बस एक धक्के से रुक सकता है मोदी का विजयी रथ ?
बस एक धक्के से रुक सकता है मोदी का विजयी रथ; इन आंकड़ों से समझिए विपक्ष को कहां करना होगा खेल?
बीजेपी की रणनीति और आंकड़ों के इतर कुछ समीकरण विपक्ष का हौसला बढ़ाने वाला है. विपक्ष अगर इन समीकरण को साधने में कामयाब हो जाती है, तो वो मोदी के विजयी रथ को रोक सकती है.
2024 में मोदी के विजयी रथ को रोक पाएगा विपक्ष? यह सवाल आए दिन चौक-चौराहे से लेकर सत्ता के गलियारों तक में पूछा जाता है. सवाल पूछे जाने की वजह भी 2 है. पहला, बीजेपी चुनाव से 4 महीने पहले ही मिशन-400 में जुट गई है, तो दूसरी तरफ विपक्ष में सीट बंटवारे का झगड़ा भी नहीं सुलझा है.
सवाल पूछे जाने की दूसरी बड़ी वजह उत्तर भारत खासकर हिंदी बेल्ट में बीजेपी का परफॉर्मेंस है. हालिया 3 राज्यों के चुनाव में बीजेपी ने कांग्रेस को बुरी तरह हराया है. तीनों ही राज्यों में बीजेपी को औसत वोट प्रतिशत 45 फीसदी रहा है. इसके मुकाबले कांग्रेस को सिर्फ 40 प्रतिशत वोट मिले हैं.
बीजेपी ने 2024 में 50 प्रतिशत वोट लाने का लक्ष्य रखा है. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि मनोवैज्ञानिक बढ़त हासिल करने के लिए बीजेपी ने शिगूफा छोड़ा है, जिससे बिखरा विपक्ष बैकफुट पर चला जाए.
एबीपी-सी वोटर ओपिनियन पोल के आंकड़े भी बीजेपी के पक्ष में ही दिख रहे हैं. ओपिनियन पोल के इस आंकड़े के मुताबिक अगर अभी चुनाव हुए, तो बीजेपी को 295-335 सीटें मिल सकती है. इस ओपिनियन पोल में विपक्ष को अधिकतम 205 सीटें मिलने की संभावनाएं जताई गई है.
बीजेपी की रणनीति और आंकड़ों के इतर कुछ समीकरण विपक्ष का हौसला बढ़ाने वाला है. विपक्ष अगर इन समीकरण को साधने में कामयाब हो जाता है, तो वो मोदी के विजयी रथ को रोक सकती है.
इंडिया और एनडीए के दलों के पास कितनी सीटें हैं?
एनडीए में बीजेपी समेत 38 दल है, जिसके पास वर्तमान में लोकसभा की 332 सीटें हैं. यह कुल लोकसभा सीटों का 60 फीसद है. 28 दलों वाले विपक्ष के पास 141 सीटें हैं.
राज्य सरकार की बात की जाए, तो विपक्ष की 10 राज्यों में सरकार है, जबकि 15 से ज्यादा राज्यों में एनडीए की सरकार है. लोकसभा की सबसे ज्यादा सीटें यूपी (80), महाराष्ट्र (48), पश्चिम बंगाल (42), बिहार (40) और तमिलनाडु (39) में हैं.
इन टॉप 5 राज्यों में से 3 राज्यों में इंडिया गठबंधन की तो 2 राज्यों में एनडीए की सरकार है.
3 आंकड़ों से समझिए विपक्ष को कहां करना होगा खेल?
इन राज्यों में छोटी पार्टियां जीत की गारंटी
सी-वोटर के मुताबिक असम, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, पूर्वोत्तर, ओडिशा और पश्चिम बंगाल की 153 सीटों पर अन्य पार्टियां काफी महत्वपूर्ण है. ओपिनियन पोल के मुताबिक यहां एनडीए को 42 प्रतिशत वोट मिल सकता है, जिससे वो 80-90 सीटें आसानी से जीत सकती है.
इंडिया गठबंधन को 38 प्रतिशत वोट मिलने का अनुमान जताया गया है. इंडिया गठबंधन को इन राज्यों में 50-60 सीटें मिलने की बात कही गई है. अन्य पार्टियों के खाते में 20 प्रतिशत वोट और 10-20 सीटें जाने की संभावनाएं जताई गई है.
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इंडिया गठबंधन अगर इन राज्यों में अपना समीकरण दुरुस्त कर लेता है और छोटी पार्टियों का वोट 4-5 प्रतिशत तक शिफ्ट करा लेता है, तो यहां सीटों का हिसाब-किताब उलट सकता है.
बंगाल, बिहार और झारखंड में इंडिया गठबंधन ने छोटे-छोटे दलों को जोड़ने का काम जरूर किया है, लेकिन असम और ओडिशा में अभी भी छोटे दलों से समझौते पर बात नहीं बनी है.
यहां कांग्रेस को करनी होगी ज्यादा मेहनत
सी-वोटर के मुताबिक भारत के उत्तर भाग में स्थित दिल्ली, हरियाणा, यूपी, पंजाब, उत्तराखंड, कश्मीर, एमपी, राजस्थान और हिमाचल में लोकसभा की कुल 180 सीटें हैं.
ओपिनियन पोल डेटा के मुताबिक लोकसभा चुनाव में इन राज्यों से एनडीए गठबंधन को 150-160 सीटें मिल सकती है. इंडिया को 20-30 सीट मिलने की बात कही गई है.
इन राज्यों के औसत वोट प्रतिशत में भी काफी अंतर है. एनडीए को इन राज्यों में 50 प्रतिशत तो इंडिया को 36 प्रतिशत वोट मिलने की संभावनाएं व्यक्त की गई है.
दिलचस्प बात है कि उत्तर भाग के अधिकांश राज्यों में एनडीए के बीजेपी का सीधा मुकाबला इंडिया के कांग्रेस से है. इनमें एमपी, हरियाणा, राजस्थान, उत्तराखंड, हिमाचल प्रमुख है.
इन राज्यों में पिछले चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ 1 सीट मिली थी. कांग्रेस अगर इस बार यहां अच्छा प्रदर्शन करती है, तो 2024 का खेल पलट सकता है.
इन राज्यों में कांग्रेस के बेहतर परफॉर्मेंस की बात इसलिए भी कही जा रही है-
1. सी-वोटर के मुताबिक 30.04 % लोगों का कहना है कि राजस्थान में वसुंधरा और मध्य प्रदेश में शिवराज के मुख्यमंत्री नहीं बनाए जाने से लोकसभा चुनाव में बीजेपी को नुकसान हो सकता है. दोनों ही राज्यों में बीजेपी ने नए चेहरे को सीएम की कुर्सी सौंपी है. पिछले चुनाव में दोनों ही राज्यों में बीजेपी ने एकतरफा जीत हासिल की थी.
2. सी-वोटर के मुताबिक 44.4 प्रतिशत लोगों का कहना है कि कांग्रेस को इन राज्यों में नई लीडरशिप से लोकसभा चुनाव में फायदा होगा. कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में जीतू पटवारी और छत्तीसगढ़ में दीपक बैज को प्रदेश की कमान सौंपी है.
3. हरियाणा और हिमाचल में कांग्रेस 2019 के मुकाबले मजबूत हुई है. हिमाचल में तो पार्टी की सरकार है. 2019 में इन दोनों राज्यों के 14 सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की थी.
इन राज्यों में क्लीन स्वीप का मौका
दक्षिण के 5 राज्यों में बीजेपी की हालत ठीक नहीं है. यहां इंडिया गठबंधन चाहे, तो क्लीन स्वीप भी कर सकता है. सी-वोटर ओपिनियन पोल के मुताबिक दक्षिण के 5 राज्यों में एनडीए को 20-30 सीटें मिल सकती है.
इंडिया गठबंधन को 70-80 और अन्य पार्टियों को 25-35 सीटें मिलने की बात कही गई है. बीजेपी सिर्फ कर्नाटक और तेलंगाना में ही मजबूत स्थिति में है. अगर कांग्रेस यहां मोर्चाबंदी करती है, तो दक्षिण में बीजेपी को काफी नुकसान हो सकता है.
पिछली बार बीजेपी को दक्षिण भारत के कर्नाटक में 25 और तेलंगाना में 4 सीटें मिली थी. दोनों ही राज्यों में 2019 की तुलना में कांग्रेस मजबूत हुई है.
कर्नाटक और तेलंगाना में वर्तमान में कांग्रेस की सरकार है.
इन मोर्चों पर भी करना होना विपक्ष को काम
सी-वोटर के सर्वे में विपक्ष की 2 बड़ी खामियां सामने आई है. पहली बड़ी खामी एकजुटता को लेकर है. सर्वे में पूछा गया कि चुनाव तक विपक्षी गठबंधन INDIA एकजुट रह पाएगा? तो 50 फीसदी लोगों ने नहीं में और 37 फीसदी लोगों ने हां में जवाब दिया.
जानकारों का कहना है कि हर मीटिंग के बाद कलह की खबरें जिस तरह से सामने आती है, इससे जनता के बीच गलत संदेश जाता है.
दूसरी बड़ी खामी चेहरे को लेकर है. सर्वे में 34 प्रतिशत लोगों ने राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद के लिए उपर्युक्त चेहरा माना, जबकि 13 प्रतिशत ने सीएम अरविंद केजरीवाल, 10 प्रतिशत ने नीतीश कुमार, 9 प्रतिशत ने ममता बनर्जी का नाम लिया.
विपक्ष को चुनाव से पहले इस विवाद को पूरी तरह सुलझाना होगा और सभी बड़े नेताओं को अपने समर्थकों को मजबूत संदेश देना होगा, तभी बात बन सकती है.