ही जीत मिली थी.

तीसरी बार मिली फरलो, यह पैरोल से कितना अलग?

राम रहीम को जेल जाने के बाद तीसरी बार फरलो मिली है. जानकारों के मुताबिक पैरोल उन कैदियों को दी जाती है, जिन्होंने अपनी सजा का एक हिस्सा पूरा कर लिया है और इस बात की संभावनाएं कम है कि वो फिर से इस तरह की अपराध करे.

फरलो एक अल्पकालिक या अस्थायी रिहाई है जो सुधारात्मक उपाय के रूप में दोषियों को जेल से दी जाती है. पैरोल और फरलो को जेल प्रशासन ही मंजूर करता है. जेल प्रशासन राज्य सरकार के अधीन होता है.

राम रहीम का डेरा सच्चा सौदा कितना प्रभावी?

डेरा सच्चा सौदा एक सामाजिक-आध्यात्मिक संस्था, जिसकी स्थापना साल 148 में मस्ताना बलूचिस्तानी ने की थी. 1990 में राम रहीम को इसकी कमान मिली. तब से वे ही इस संगठन के प्रमुख हैं. एक वक्त में कहा जाता था कि डेरा सच्चा सौदा के 1 करोड़ अनुयायी हैं. हालांकि, अब इस संख्या में भारी गिरावट आई है. डेरा सच्चा सौदा का मुख्यालय हरियाणा के सिरसा में स्थित है.

शुरुआत में राम रहीम कांग्रेस नेताओं के करीब थे. 2007 और 2012 में उन्होंने कांग्रेस के समर्थन में बयान दिया था. 2012 में पंजाब कांग्रेस के कैप्टन अमरिंदर सिंह अपनी पत्नी के साथ राम रहीम से मिलने सिरसा भी गए थे. हालांकि, दोनों ही चुनाव में कांग्रेस पंजाब में बुरी तरह हार गई.

2017 में राम रहीम के बुरे दिन तब आए, जब पंजाब हाईकोर्ट ने उन्हें साध्वी के रेप और पत्रकार की हत्या केस में दोषी करार दिया. उस वक्त हरियाणा में भारी बवाल मचा. हालांकि, कोर्ट की सख्ती की वजह से बाबा को गिरफ्तारी देनी पड़ी. राम रहीम के अनुयायी पंजाब के मालवा, राजस्थान के श्रीगंगानगर, हरियाणा के सिरसा-अंबाला और हिमाचल में रहते हैं.

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