राकेश शुक्ला ग्रेजुएट हैं, वह तीसरी बार के विधायक हैं !

राकेश शुक्ला ग्रेजुएट हैं, वह तीसरी बार के विधायक हैं
राकेश शुक्ला भिंड जिले की मेहगांव विधानसभा से विधायक चुने गए। उन्होंने कांग्रेस के राहुल भदौरिया (कांग्रेस नेता प्रतिपक्ष डा गोविंद के भांजे) को करीब 22 हजार वोट से हराया है। राकेश शुक्ला ग्रेजुएट हैं। वह तीसरीबार के विधायक हैं।
पिता से मिली राजनीति सीख, सात साल की उम्र में पहला ध्वज प्रणाम किया

भिंड. नईदुनिया प्रतिनिधि। राकेश शुक्ला के छोटे भाई दिनेश शुक्ला ने बताया कि बड़े भाई राकेश शुक्ला बचपन से ही संघ से जुड़ गए थे। बचपन से ही उनका संघ की तरफ झुकाव था। पिता के साथ वह शाखा जाते थे। सात साल की उम्र में उन्होंने पहलीबार ध्वज प्रणाम किया था। दिनेश शुक्ला ने बताया कि हमारे पिता स्व शिव कुमार शुक्ला हाईकोर्ट अधिवक्ता थे। वर्ष 1982 से 1985 तक वह भाजपा में जिलाध्यक्ष रहे। वर्ष 1990 में भाजपा सरकार में उन्हें शासकीय अधिवक्ता बनाया गया। इसके बाद ग्वालियर संघचालक रहे। वर्ष 1997 में पिता के निधन के बाद राकेश शुक्ला राजनीति में सक्रिय हो गए।

घर में सबसे बड़े हैं राकेश शुक्ला

राकेश शुक्ला ग्रेजुएट हैं। वह चार भाइयों में सबसे बड़े हैं। बचपन से ही वह संघ से जुड़ गए थे। राकेश के दूसरे नंबर के भाई दिनेश शुक्ला हाईकोर्ट वकील हैं, तीसरे नंबर के रमेश शुक्ला शासकीय कर्मचारी हैं और चौथे नंबर के राजेश शुक्ला हाईकोर्ट में अतिरिक्त महाधिवक्ता एवं मप्र राज्य अधिवक्ता संघ के सदस्य हैं। राकेश शुक्ला के दो बेटे और एक बेटी है।

समाजिक कार्याें में छात्र जीव से ही सक्रिय रहे

दिनेश शुक्ला ने बताया कि पिताजी के घर से बाहर या कोर्ट जाने पर घर पर जो भी लोग पिताजी से मिलने आते थे, उन्हें बातचीत करना, समाजिक कार्यों में हस्तक्षेप वह छात्र जीवन से ही करते थे। वह जमीनी नेता हैं। क्षेत्र के लोगों से उनका जुड़ाव घर-परिवार तक है।

मां, भाई और पत्नी भोपाल में, दो भाई वृंदावन में

राकेश शुक्ला को कैबिनेट मंत्री बनाए जाने की सूचना जैसे ही घर पहुंची। वैसे ही उनकी मां, पत्नी और एक भाई भोपाल के लिए रवाना हो गए। जबकि उनके छोटे भाई दिनेश शुक्ला, राकेश शुक्ला वर्तमान में परिवार के साथ वृंदावन में हैं।

र्ष 1998 में पहली बार मेहगांव विस से विधायक बने
    • -वर्ष 1998 में पहलीबार भाजपा ने राकेश शुक्ला को टिकट दिया। उन्होंने कांग्रेस के हरिसिंह नरवरिया को इस चुनाव में हराया था।
    • -वर्ष 2008 में राकेश शुक्ला ने समानतादल के राय सिंह भदौरिया को हराया था, जबकि कांग्रेस के हरिसिंह नरवरिया तीसरे नंबर पर रहे थे।
    • -वर्ष 2013 में राकेश शुक्ला का भाजपा से टिकट कट जाने पर उन्होंने पार्टी को छोड़ निर्दलीय चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। लेकिन चार महीने बाद ही वह भाजपा में पुन: शामिल हो गए थे।
    • -वर्ष 2018 में राकेश शुक्ला को एक बार भी भाजपा ने टिकट दिया, लेकिन कांग्रेस से मैदान में उतरे ओपीएस भदौरिया (वर्तमान में भाजपा में शामिल) ने अपनी जीत दर्ज कराई थी।
    • -वर्ष 2020 में हुए उपचुनाव में भाजपा ने उनका टिकट काटकर भाजपा में शामिल होने वाले ओपीएस भदौरिया को टिकट देकर चुनावी मैदान में उतरा था। इस चुनाव में ओपीएस भदौरिया ने जीत दर्ज कराई थी।
  • -वर्ष 2023 में हुए चुनाव में एक बार फिर भाजपा ने राज्यमंत्री ओपीएस भदौरिया का टिकट काटकर राकेश शुक्ला को चुनावी मैदान में उतारा। वहीं राकेश शुक्ल ने कांग्रेस के राहुल भदौरियों को करीब 22 हजार वोट से हराकर अपनी जीत दर्ज कराई।

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