चंडीगढ़ में मेयर बनाने के लिए आप-कांग्रेस ने क्यों झोंक दी है पूरी ताकत?
2100 करोड़ बजट, 2 राज्यों की राजधानी… चंडीगढ़ में मेयर बनाने के लिए आप-कांग्रेस ने क्यों झोंक दी है पूरी ताकत?
मेयर चुनाव जीतने के लिए आप और कांग्रेस ने मजबूत मोर्चेबंदी की है. आप ने राज्यसभा सांसद राघव चड्डा की चंडीगढ़ में ड्यूटी लगाई है, तो वहीं कांग्रेस की ओर से मंत्री पवन बसंल कमान संभाल रहे हैं.
आप नेता और पार्षदों के साथ राघव चड्ढा
चंडीगढ़ का नया मेयर कौन होगा, इस सवाल पर सस्पेंस बरकरार है. गुरुवार (18 जनवरी) को मेयर पद के लिए नगर निगम कार्यालय में चुनाव होना था, लेकिन पीठासीन अधिकारी के बीमार होने की वजह से यह टल गया.
इधर, मेयर का चुनाव समय पर न होने की वजह से आप और कांग्रेस के नेताओं ने बवाल काट दिया है. इन नेताओं का कहना है कि बीजेपी के कहने पर पीठासीन अधिकारी ने बीमार होने का हवाला देकर चुनाव स्थगित करवाए हैं.
आप ने हाईकोर्ट का भी रुख किया है, जहां शनिवार (20 जनवरी) को सुनवाई होने की संभावना है. चंडीगढ़ नगर निगम में हर एक साल पर मेयर का चुनाव कराया जाता है. संख्या के लिहाज से इस बार आप और कांग्रेस का पलड़ा भारी है.
मेयर चुनाव जीतने के लिए आप और कांग्रेस ने मजबूत मोर्चेबंदी की है. पार्टी ने चुनाव जीतने के लिए राज्यसभा सांसद राघव चड्डा की चंडीगढ़ में ड्यूटी लगाई है, तो वहीं कांग्रेस की ओर से पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन बसंल कमान संभाल रहे हैं.
चंडीगढ़ नगर निगम पर बीजेपी हाईकमान की भी नजर है. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखिर नगर निगम के इस चुनाव में दोनों तरफ की पार्टियों ने क्यों पूरी ताकत झोंक दी है?
चंडीगढ़ में मेयर का चुनाव कितना अहम?
1. आप और कांग्रेस ने लोकसभा के लिए गठबंधन किया है. दोनों पार्टी निगम चुनाव के जरिए कार्यकर्ताओं और छोटे नेताओं का लिटमस टेस्ट कर रही है. चंडीगढ़ पंजाब और हरियाणा की राजधानी है. पंजाब और हरियाण की राजनीति में अगर कांग्रेस और आप का गठबंधन प्रयोग सफल हो जाता है, तो बीजेपी की मुश्किलें बढ़ सकती है.
2. ज्यादा पार्षद होने के बावजूद नगर निगम में आम आदमी पार्टी अपना मेयर नहीं बनवा पा रही है. पार्टी को कांग्रेस के साथ आने से उम्मीद बढ़ी है. 35 सदस्यीय चंडीगढ़ नगर निगम में भाजपा के 14, आप के 13 और कांग्रेस के सात पार्षद हैं. सदन में शिरोमणि अकाली दल का एक पार्षद है.
3. चंडीगढ़ में लोकसभा की एक सीट है. अगर कांग्रेस और आप का गठबंधन प्रयोग यहां सफल रहता है, तो इसका असर लोकसभा सीट पर भी पड़ेगा. वर्तमान में चंडीगढ़ सीट पर बीजेपी का कब्जा है.
अब 4 प्वॉइंट्स में समझिए चंडीगढ़ नगर निगम की पूरी कहानी
1. चंडीगढ़ नगर निगम का भौगोलिक क्षेत्र
केंद्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ पंजाब और हरियाणा राज्य की राजधानी है. शहरी एवं आवास मंत्रालय के मुताबिक चंडीगढ़ का कुल क्षेत्र 114 स्क्वायर किलोमीटर है, जिसमें से 79.5 स्क्वायर किलोमीटर क्षेत्र नगर निगम के अधीन है. यह कुल क्षेत्र का लगभग 2 तिहाई हिस्सा है.
मंत्रालय के मुताबिक कुल क्षेत्र के 40 प्रतिशत भाग में आम लोग रहते हैं, जबकि 40 प्रतिशत भाग में जंगल बसाया गया है और बाकी के बचे 20 प्रतिशत हिस्से में सड़कों का जाल है.
चंडीगढ़ नगर निगम का संचालन पंजाब नगर निगम कानून (चंडीगढ़ तक विस्तार) अधिनियम के तहत किया जाता है. हालांकि, इसके गठन और संचालन में पंजाब सरकार की भूमिका नाममात्र की होती है.
2. नगर निगम की प्रशासनिक व्यवस्था
चंडीगढ़ नगर निगम की प्रशासनिक व्यवस्था को 2 तरीके से सेटअप किया गया है. नगर आयुक्त प्रशासनिक प्रभारी होते हैं, जबकि चुने हुए प्रतिनिधियों के प्रमुख होते हैं. मेयर का चुनाव पार्षदों के द्वारा किया जाता है.
चंडीगढ़ नगर निगम के आयुक्त की नियुक्ति प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली कैबिनेट कमेटी ऑफ अप्वाइंटमेंट करती है. आयुक्त को नियुक्त कराने का काम केंद्रीय गृह मंत्रालय का होता है.
मेयर का चुनाव एक साल पर किया जाता है. मेयर के अलावा सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर का भी चुनाव कराया जाता है.
चंडीगढ़ नगर निगम के भीतर भी सालों से मेयर इन कौंसिल बनाने की मांग लंबे वक्त से हो रही है. मेयर इन कौंसिल में पार्षदों को एक-एक विभाग दिया जाता है, जिसकी पार्षद निगरानी करते हैं.
3. चंडीगढ़ नगर निगम में मेयर का पद
मेयर शहर का पहला नागरिक माना जाता है. नगर निगम के सभी एजेंडे मेयर की मंजूरी के बाद ही सदन में रखे जाते हैं. मेयर को इसके लिए विशेष अधिकार दिए गए हैं. सभा बुलाने और उसमें विकास के प्रस्ताव को रखने का अधिकार भी मेयर के पास ही है.
चूंकि, चंडीगढ़ केंद्रशासित प्रदेश है, इसलिए यहां विकास के दृष्टिकोण से मेयर का पद और भी ज्यादा महत्वपूर्ण माना जात है.
मेयर बनने की सबसे बड़ी योग्यता निर्वाचित पार्षद होना है. नियम के मुताबिक नगर निगम चुनाव में चुने पार्षदों में से किसी एक को हर साल मेयर चुना जा सकता है. इसमें आरक्षण की भी व्यवस्था की गई है.
मेयर के चुनाव में पार्षदों के अलावा चंडीगढ़ के सांसद भी मतदान करते हैं. चंडीगढ़ के सांसद को नगर निगम का पदेन सदस्य माना जाता है.
मेयर की शक्ति की बात करें, तो शहर के विकास के लिए मेयर को दो करोड़ रुपये की राशि मिलती है. इस राशि को मेयर अपने वार्ड को छोड़कर पूरे शहर में कहीं भी खर्च कर सकता है.
इसके अलावा मेयर को वेतन के रूप में 45 हजार रुपए प्रतिमाह मिलता है, जिसमें कई प्रकार के भत्ते शामिल हैं. चंडीगढ़ में मेयर की सैलरी बढ़ाने का एक प्रस्ताव भी काफी वक्त से लंबित है.
मेयर को चंडीगढ़ के सेक्टर 24 में एक आवास भी मिलता है. मेयर को हटाने को लेकर भी नियम सख्त है. समय से पहले मेयर को हटाने के लिए 2 तिहाई बहुमत की जरूरत होती है.
4. चंडीगढ़ नगर निगम का बजट
2023-24 में चंडीगढ़ नगर निगम का कुल बजट 2,176.4 करोड़ रखा गया था. बजट के अधिकांश पैसों का खर्च फाइबर ऑप्टिक्स और ठोस कचरा प्रबंधन पर करने का लक्ष्य रखा गया था.
2022-23 में चंडीगढ़ नगर निगम का बजट 1725 करोड़ रखा गया था.
चंडीगढ़ नगर निगम का मुख्य आय स्रोत केंद्रीय अनुदान, टैक्स और विज्ञापन है. एक रिपोर्ट के मुताबिक चंडीगढ़ नगर निगम को केंद्र से हर साल करीब 550 करोड़ रुपए अनुदान के तौर पर मिलते हैं.