हिन्दुस्तान के गले की फांस है भ्रष्टाचार! सर्वे में सामने आई घूसखोरी की असल तस्वीर

नई दिल्ली: भ्रष्टाचार हमारे देश में एक गम्भीर समस्या है जिसका शिकार हम में से कई लोग हुए होंगे. आपमें से कई लोगों ने कभी न कभी रिश्वत दी होगी. कई लोग अपना काम जल्दी कराने के लिए रिश्वत देते हैं और कुछ न चाहते हुए भी रिश्वत खोरी का शिकार हो जाते हैं.

सर्वे से खुलीं देश में भ्रष्टाचार की परतें

देश में भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहराई तक फैली हुई हैं. ये जानने के लिए देश के 20 राज्यों में एक संस्था ने सर्वे कराया जिसमें करीब 81,000 लोगों ने हिस्सा लिया. इस सर्वे के मुताबिक 51% लोगों ने ये कबूला कि उन्होंने पिछले एक साल के अंदर रिश्वत दी है. हालांकि, राहत की बात ये है कि 2018 के सर्वे में 56% लोगों ने माना था कि उन्होंने पिछले एक साल में रिश्वत दी है. इस लिहाज से रिश्वत खोरी में कुछ कमी जरुर आई है.

ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया के कार्यकारी निदेशक रामा नाथ झा ने बताया कि ’51 प्रतिशत लोगों ने बोला है कि उनको रिश्वत देना पड़ा है. विश्व के जो अन्य सर्वे है इसी तरह के उस सर्वे की तुलना में थोड़ा सा अलर्मिंग है. क्योंकि विश्व के बाकी देशों के सर्वे का मोटा मोटी बात करे तो हमारे यहां दो में से एक ने रिश्वत दी है. जबकि विश्व का औसत तीन में से एक व्यक्ति के रिश्वत देने का है.’

कोशिशों के बावजूद नहीं लग पाया लगाम

आजकल ज्यादातर सरकारी दफ्तरों में कम्पयूटराइज तरीके से काम होता है. और अब कई जगहों पर सीसीटीवी कैमरे लगे होते हैं. जिससे भ्रष्टाचार पर नजर रखी जा सके. लेकिन, इस रिपोर्ट की माने तो भ्रष्टाचार पर लगाम कसने में इन उपायों का कोई खास असर नहीं हुआ है. बड़ी संख्या में लोगों बताया कि उन्होंने दफ्तर में ही रिश्वत दी. सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक भ्रष्टाचार के मामले में राजस्व और पुलिस विभाग सबसे ऊपर है. जिसके बाद नगर पालिका और परिवहन विभाग का नंबर आता है.

हिंदुस्तान में भ्रष्टाचार के प्रति जागरुकता एक बड़ी समस्या है. ज्यादातर लोगों को पता ही नही होता कि अगर कोई उनसे रिश्वत मांगे तो उन्हें क्या करना है. भ्रष्टाचार के खिलाफ देश में कड़े कानून है. कई बड़ी बड़ी जांच एजेंसियां और संस्थाएं हैं. कई हेल्पलाइन नंबर हैं. लेकिन इस सर्वे में ये खुलासा हुआ कि ज्यादातर लोगों को भ्रष्टाचार की शिकायत करने वाले हेल्पलाइन नंबर के बारे में कोई जानकारी नहीं है. ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि सिर्फ कानून बनाने से क्या भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा.

साफ है सरकारों की ओर से भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए कदम तो बहुत उठाए गए है. लेकिन, सरकारी तंत्र के अंदर भ्रष्टाचार की जड़े इतनी गहरी पैठ बना चुकी है कि सिर्फ नियम-कानून बनाने भ्रष्टाचार का खात्मा नहीं होगा बल्कि उसके लिए सरकारों को बड़ी पहल करनी होगा. हालांकि कालेधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ मोदी सरकार ने नोटबंदी जैसे कड़े फैसले किए. जिसका असर ये है कि भ्रष्टाचार के मामले में भारत की विश्व में रैंकिंग में कुछ सुधार हुआ है. लेकिन इस समस्या से निपटने के लिए अभी और कई कड़े कदमों की जरुरत है.

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