MP में कंगाल निकाय, दो ठेकेदारों का सुसाइड !
MP में कंगाल निकाय, दो ठेकेदारों का सुसाइड …
ग्वालियर महापौर ने गाड़ी लौटाई, जबलपुर निगमायुक्त ने कहा-आर्थिक हालत खस्ता
3 दिसंबर 2023 को इंदौर नगर निगम के ठेकेदार अमरजीत सिंह भाटिया उर्फ पप्पू (65) ने एसिड पीकर जान दे दी। ठीक 39वें दिन जबलपुर नगर निगम में ठेकेदार भगवान सिंह ठाकुर (55) ने खुद को गोली मार ली। दोनों सुसाइड की वजह नगर निगम की कंगाली बनी। अमरजीत के 14 करोड़ रुपए का भुगतान अटका था। वहीं, भगवान सिंह के 70 लाख रुपए फंसे हैं। बेटे के इलाज और अगले महीने बिटिया की शादी के तनाव में उन्होंने जान दे दी।
दैनिक भास्कर ने ठेकेदारों के सुसाइड के बाद प्रदेश के सभी नगर निगम और निकायों की वित्तीय हालात की पड़ताल की। पता चला कि प्रदेश के निकायों की वित्तीय हालत खराब है। विकास काम ठप पड़े हैं। ग्वालियर महापौर ने खराब वित्तीय हालत के चलते गाड़ी लौटा दी। मुरैना की महापौर ने बताया कि नगर निगम के सारे काम रुके पड़े हैं। करोड़ों का भुगतान अटकने से ठेकेदार ब्याज पर पैसे लेने को मजबूर हैं। सिर्फ चहेतों और कमीशन देने वालों के बिल पास हो रहे हैं। पढ़ें, प्रदेश में निकायों की कंगाली से जुड़ी ये रिपोर्ट…
जबलपुर में भगवान सिंह ने लिया था ISBT में सफाई का ठेका
जबलपुर के बंधैया मोहल्ला निवासी भगवान सिंह ठाकुर (55) जबलपुर नगर निगम में ठेकेदार थे। नगर निगम ने 8 महीने पहले पीपीपी मोड पर आईएसबीटी (अंतरराज्यीय बस टर्मिनस) की सफाई का ठेका भगवान सिंह को दिया था। इस परिसर से ढाई हजार से अधिक बसों का संचालन होता है। लगभग ढाई से तीन लाख यात्री रोज सफर करते हैं।
जबलपुर नगर निगम के हेल्थ ऑफिसर ने बताया कि आईएसबीटी में होर्डिंग, शौचालय, रैन बसेरा और सर्विस सेंटर से कमाई के एवज में सफाई का ठेका दिया गया था। इसके अतिरिक्त ठेकेदार को हर महीने 31 हजार रुपए नगर निगम को देना थे। आठ महीने के हिसाब से भगवान सिंह को 2.48 लाख रुपए का भुगतान करना था, जो नहीं किया गया है।
भगवान सिंह का 60 से 70 लाख रुपए बकाया कैसे था?
दरअसल, भगवान सिंह ने मां नर्मदा सफाई सेवा समिति के संचालक धीरेंद्र दीवान के साथ मिलकर जोन क्रमांक 10, 14 व 15 के वार्डों में सफाई का काम भी लिया था। ये ठेका समिति के नाम से था और मई 2023 से काम भगवान सिंह कर रहे थे। समिति को इसके एवज में उन्हें 70 लाख रु. का भुगतान करना था जो नहीं किया था। समिति को भी नगर निगम से ही पैसा मिलना था। पैसा नहीं मिला तो छह महीने बाद समिति ने सफाई का ठेका छोड़ दिया और भगवान सिंह को भी पेमेंट नहीं किया।
भुगतान को लेकर वे नगर निगम कमिश्नर से भी मिले थे। सफाई कर्मियों को हर महीने वेतन देना पड़ रहा था। भगवान सिंह ने दूसरों से पैसा लेकर सफाईकर्मियों को पैसा दिया। इधर, भगवान सिंह की बेटी की 18 फरवरी को शादी की तारीख तय है। बेटा शिवा भी बीमार रहता है। उसके इलाज में भी लाखों रुपए खर्च हो चुके हैं। इसी तनाव में 10 जनवरी की सुबह 10 बजे भगवान सिंह ने खुद को कमरे में बंद कर गोली मार ली। पत्नी अनीता के मुताबिक उनके पति ने सुसाइड नोट में पूरी व्यथा लिखी है।
फैक्ट : जबलपुर नगर निगम के सफाई, पीडब्ल्यूडी, उद्यान विभाग के 20 से अधिक ठेकेदारों का 130 करोड़ से अधिक का बकाया है। 100 करोड़ से अधिक के विकास कार्य अटके पड़े हैं। 79 पार्षदों का 60-60 लाख रुपए मद के काम भी नहीं हो पा रहे हैं। कमिश्नर ने सिर्फ 10-10 लाख रुपए तक के कामों को ही अभी कराने का आश्वासन दिया है।
3 दिसंबर को इंदौर में ठेकेदार अमरजीत ने क्यों किया सुसाइड?
3 दिसंबर को इन्हीं हालात में इंदौर के तुकोगंज निवासी अमरजीत सिंह पप्पू भाटिया (65) ने एसिड पीकर सुसाइड कर लिया था। भाटिया नगर निगम के सभी कामों को समय सीमा में पूरा करते थे। बावजूद उनका भुगतान अटका हुआ था। वे मार्केट से ब्याज पर रुपए लेकर फंस चुके थे। इंदौर नगर निगम से उन्हें 14 करोड़ रुपए लेने थे।
महापौर पुष्यमित्र भार्गव का दावा है कि भाटिया का अप्रैल से नवंबर के बीच 22 करोड़ रुपए का भुगतान हुआ था। 14 करोड़ का ही बकाया था।
सूत्र बोला- निगम के अधिकारी ने अमरजीत से गिफ्ट में मांगी थी कार
पिछले साल इंदौर में हुए दो बड़े आयोजन (प्रवासी भारतीय सम्मेलन और इन्वेस्टर्स समिट) के लिए पेवर ब्लॉक, न्यू वॉल पेंटिंग, पाइप, लोहे की जाली और चैम्बर्स के सौंदर्यीकरण का ठेका एक निजी कंपनी को मिला था। सूत्र बताते हैं कि नगर निगम के एक अधिकारी ने प्रभाव का इस्तेमाल कर अमरजीत को पेटी कांट्रैक्ट दिलाया था। ये पूरा काम 5 करोड़ का था। इस अधिकारी ने काम दिलाने के एवज में अमरजीत से नई कार गिफ्ट में ली थी। कार के लोन की किस्त अमरजीत को भरना पड़ रही थी। काम होने के बाद इस अधिकारी ने अमरजीत का पेमेंट अटका दिया।
सूत्र का कहना है कि अमरजीत अधिकारी से कहता था कि या तो पेमेंट कर दें या कार वापस दे दें तो अधिकारी बिल क्लियर ना करने की धमकी देता था। अधिकारी की इस करतूत का पता आला अधिकारियों को चला। जब अधिकारी से पूछताछ की गई तो मामले का खुलासा हुआ। इसके बाद इस अधिकारी को वीआरएस दे दिया। अमरजीत के पेमेंट होल्ड कर दिए गए। इसी के चलते अमरजीत को जान देनी पड़ी।
फैक्ट : इंदौर नगर निगम के ठेकेदारों का 200 करोड़ से अधिक का बकाया है। इसकी वजह से विकास के कई कार्य अटके हुए हैं। हालांकि, महापौर पुष्यमित्र भार्गव का दावा है कि विकास कार्यों के लिए फंड की कमी नहीं है।
ठेकेदार बोला- नगर निगम में कमिश्नर से ज्यादा पावरफुल होता है ‘लेखाधिकारी’
…… ने नगर निगम में होने वाले कमीशन के खेल को समझने के लिए एक निकाय में ठेका लेने वाले ठेकेदार से बात की। इस सोर्स का दावा है कि नगर निगम में बिना कमीशन दिए ठेकेदारों के बिल पेमेंट नहीं होते। ये खेल लेखाधिकारी की ओर से किया जाता है। हर ठेकेदार को ठेका लेने से पहले अर्नेस्ट मनी के तौर पर सिक्योरिटी जमा करनी पड़ती है। गारंटी अवधि खत्म होने के बाद नियमानुसार ये राशि वापस कर देना चाहिए, पर बिना 15 से 20 प्रतिशत कमीशन दिए पैसे लौटाए नहीं जाते।
ठेकेदार ने बताया कि-इसके अलावा शासन से भी अलग-अलग विकास कार्यों के लिए फंड जारी किए जाते हैं। इसे एक्यूआई फंड कहते हैं। नियम से इस फंड को दूसरे कामों पर खर्च नहीं किया जा सकता है। लेखाधिकारी बिना नगर निगम कमिश्नर की इजाजत के 4 से 5 प्रतिशत कमीशन लेकर मद को पलट कर उनके बिल का भुगतान कर देते हैं।
ग्वालियर महापौर वापस कर चुकी हैं गाड़ी
ग्वालियर नगर निगम की हालत भी खराब है। वहां की महापौर शोभा सिकरवार ने नगर निगम की सरकारी गाड़ी लौटा दी है। उनका कहना है कि जब नगर निगम की वित्तीय हालत इतनी दयनीय है, तो वे इस पर भार नहीं डालेंगी। वे अपने वाहन का प्रयोग कर रही हैं।
हालत खस्ता होने पर सरकार ने चुंगी क्षतिपूर्ति राशि जारी की
इंदौर के बाद जबलपुर में ठेकेदार के सुसाइड के मामले पर हंगामा बढ़ा तो आनन-फानन में नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने प्रदेश के सभी 418 निकायों को चुंगी क्षतिपूर्ति के 226 करोड़ 74 लाख रुपए ट्रांसफर कर दिए। दरअसल निकायों की खराब वित्तीय हालत के चलते कर्मचारियों के वेतन पर संकट खड़ा हो गया था। नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के निर्देश पर ये फंड जारी किया गया।