कृषि के कायाकल्प का अवसर, किसानों की आय बढ़ाने वाली नीतियों को मिले प्राथमिकता

बजट: कृषि के कायाकल्प का अवसर, किसानों की आय बढ़ाने वाली नीतियों को मिले प्राथमिकता
आगामी बजट में उन नीतियों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, जो किसानों की आय बढ़ाएं और उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार करें

कृषि देश के आर्थिक और सामाजिक ढांचे में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। एक तरफ एमएसपी बढ़ोतरी और फसल बीमा योजनाओं जैसी हालिया पहलों ने आशा की किरणें जगाई हैं, दूसरी तरफ बढ़ती कृषि लागत, अस्थिर बाजार कीमतें, कर्ज के नीचे दबता किसान, जलवायु परिवर्तन व सीमित बुनियादी ढांचा नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने और नवीन समाधानों की मांग करता है। आगामी बजट नई जमीन तैयार करने और अधिक मजबूत, टिकाऊ व समावेशी कृषि परिदृश्य विकसित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर हो सकता है।

जलवायु परिवर्तन सिर्फ कृषि क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि संपूर्ण मानवता के लिए समस्या बनकर उभरी है। बजट में ड्रिप सिंचाई, मृदा संरक्षण तकनीक और सूखा प्रतिरोधी फसल किस्मों को अपनाने जैसी जलवायु-लचीली प्रथाओं को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। जैविक खेती के उपकरण और इनपुट के लिए कर छूट और सब्सिडी किसानों को रासायनिक उर्वरकों से दूर जाने के लिए प्रोत्साहित कर सकती है। सिंचाई और कृषि प्रसंस्करण के लिए नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में निवेश जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता घटा सकता है और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम कर सकता है।

किसान देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। बीज, उर्वरक, बिजली और पानी पर भारी सब्सिडी देने के बावजूद अधिकांश किसान लगातार संकट में हैं और आत्महत्या और आंदोलन का कारण बन रहे हैं। भारत में किसानों की औसत आय उससे भी कम बनी हुई है। बजट में उन नीतियों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, जो उनकी आय बढ़ाएं और उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार करें।

पीएम-किसान जैसी प्रत्यक्ष आय सहायता योजनाओं के लिए आवंटन बढ़ाना बहुत जरूरी है और यह वित्तीय स्थिरता प्रदान कर सकता है। किसानों को उनकी ऊपज का उचित मूल्य देने के लिए पूरे देश में प्रत्येक फसल की घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद सुनिश्चित करने के लिए बजट में विशेष प्रावधान किया जाए।

बढ़ती कृषि लागत के बीच भारतीय किसानों को गंभीर ऋण संकट का सामना करना पड़ता है। कर्ज के बोझ तले दबा किसान आत्महत्या करने को मजबूर है। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2022 में आत्महत्या करने वाले 5,207 किसानों में से 4,999 पुरुष और 208 महिलाएं थीं। आगामी बजट में ऋण राहत योजनाओं, ब्याज मुक्त ऋणों या फसल बीमा कार्यक्रमों के लिए ज्यादा धनराशि का प्रावधान किया जाना जरूरी है।

कृषि प्रगति मजबूत बुनियादी ढांचे पर निर्भर करती है। सिंचाई नहरों, भंडारण सुविधाओं और ग्रामीण सड़कों जैसे महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे में निवेश बढ़ाया जा सकता है। ग्रामीण विद्युतीकरण में निवेश और सूचना प्रौद्योगिकी तक बेहतर पहुंच किसानों को मौसम के पैटर्न, बाजार के रुझान और सर्वोत्तम प्रथाओं के बारे में ज्ञान से लैस कर सकती है। खाद्य प्रसंस्करण और पैकेजिंग के बुनियादी ढांचे में निवेश बर्बादी को कम करने, उत्पादों को टिकाऊ बनाने और किसानों के लिए उच्च रिटर्न उत्पन्न करने में मदद कर सकता है।

बजट में कृषि शिक्षा और कौशल विकास कार्यक्रमों में निवेश को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। कृषि उद्यमिता और एग्रीटेक स्टार्टअप को बढ़ावा देना नवाचार को बढ़ावा दे सकता है और ग्रामीण युवाओं के लिए नए अवसर पैदा कर सकता है। उन्नत बीजों, सूखा प्रतिरोधी फसलों और टिकाऊ कृषि पद्धतियों के लिए अनुसंधान में निवेश बढ़ाने से कृषि उत्पादकता और आय को बढ़ावा मिल सकता है।

महिलाएं भारतीय कृषि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उनके महत्वपूर्ण योगदान को स्वीकार करते हुए उन्हें सशक्त बनाने के लिए बजट में महिला-विशिष्ट कार्यक्रमों और पहल को बढ़ावा देना चाहिए। पर्यावरण संरक्षण, किसान सशक्तीकरण, बुनियादी ढांचे के विकास, शिक्षा और मूल्य संवर्धन में निवेश को प्राथमिकता देकर हम एक ऐसे भविष्य का निर्माण कर सकते हैं, जहां हमारे किसान समृद्ध हों, खाद्य सुरक्षा की गारंटी हो। उम्मीद करनी चाहिए कि आगामी बजट भारत में कृषि समृद्धि के एक नए युग की शुरुआत करेगा। 

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