भारत में बेहाल विमान सेवा ?
भारत में बेहाल विमान सेवा: हर साल 8 हजार फ्लाइट्स रद्द, 17% यात्री लेटलतीफी से परेशान, आखिर माजरा क्या है?
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा घरेलू विमानन बाजार है. इंडिगो भारत की सबसे बड़ी एयरलाइंस कंपनी है, जिसकी 55 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी है.
गुस्साए यात्री ने पायलट पर हमला बोल दिया. इस घटना ने एयरलाइंस की व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े कर दिए है.
फ्लाइट्स का लेट या कैंसिल होना, खचाखच भरे विमान, किराए में बेतहाशा बढ़ोतरी और यात्रियों के सामान को लेकर परेशानियां आम हो गई हैं. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखिर देश में एयरलाइंस की क्या स्थिति है, किस वजह से यात्री परेशान होते हैं और किन मुद्दों पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है.
भारत में कितने यात्री प्लेन से करते हैं सफर?
फ्लाइट से यात्रा करने वाले लोगों की संख्या तेजी बढ़ रही है. 2023 में भारत में 15.2 करोड़ से ज्यादा यात्रियों ने हवाई यात्रा की. नवंबर में 9% की बढ़ोतरी हुई और महीने में 1.27 करोड़ लोगों ने हवाई यात्रा की.
2023-24 में 371 मिलियन यात्रियों और 2024-25 में 412 मिलियन यात्रियों के उड़ान भरने की उम्मीद है. हालांकि कई यात्री एयरलाइन कंपनियों की सर्विस से संतुष्ट नहीं हैं. यात्री ज्यादा किराए, उड़ान रद्द होना, देरी, सामान का खोना-टूटना, फ्लाइट में महंगा खाना और कर्मचारियों के खराब व्यवहार जैसी शिकायतें कर रहे हैं.
DGCA ने एयरलाइंस को दिए निर्देश
एयरलाइंस का मुद्दा चर्चा में है. सोशल मीडिया पर यात्री एयरलाइंस कंपनियों के खिलाफ अपना गुस्सा उतार रहे हैं. विवाद इतना ज्यादा बढ़ गया कि केंद्रीय सिविल एविएशन मिनिस्टर ज्योतिरादित्य सिंधिया को शांति की अपील करनी पड़ी.
सिंधिया ने लोगों से कठिन समय में सहयोग करने का अनुरोध किया. इसके बाद डीजीसीए ने एयरलाइंस कंपनियों के लिए एक निर्देश जारी किया.
अब ऐसा संभव है कि कोई फ्लाइट लेट होने की संभावना को देखते हुए पहले ही कैंसल कर दी जाए. विमान नियामक संस्था डीजीसीए ने निर्देश दिया है अगर उड़ान में तीन घंटे से ज्यादा देरी होने की संभावना है तो कंपनियां उन उड़ानों को पहले ही रद्द कर सकती हैं.
क्या यात्रियों को पहली बार ऐसी परेशानी हुई?
ये पहली बार बिल्कुल नहीं है. यात्री अक्सर अपने हवाई सफर के अनुभव को लेकर शिकायत करते रहे हैं. लोकलसर्कल्स ने हवाई यात्रियों का अनुभव जानने के लिए एक सर्वे किया. 284 जिलों के 25,000 से ज्यादा यात्रियों ने सर्वे में हिस्सा लिया.
78 फीसदी यात्रियों ने बताया पिछले 2 सालों में उन्हें एक या ज्यादा समस्याओं का सामना करना पड़ा. बाकी 22 फीसदी ने कहा कि उन्हें कोई समस्या नहीं हुई. मतलब ये है कि 10 में से करीब 8 लोगों को हवाई सफर करते वक्त कोई न कोई दिक्कत हुई है.
- इनमें सबसे ज्यादा 39 फीसदी यात्रियों ने बताया कि उन्हें प्लेन में मिलने वाला खाना-पीना और एंटरटेनमेंट पसंद नहीं आया.
- 35 फीसदी यात्रियों को बोर्डिंग, चेक-इन और बैगेज हैंडलिंग में दिक्कतें हुईं
- 30 फीसदी लोगों को फ्लाइट का इंटीरियर पसंद नहीं आया. जैसे- सीट, एंटरटेनमेंट का तरीका
- 17 फीसदी ने बताया कि एयरलाइन कंपनियां उड़ान से जुड़ी जरूरी जानकारी समय पर नहीं देती हैं
- 17 फीसदी को फ्लाइट देरी से उड़ने की वजह से परेशानी हुई
- 9 फीसदी लोगों को फ्लाइट और एयरपोर्ट पर एयरलाइंस कर्मचारियों का व्यवहार अच्छा नहीं लगा
कई लोगों को एयरलाइन काउंटर पर कुछ मिनट देरी से पहुंचने के कारण बोर्डिंग नहीं करने दिया गया. इसके बाद उन्हें अगली उड़ान के लिए एयरलाइन के टिकट काउंटर पर ले जाया गया और एक्स्ट्रा चार्जेंस लिए गए.
क्या यात्रियों की सुविधाओं में की जा रही कटौती?
लोकलसर्कल्स इंडिया एयरलाइन पैसेंजर सेंटीमेंट सर्वे में पूछे गए दूसरे सवाल के जवाब में 88 फीसदी लोगों ने कहा कि एयरलाइन कंपनियां यात्रियों की सुविधाओं में कटौती कर रही हैं.
यही सवाल 2022 में पूछा गया था तब 78 फीसदी लोगों ने ‘हां’ में ज्यादा दिया था. यानी कि यह आंकड़ा 2022 में हुए सर्वे के मुकाबले 9 फीसदी अधिक है.
सर्वेक्षण में शामिल यात्रियों ने कहा कि एविएशन रेगुलेटर को समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए और एयरलाइन कंपनियों को यात्रियों की सुविधाओं में सुधार करने के लिए मजबूर करना चाहिए.
एयरलाइन कंपनियों द्वारा सुविधाओं में कटौती से यात्रियों की नाराजगी बढ़ रही है. इससे एयरलाइन कंपनियों की छवि को ही नुकसान होता है और फिर यात्री दूसरी एयरलाइन कंपनी चुनना पसंद करते हैं.
कितनी फ्लाइट्स होती हैं कैंसिल
केंद्रीय नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री डॉ. वीके सिंह ने अगस्त 2023 में एक सवाल के जवाब में राज्यसभा में बताया था 2017 के बाद से अबतक 56,607 शेड्यूल फ्लाइट्स रद्द कर दी गईं. इस कारण यात्रियों को 31.83 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया गया.
यह आंकड़ा चौंकाने वाला है और यात्रियों के लिए भारी परेशानी का कारण बनता है. खासकर, बिजनेस मीटिंग, मेडिकल इमरजेंसी या किसी जरूरी कार्यक्रम के लिए हवाई यात्रा करने वाले लोगों को सबसे ज्यादा नुकसान होता है.
विमान की देरी और रद्द होने के पीछे कई कारण बताए जाते हैं. जैसे खराब मौसम, तकनीकी खराबी, पायलटों की कमी और कभी-कभी एयरलाइंस द्वारा ओवरबुकिंग करना.
कोहरे के कारण क्यों नहीं उड़ पाती फ्लाइट
कोहरे और धुंध में फ्लाइट नहीं उड़ पाती है क्योंकि कोहरे की वजह से विजिबिलिटी कम हो जाती है. पायलट को उड़ान भरने और उतरने के लिए पर्याप्त विजिबिलिटी की आवश्यकता होती है. कोहरे में पायलट को विमान के आसपास की चीजें ठीक से देखने में मुश्किल होती है, जिससे दुर्घटना का खतरा बढ़ जाता है.
मानकों के अनुसार, लैंडिंग के लिए कम से कम 500 मीटर की विजिबिलिटी जरूरी होती है. इससे कम होने पर पायलट को लैंडिंग के लिए ऑटो सिस्टम का सहारा लेना पड़ता है. वर्तमान में उत्तर भारत के कई शहरों में विजिबिलिटी 100 मीटर से भी कम है. घना कोहरा होने की वजह रनवे दिखाई नहीं देता है.
कोहरे की वजह से होने वाली समस्याओं को हल करने के लिए कुछ उपाय किए जा रहे हैं. जैसे- इंस्ट्रूमेंटल लैंडिंग सिस्टम (ILS) पायलट को सुरक्षित रूप से विमान लैंड करने में मदद करता है, भले ही दृश्यता कम हो. लेजर टेक्नोलॉजी के जरिए भी पायलट को विमान के आसपास की चीजें देखने में मदद की जाती है.
भारत में एविएशन सेक्टर का भविष्य
भारत में एविएशन सेक्टर तेजी से बढ़ रहा है. हवाई यात्रा की मांग आसमान छू रही है और घरेलू एयरलाइंस कंपनियां इस उछाल का लाभ उठाने के लिए तैयार हैं. विमानन कंपनियां अपने बेड़े का विस्तार करने और नई तकनीकों में निवेश करने पर जोर दे रही हैं.
विदेशी कंपनियां भी भारत के एयरलाइन इंडस्ट्री में रुचि ले रही हैं. अबतक भारत में 3.76 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया जा चुका है. उधर एयरपोर्ट की संख्या बढ़ाने पर भी काम चल रहा है, ताकि देश के एक कोने से दूसरे कोने पर जाना आसान हो जाएगा.
भारत का लक्ष्य 2025 तक 220 नए एयरपोर्ट बनाने का है. इसके तहत आने वाले दिनों में एयरपोर्ट पर 1 लाख करोड़ रुपये के निवेश की योजना है. सरकार एयरपोर्ट के बुनियादी ढांचे में सुधार और विमानन ईंधन पर टैक्स कम करने पर भी काम कर रही है.
यूनियन बजट 2023-24 में सिविल एविएशन मिनिस्ट्री को 3225 करोड़ दिए गए हैं. 50 पुराने एयरपोर्ट को फिर से चालू किया जाएगा. छोटे शहरों को हवाई सेवा से जोड़ने के लिए ‘उड़ान’ योजना को 601 करोड़ रुपये दिए गए हैं. मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र में 16 नए एयरपोर्ट बनाए जाएंगे.