विकसित देश बनाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं प्रवासी भारतीय
अर्थव्यवस्था की ताकत: विकसित देश बनाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं प्रवासी भारतीय
इन दिनों पूरी दुनिया में प्रवासी भारतीयों से संबंधित दो खास बातें रेखांकित हो रही हैं। पहला, जहां प्रवासी भारतीय अर्थव्यवस्था को बल दे रहे हैं, वहीं भारत भी अपने प्रवासियों के हितों की रक्षा का प्रभावी हिमायती बना हुआ है। दूसरा, 28 दिसंबर को भारत ने कतर में जिन आठ नौसेना के पूर्व भारतीय अधिकारियों की फांसी की सजा को घटवाने में कूटनीतिक भूमिका निभाई है, उनमें एक पूर्णेदु तिवारी भी हैं, जिन्हें 2019 में प्रवासी भारतीय सम्मान से नवाजा गया था।
गौरतलब है कि जहां वर्ष 2022 में प्रवासी भारतीयों ने 100 अरब डॉलर की धनराशि स्वदेश भेजी, वहीं 2021 में 87 अरब डॉलर की राशि भेजी थी। जब वर्ष 2020 में कोविड-19 के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था 7.3 फीसदी की ऋणात्मक विकास दर की स्थिति में पहुंच गई थी, तब भी आर्थिक मुश्किलों के बीच भारतीय प्रवासियों द्वारा भेजी गई 83 अरब डॉलर की धनराशि से यहां की अर्थव्यवस्था को बड़ा सहारा मिला था। यह छोटी बात नहीं है कि प्रवासियों से धन प्राप्त करने वाले दुनिया के विभिन्न देशों की सूची में भारत वर्ष 2008 से अब तक पहले स्थान पर बना हुआ है। अतीत में जब भी देश के विदेशी मुद्रा भंडार में तेज गिरावट आई, प्रवासियों ने मुक्त हस्त से विदेशी मुद्रा कोष को बढ़ाने में सहयोग दिया है।
बीते वर्ष भारत की अध्यक्षता में आयोजित जी-20 को अभूतपूर्व सफलता दिलाने में भी प्रवासी भारतीयों की अहम भूमिका रही है। विभिन्न देशों में संकटों के बीच फंसे भारतीय प्रवासियों को बचाने और भारत वापसी के लिए महत्वपूर्ण अभियान चलाए हैं। सरकार के मुताबिक, विदेशों में फंसे भारतीयों की मदद के लिए सरकार की ओर से 2014 से दिसंबर, 2023 तक 626 करोड़ रुपये खर्च किए गए, जिससे 3.42 लाख भारतीयों की मदद की गई। वर्ष 2023 में इस्राइल और हमास के बीच जारी खूनी संघर्ष में इस्राइल में फंसे भारतीय नागरिकों और प्रवासी भारतीयों की सुरक्षित वतन वापसी के लिए भारत ने ‘ऑपरेशन अजय’ चलाया है। जब वर्ष 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण यूक्रेन में भारतीय समुदाय सीधे खतरे में आ गया था, तब ‘ऑपरेशन गंगा’ के तहत बड़ी संख्या में भारतीयों को सुरक्षित स्वदेश लाया गया था।
लेकिन अभी भारत द्वारा अपने प्रवासियों के दुख-दर्द कम करने में और अधिक सहयोग किए जाने की आवश्यकता है। खाड़ी देशों में भारतीय कामगार बड़ी संख्या में हैं, पर ऐसे भारतीयों की संख्या बढ़ती जा रही है, जो गलत लोगों या संस्थाओं के हाथ लगकर दुर्दशा के शिकार हो गए हैं। हाल ही में केंद्र की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि 33 हजार से अधिक भारतीय कामगार खाड़ी के देशों में गुलामों की तरह रहने को मजबूर हैं। विदेश मंत्रालय को मार्च, 2021 से वर्ष 2023 के बीच अरब देशों से छह शिकायतें मिली हैं। यद्यपि भारत सरकार ने इन शिकायतों पर संबंधित देशों की सरकारों से दखल देने को कहा है, पर इस दिशा में केंद्र की और अधिक सक्रियता जरूरी है।
उम्मीद करें कि नए वर्ष 2024 में प्रवासियों के साथ स्नेह व सहभागिता के नए अध्याय लिखे जा सकेंगे। साथ ही प्रवासी भारतीय अपने ज्ञान व कौशल की शक्ति से भारतीय अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने, वर्ष 2027 तक भारतीय अर्थव्यवस्था को दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने और वर्ष 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने की डगर पर तेजी से आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाते हुए दिखाई देंगे।