मध्यप्रदेश: स्कॉलरशिप और अनुदान के भुगतान में 162 करोड़ का फर्जीवाड़ा ?

डेटा एनालिसिस की मदद से पकड़ी गड़बड़ी
मध्यप्रदेश में 5 साल में वेतन, स्कॉलरशिप और अनुदान के भुगतान में 162 करोड़ का फर्जीवाड़ा
भोपाल

प्रदेश सरकार के 10 लाख से अधिक कर्मचारियों का वेतन, कार्यालय के खर्चे, अनुदान, स्कॉलरशिप सहित तमाम तरह के भुगतान इसी व्यवस्था से होते हैं।वित्त विभाग ने डेटा एनालिसिस और इंटेलिजेंस टूल का उपयोग करके कई विभागों में हुए गंभीर वित्तीय अनियमितता के प्रकरणों की जांच की। पिछले 5 सालों में 85 लाख बिलों से हुए करोड़ों के भुगतान की जांच आधुनिक टूल्स से की गई।

अनियमित भुगतान का पहला मामला मार्च 2023 में इंदौर में मिला था। कलेक्टाेरेट के एक बाबू मिलाप चौहान ने धोखाधड़ी से सरकारी भुगतान की राशि अपने और परिचितों के खातों में ट्रांसफर कर ली थी। जांच में कई कर्मचारियों सहित पूरा नेटवर्क मिला था। इसके बाद ऐसे संदिग्ध मामले जांच में लिए गए और जांच का दायरा बढ़ता गया। अब तक कुल 162 करोड़ के गलत भुगतान के मामले पकड़ में आ चुके हैं। इन पर कार्रवाई करते हुए अब तक लगभग 15 करोड़ की वसूली की जा चुकी है।

एक कर्मचारी को बर्खास्त किया

एक मामले में दोषी कर्मचारी बर्खास्त किया गया है और इंदौर, भोपाल, उज्जैन सहित कई जिलों के लगभग 180 मामलों में संबंधित अधिकारी-कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय जांच शुरू की गई है। गौरतलब है कि कमर्शियल टैक्स विभाग द्वारा भी टैक्स इवेजन के मामले में डेटा एनालि​सिस -इंटेलिजेंस टूल का उपयोग करते हुए बीते 1-1.5 साल में कई बार कार्रवाई की गई हैं। इनमें बोगस जीएसटी फर्म्स की जांच भी शामिल है।

भविष्य में एआई के उपयोग से जांच में आएगी और तेजी

अधिकारियों के मुताबिक आने वाले समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के उपयोग से स्टेट फाइनेंशियल इंटेलिजेंस सेल को मजबूत करके अनियमित भुगतानों की जांच में तेजी लाई जाएगी। फिलहाल डाटा एनालिसिस -इंटेलिजेंस टूल का उपयोग करते हुए संदिग्ध भुगतान चिह्नित किए जाते हैं। बाद में संभागीय संयुक्त संचालक ट्रेजरी -अकाउंट्स जांच के आदेश देते हैं। गड़बड़ी की पुष्टि हो जाती है तो कलेक्टर कानूनी कार्रवाई करते हैं।

मंत्री बोले- एफआईआर होगी

वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने कहा कि भुगतान संबंधी लापरवाही के मामलों में विभागीय जांच जारी हैं, दोषियों पर एफआईआर भी की जाएगी।

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