MP में BJP : कैबिनेट विस्तार में दिखी ‘मिशन 2024’ की झलक !

MP में BJP ने साधा जातिगत समीकरण, कैबिनेट विस्तार में दिखी ‘मिशन 2024’ की झलक
विपक्षी दलों की ओर से जातिगत जनगणना की तेज होती मांग के बीच बीजेपी ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्रियों के चयन में जातिगत स्थिति का खास ख्याल रखा है. मध्य प्रदेश में 29 लोकसभा सीटें हैं और 2019 के चुनाव में बीजेपी को 28 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि इस बार उसकी कोशिश सभी की सभी 29 सीटों पर जीत हासिल करने की है. क्या बीजेपी के नए जातिगत समीकरण से उसे फायदा मिलेगा.

MP में BJP ने साधा जातिगत समीकरण, कैबिनेट विस्तार में दिखी 'मिशन 2024' की झलक

मोहन यादव कैबिनेट में जातिगत समीकरण का भी ख्याल रखा गया है.

आखिरकार लंबे इंतजार के बाद मध्य प्रदेश में मोहन यादव सरकार का कैबिनेट विस्तार कर दिया गया है. 3 दिसंबर को आए चुनावी नतीजे के 22वें दिन राज्य में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार अपने पूर्ण रूप से अस्तित्व में आ चुकी है. हालांकि इसके लिए पहली बार मुख्यमंत्री बने मोहन यादव को खासी मशक्कत करनी पड़ी. कैबिनेट विस्तार से पहले उन्हें 3 बार दिल्ली का चक्कर लगाना पड़ा. पार्टी ने ‘मिशन 2024’ को भी ध्यान में रखा है और मंत्रियों के चयन में इसकी झलक साफ दिखाई पड़ती है.

OBC बिरादरी पर पूरा फोकस

मध्य प्रदेश की सियासत में बीजेपी शुरू से ही ओबीसी बिरादरी पर पूरा फोकस करती रही है. प्रदेश में बीजेपी ने अब तक 4 मुख्यमंत्री बनाए हैं जो ओबीसी समाज से ही आते हैं. यहां पर ओबीसी बिरादरी की आबादी 50 फीसदी (50.09%) से ज्यादा है. देश के कई राज्यों में जिस तरह से जाति आधारित जनगणना की मांग की जा रही है उसे देखते हुए बीजेपी ने यहां पर जातिगत समीकरण को सेट करने की कोशिश की है.

मुख्यमंत्री मोहन यादव के अलावा ओबीसी समुदाय से जिन अन्य लोगों को 11 मंत्री बनाया गया है, उनमें प्रह्लाद सिंह पटेल, एंदल सिंह कसाना, नारायण सिंह कुशवाहा, उदय प्रताप सिंह, राकेश सिंह, करण सिंह वर्मा, कृष्णा गौर, इंदर सिंह परमार, धर्मेंद्र लोधी, नारायण पंवार और लखन पटेल शामिल हैं. कैबिनेट चयन में ओबीसी बिरादरी को पूरा मौका देकर बीजेपी की ओर से विपक्षी दलों की जातिगत जनगणना की मांग के बीच यह जताने की कोशिश की जा रही है कि वह पिछड़े वर्गों की हितैषी पार्टी है.

जितनी हिस्सेदारी उतनी भागीदारी

‘जिसकी जितनी हिस्सेदारी उसकी उतनी भागीदारी’ का बीजेपी ने खास ख्याल रखा है. प्रदेश में सामान्य वर्ग की 13.21 फीसदी हिस्सेदारी है और इसे देखते हुए 7 लोगों को कैबिनेट में रखा गया है. उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला के अलावा सवर्ण समाज से 6 विधायकों को मंत्री बनाया गया है जिसमें कैलाश विजयवर्गीय, विश्वास सारंग, प्रद्युम्न सिंह तोमर, गोविंद सिंह राजपूत, चैतन्य कश्यप और राकेश शुक्ला शामिल हैं.

प्रदेश की नई कैबिनेट में एससी-एसटी बिरादरी को भी खासी अहमियत दी गई है. यहां पर 36 फीसदी से अधिक आबादी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की रहती है और प्रदेश की कैबिनेट में 9 लोगों को शामिल किया गया है. एससी वर्ग से 5 विधायकों को मंत्री बनाया गया है तो 4 विधायक जो एसटी वर्ग से ताल्लुक रखते हैं उन्हें भी मंत्री बनाया गया है. प्रदेश में एसटी की आबादी 21.1 फीसदी तो एससी की 15.6 फीसदी आबादी रहती है.

2024 में ‘क्लीन MP’ पर पूरा फोकस

अनुसूचित जाति (SC) से जिन 6 विधायकों को मंत्री बनाया गया है, वो हैं तुलसी सिलावट, दिलीप जायसवाल, गौतम टेटवाल, राधा सिंह और प्रतिभा बागरी. जबकि आदिवासी समाज (ST) से मंत्री बनने वाले 4 विधायक हैं निर्मला भूरिया, विजय शाह, संपतिया उइके और नागर सिंह चौहान.

हिंदी पट्टी समेत 5 राज्यों में खत्म हुए विधानसभा चुनाव के कुछ महीने बाद देश में लोकसभा चुनाव होने हैं. बीजेपी को हिंदी पट्टी के तीनों राज्यों (मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़) में उम्मीद से कहीं ज्यादा बड़ी जीत मिली है. इस जीत से बीजेपी का ‘मिशन 2024’ के लिए उत्साह खासा बढ़ गया है और वह पूरी कवायद में है कि जब कुछ महीने बाद लोकसभा चुनाव हो रहा होगा, तो उसे जीत हासिल करने में खासा संघर्ष करना न पड़े.

विपक्षी दलों की ओर से जातिगत जनगणना की तेज होती मांग के बीच बीजेपी ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्रियों के चयन में जातिगत स्थिति का खास ख्याल रखा है. छत्तीसगढ़ के बाद मध्य प्रदेश में हुए कैबिनेट विस्तार में हर वर्ग को शामिल करने की कोशिश की गई है. मध्य प्रदेश में 29 लोकसभा सीटें हैं और 2019 के चुनाव में बीजेपी को 28 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि इस बार उसकी कोशिश सभी की सभी 29 सीटों पर जीत हासिल करने की है. ऐसे में जिस तरह से कैबिनेट में मंत्रियों के चयन में जातिगत समीकरण को सेट किया गया है, अब देखना होगा कि बीजेपी को ‘मिशन 2024’ में इसका कितना फायदा मिलता है.

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MP: मोहन यादव की कैबिनेट तैयार, सरकार में 5 महिला मंत्री; एक पूर्व CM तो दूसरी मंत्री की बहू
बीजेपी ने हिंदी पट्टी के 3 राज्यों में बड़ी जीत के बाद एक के बाद एक कई चौंकाने वाले फैसले ले रही है. मोहन यादव की कैबिनेट में युवाओं और अनुभव का खास मिश्रण किया गया है. हालांकि युवा और नए चेहरों को खासतौर पर ज्यादा मौका दिया गया है. मोहन यादव सरकार में 17 विधायक पहली बार मंत्री बनाए गए हैं, जिसमें 4 महिलाएं भी शामिल हैं.

MP: मोहन यादव की कैबिनेट तैयार, सरकार में 5 महिला मंत्री; एक पूर्व CM तो दूसरी मंत्री की बहू

मोहन यादव सरकार में 5 में से 4 महिला विधायक पहली बार विधायक बनीं

मध्य प्रदेश में लंबे इंतजार के बाद मोहन यादव सरकार का आज सोमवार को कैबिनेट विस्तार कर दिया गया. इस कैबिनेट विस्तार में जातिगत समीकरण का भी खास ध्यान रखा गया, साथ ही महिलाओं की भी उचित भागीदारी देने की कोशिश की गई है. 3 दिसंबर को आए चुनाव परिणाम के 22 दिन बाद अब जाकर प्रदेश में मोहन यादव की सरकार मुकम्मल हुई है. 28 सदस्यीय कैबिनेट में 5 महिलाओं को भी जगह दी गई है. जबकि पिछली शिवराज सिंह चौहान सरकार में 3 महिला विधायकों को ही मंत्री बनाया गया था.

पूर्व CM की बहू बनी पहली बार मंत्री

बीजेपी ने पार्टी के दिग्गज नेता रहे और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर की बहू को भी मंत्री बनाया है. कृष्णा गौर को राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार ) के रूप में शपथ दिलाई गई है. वह लगातार दूसरी बार विधायक चुनी गई हैं. भोपाल की गोविंदपुरा सीट पर गौर परिवार का खासा दबदबा रहा है. कृष्णा से पहले उनके ससुर बाबूलाल गौर लंबे समय से चुनाव जीतते आ रहे हैं.

यहां पर गौर परिवार का 4 दशक से भी लंबे समय से कब्जा रहा है. कृष्णा गौर राज्य मंत्री बनने से पहले साल 2009 से 2014 तक भोपाल की मेयर रह चुकी हैं. जबकि 2005 में उन्होंमे मध्य प्रदेश राज्य पर्यटन निगम की अध्यक्ष का पद भी संभाल चुकी हैं. लेकिन वह पहली बार मंत्री बनी हैं.
पूर्व शिक्षा मंत्री की बहू भी मोहन कैबिनेट में

कृष्णा गौर की तरह राधा सिंह भी राजनीतिक परिवार से नाता रखती हैं और इस बार पार्टी ने ससुर जगन्नाथ सिंह की जगह राधा सिंह को मैदान में उतारा था. आदिवासी नेता जगन्नाथ सिंह भी प्रदेश की सियासत में खास अहमियत रखते हैं वे बीजेपी सरकार में शिक्षा मंत्री भी रहे हैं. ससुराल की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाते हुए राधा सिंह भी कामयाबी के साथ आगे बढ़ रही हैं.

राधा सिंह मंत्री बनने से पहले जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकी है. आदिवासी लोगों के के बीच जगन्नाथ सिंह एक बड़ा नाम है. राधा ने ST के रिजर्व चितरंगी विधानसभा सीट से जीत हासिल की थी. वह 2008 में सिंगरौली जिला बनने के बाद यहां की पहली जिला पंचायत अध्यक्ष रही थीं. अब पहली बार मंत्री बनी हैं.

दिहाड़ी मजदूर से मंत्री तक का सफर

मोहन यादव कैबिनेट में मंत्री बनने वाली संपतिया उइके किसी बड़े राजनीतिक परिवार से नाता नहीं रखती हैं. उनका लंबा राजनीतिक संघर्ष रहा है. एक समय में वह मंडला जिले में दिहाड़ी मजदूरी किया करती थीं. और इस बार वह मंडला सीट से विधायक चुनी गईं. वह यहां की पहली महिला विधायक भी हैं.

हालांकि उइके के पास खासा राजनीतिक अनुभव है. वह राज्यसभा सांसद रह चुकी हैं. 1999 में संपतिया ग्राम टिकरवाड़ा सरपंच का चुनाव लड़ने के साथ ही वह राजनीति में प्रवेश करती हैं और इसके बाद वह तीन बार मंडला की जिला पंचायत सदस्य भी रहीं. फिर 2017 में वह राज्यसभा के लिए चुनी गईं. इस बार वह विधायक बनीं और मंत्री भी बन गईं.

पहली बार विधायक और बन गईं मंत्री

महिला नेताओं में प्रतिमा बागरी भी मंत्री बनाई गई हैं. वह पार्टी की युवा चेहरों में गिनी जाती हैं. प्रतिमा सतना जिले की रैगांव विधानसभा सीट से विधायक चुनी गई हैं. वह पहली बार विधायक बनी हैं और पहली ही बार में उन्हें मंत्री बनने का गौरव हासिल हो गया. उन्हें सांसद गणेश सिंह का करीबी माना जाता है. हालांकि 2021 में हुए उपचुनाव में वह बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ी थीं, लेकिन तब हार मिली थी.

कांग्रेस से बीजेपी में आए नेता की बेटी भी मंत्री

बीजेपी की नई सरकार में मंत्री बनने वाली निर्मला भूरिया पांचवीं और दूसरी आदिवासी महिला नेता हैं और ये भी राजनीतिक परिवार से नाता रखती हैं. वह दिग्गज नेता दिलीप सिंह भूरिया की बेटी हैं. दिलीप सिंह कभी कांग्रेस में हुआ करते थे, लेकिन आदिवासी मुख्यमंत्री की मांग पर उन्होंने कांग्रेस छोड़ दिया और बीजेपी में आ गए. दिलीप सिंह लंबे समय तक सांसद रहे.

निर्मला भूरिया के पास भी खासा राजनीतिक अनुभव है और उन्होंने पेटलावाद सीट से 5वीं बार विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की है. वह शिवराज सिंह चौहान में स्वास्थ्य राज्य मंत्री रह चुकी हैं. निर्मला 1998 से लेकर 2003 तक विधायक चुनी जाती रहीं, लेकिन 2008 और 2018 में उन्हें हार मिली. 2013 के चुनाव में उन्होंने फिर से जीत हासिल की. अब 2023 के चुनाव में जीत कर फिर से मंत्री भी बनी हैं.

17 विधायक पहली बार बने मंत्री

दूसरी ओर, बीजेपी ने हिंदी पट्टी के 3 राज्यों में बड़ी जीत के बाद एक के बाद एक करके कई चौंकाने वाले फैसले ले रही है. मोहन यादव की कैबिनेट में युवाओं और अनुभव का खास मिश्रण किया गया है. हालांकि युवा और नए चेहरों को खासतौर पर ज्यादा मौका दिया गया है. मोहन यादव सरकार में 17 विधायक पहली बार मंत्री बनाए गए हैं. जातिगत आधार पर देखें तो 28 में से सबसे ज्यादा मंत्री अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के विधायकों को मंत्री बनाया गया है. अकेले 12 मंत्री तो ओबीसी बिरादरी से बनाए गए हैं जबकि 7 सवर्ण वर्ग से हैं, बाकी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति बिरादरी से जुड़े विधायक मंत्री बने हैं.

राकेश सिंह, प्रह्लाद पटेल, राकेश शुक्ला, कृष्णा गौर, संपतिया उइके, उदय प्रताप सिंह, नागर सिंह चौहान, चैतन्य कश्यप, धर्मेंद्र लोधी, दिलीप जायसवाल, गौतम टेटवाल, लखन पटेल, नारायण पवार, राधा सिंह, प्रतिमा बागरी, दिलीप अहिरवार, नरेन्द्र शिवाजी पटेल पहली बार मंत्री बनेंगे.

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