मोहन मंत्रिमंडल में ओबीसी की 43% हिस्सेदारी …
मोहन मंत्रिमंडल में ओबीसी की 43% हिस्सेदारी …
क्षेत्रवार कद्दावर नेताओं को मंत्री बनाकर भाजपा ने लोकसभा चुनाव की जमावट कर दी
डॉ. मोहन मंत्रिमंडल में 18 कैबिनेट मंत्री, 6 राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और चार राज्य मंत्रियों ने शपथ ली। इनमें सबसे ज्यादा 13 मंत्री ओबीसी वर्ग से हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी इसी वर्ग से आते हैं। स्पष्ट है मंत्रियों के चयन में जाति का खास ध्यान रखा गया है। प्रदेश में 50% आबादी वाले ओबीसी वर्ग को 43% हिस्सेदारी देकर भाजपा ने इस वर्ग को तो साधा ही, कांग्रेस के जातिगत जनगणना के मुद्दे का जवाब भी तैयार कर लिया। शिवराज सरकार में इनकी 36% भागीदारी थी। आदिवासी विधायकों को संख्या के अनुपात में मंत्रिमंडल में कम जगह मिली। क्षेत्रवार कद्दावर नेताओं को मंत्री बनाकर भाजपा ने लोकसभा चुनाव के लिहाज से जमावट कर दी है।
कोई खेमेबाजी नहीं, सिर्फ केंद्र की चली
ऐसा पहली बार हुआ जब राज्य मंत्रिमंडल के सभी नाम दिल्ली में फाइनल हुए। मंत्रिमंडल में खेमेबाजी नहीं दिखाई दी। ऐसा होता तो केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे के डॉ. प्रभुराम चौधरी को मंत्री बनाया जाता। पार्टी सूत्रों का कहना है कि कैलाश विजयवर्गीय चाहते थे कि रमेश मेंदोला को मंत्री बनाया जाए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पूर्व मंत्री उषा ठाकुर संघ की करीबी मानी जाती हैं, लेकिन उन्हें भी मंत्री नहीं बनाया गया। पूर्व मेयर कृष्णा गौर को शिवराज सिंह चौहान का करीबी माना जा सकता है, लेकिन उन्हें महिला कोटे से मंत्री बनाया गया है।
सिंधिया के 3 समर्थक फिर बने मंत्री, पिछली बार 9 थे
मंत्रिमंडल में सिंधिया के 3 समर्थक तुलसी सिलावट, गोविंद सिंह राजपूत व प्रद्युम्न सिंह तोमर को जगह मिली है। शिवराज सरकार में सिंधिया समर्थक 9 मंत्री थे। इसमें से तीन महेंद्र सिंह सिसोदिया, राजवर्धन सिंह दत्तीगांव और सुरेश धाकड़ चुनाव हार गए। ओपीएस भदौरिया को टिकट नहीं मिला था। जीतने वाले डॉ. प्रभुराम चौधरी और बृजेंद्र सिंह यादव को इस बार मंत्री नहीं बनाया गया।
बुंदेलखंड को छोड़ हर अंचल में एक बड़ा नेता मंत्री
मंत्रिमंडल में बुंदेलखंड को छोड़कर हर अंचल से एक बड़ा नेता शामिल किया गया है। मालवा-निमाड़ से मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को छोड़ दें तो इंदौर से कैलाश विजयवर्गीय पावरफुल मंत्री हैं। महाकौशल से पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल, विंध्य से डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल, भोपाल-नर्मदापुरम से विश्वास सारंग। ग्वालियर-चंबल से विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर को छोड़ दें तो प्रद्युम्न सिंह तोमर इस क्षेत्र से ताकतवर मंत्री माने जाते हैं। मंत्रिमंडल में बुंदेलखंड का कद घट गया है। यहां से दो कद्दावर नेता गोपाल भार्गव व भूपेंद्र सिंह को मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई। ऐसे में गोविंद सिंह राजपूत इस इलाके से ताकतवर रहेंगे।
रीति पाठक को छोड़ सभी सांसद एडजस्ट
भाजपा ने 8 कद्दावर नेताओं को चुनाव मैदान में उतारा था। कैलाश विजयवर्गीय के अलावा 7 सांसद थे जिनमें 5 चुनाव जीत गए। नरेंद्र सिंह तोमर को विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया। कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल, राकेश सिंह और राव उदय प्रताप सिंह को मंत्री बनाकर एडजस्ट किया गया है। अकेली रीति पाठक को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली। बता दें कि केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते और सांसद गणेश सिंह चुनाव हार गए थे।
जीती हुई सीटों के लिहाज से आदिवासियों का प्रतिनिधित्व घटा
सरकार में आदिवासियों का प्रतिनिधित्व घट गया है। मंत्रिमंडल में संपतिया उइके (मंडला), निर्मला भूरिया (पेटलावद), नागर सिंह चौहान (अलीराजपुर), विजय शाह (हरसूद) और राधा सिंह( चितरंगी) को शामिल किया गया है। भाजपा ने इस बार इस वर्ग के लिए आरक्षित 47 में से 24 सीटें जीती हैं। इसके अलावा 29 ऐसी सीटों पर जीत मिली, जहां आदिवासी निर्णायक भूमिका में थे। पिछली बार इस कोटे से चार मंत्री बनाए गए थे। जबकि पिछली बार भाजपा के खाते में 16 सीटें थी। इस हिसाब से मंत्रिमंडल में 25% प्रतिनिधित्व था। इस बार प्रतिनिधित्व 20% है।
लोकसभा की 29 में से 22 सीटें कवर
लोकसभा सीटों के हिसाब से मंत्रिमंडल में हिस्सेदारी देखें तो 29 में 22 सीटें कवर हो गई हैं। यानी इन सीटों के अंतर्गत आने वाले विधानसभा क्षेत्र से मंत्री बनाए गए हैं। गुना-शिवपुरी, खरगोन, खंडवा, धार, बालाघाट और टीकमगढ़ लोकसभा क्षेत्र से किसी विधायक को मंत्री नहीं बनाया गया है। छिंदवाड़ा जिले में भाजपा का एक भी विधायक नहीं जीता है।
अब समझिए, लोकसभा चुनाव का मंत्रिमंडल से कनेक्शन
1- 5 क्षेत्रों से 5 एसटी विधायकों को मंत्री बनाया
संपतिया उइके (मंडला), निर्मला भूरिया ( पेटलावद), नागर सिंह चौहान (अलीराजपुर), विजय शाह (हरसूद) और राधा सिंह( चितरंगी) को मंत्री बनाकर भाजपा ने लोकसभा चुनाव की जमावट की है। प्रदेश में लोकसभा की 6 सीटें मंडला, शहडोल, धार, रतलाम-झाबुआ, खरगोन व बैतूल अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं।
2- हर अंचल के ताकतवर मंत्रियों को लोकसभा की जिम्मेदारी
भाजपा ने जिन 7 कद्दावर नेताओं को विधानसभा चुनाव में उतारा था। उनमें से 5 जीते और सरकार में पद भी मिला। इनमें से चार को मंत्रिमंडल में जगह दी गई। जानकार कहते हैं कि लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर ताकतवर नेताओं को मंत्री बनाया गया है। कैलाश विजयवर्गीय मालवा-निमाड़, प्रहलाद पटेल व राकेश सिंह महाकौशल, नर्मदापुरम में राव उदयप्रताप सिंह, विंध्य में राजेंद्र शुक्ल, बुंदेलखंड में गोविंद सिंह राजपूत और ग्वालियर में प्रद्युम्न सिंह तोमर को क्षेत्रवार जिम्मेदारी दी जा सकती है।
अंचलवार मंत्री:मालवा-निमाड़ से सबसे ज्यादा 8, भोपाल-नर्मदापुरम से 6 मंत्री बने
महाकौशल : प्रहलाद सिंह पटेल, राव उदय प्रताप सिंह, संपतिया उइके, राकेश सिंह
बुंदेलखंड : गोविंद सिंह राजपूत, लखन पटेल, दिलीप अहिरवार, धर्मेंद्र सिंह लोधी
बघेलखंड : राजेंद्र शुक्ल, राधा सिंह, प्रतिमा बागरी, दिलीप जायसवाल
भोपाल-नर्मदापुरम : विश्वास सारंग, कृष्णा गौर, नारायण पंवार, करण सिंह वर्मा, गौतम टेटवाल, नरेंद्र शिवाजी पटेल
मालवा-निमाड़ : जगदीश देवड़ा, तुलसी सिलावट, कैलाश विजयवर्गीय, निर्मला भूरिया, इंदर सिंह परमार, चैतन्य काश्यप, विजय शाह, नागर सिंह चौहान
ग्वालियर-चंबल : एदल सिंह कंषाना, प्रद्युम्न सिंह तोमर, राकेश शुक्ला, नारायण सिंह कुशवाह