वॉट्सऐप चेक करने से दिल-दिमाग कमजोर !

वॉट्सऐप चेक करने से दिल-दिमाग कमजोर …
रोज 7 घंटे सोशल मीडिया पर युवा, रील के चक्कर में रीयल लाइफ छूटी

बच्चे हों या फिर बुजुर्ग कोई भी इससे अछूता नहीं है। हर कोई सोशल मीडिया का दीवाना है। क्योंकि सोशल मीडिया दुनिया भर की घटनाओं से अप-टू-डेट रखता है। सोशल साइट्स का एक नोटिफिकेशन जरूरी से जरूरी काम से डिस्ट्रेक्ट कर देता है।

आज कल सोशल मीडिया की स्क्रॉलिंग लोगों के लिए लत बनती जा रही है।

हाल ही में रोहतक के भारतीय प्रबंधन संस्थान(IIM) द्वारा एक सर्वे किया गया। सर्वे के अनुसार युवा हर रोज औसतन 7 घंटे सोशल मीडिया का उपयोग करते हैं। सोशल मीडिया पर पुरूषों की तुलना में महिलाएं करीब 20 मिनट ज्यादा एक्टिव रहती हैं। लेकिन कहते हैं ना कि किसी भी चीज की अति बुरी होती है। सोशल मीडिया का ज्यादा इस्तेमाल करना भी शारीरिक और मानसिक रूप से आपको बीमार बना सकता है।

आज सेहतनामा में हम सोशल मीडिया की वजह से होने वाली कुछ बीमारियों की बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि-

  • सोशल मीडिया की बुरी लत क्यों पड़ती है?
  • सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा युवा कहां समय बिता रहे हैं?
  • सोशल मीडिया की लत से कैसे छुटकाया पाया जा सकता है।

आगे बढ़ने से पहले नीचे दिए ग्राफिक से यह जानते हैं कि लोग किन ऐप्स पर ज्यादा समय गुजार रहे हैं-

  

सोशल मीडिया एक लत, बना सकती है बीमार

साल 2018 में अमेरिका की पेंसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी की एक स्टडी के अनुसार, सोशल मीडिया का ज्यादा यूज करने वाले लोग वास्तविक जीवन में खुद को अकेला और दुनिया से अलग-थलग महसूस करते हैं।

सोशल मीडिया का ज्यादा उपयोग करने वाले लोगों को नींद की कमी, तनाव, याददाश्त कम होना और खराब प्रदर्शन जैसी परेशानियां हो सकती हैं।

साथ ही सिरदर्द, मांसपेशियों में तनाव जैसी शारीरिक समस्याएं होने की आशंका बढ़ जाती है।

नीचे दिए ग्राफिक से समझिए कि सोशल मीडिया से शरीर पर किस तरह का असर पड़ सकता है।

अब ग्राफिक के पॉइंट्स को एक-एक करके समझते हैं-

स्ट्रेस या तनाव- अपनों के साथ घुलने-मिलने या समय बिताने से मूड अच्छा रहता है और स्ट्रेस भी कम होता है। लेकिन आज कल सोशल मीडिया ने इसकी जगह ले ली है। इस वजह से दिमाग में तनाव बढ़ने लगता है।

आत्महीनता का भाव- सोशल मीडिया पर दिखने वाली ज्यादातर दुनिया ‘फिल्टर की दुनिया’ है। यानी जरूरी नहीं है कि जो दिख रहा है वह सच हो, लेकिन फिर भी लोग इससे प्रभावित होते हैं। ऐसे में लोग अपनी तुलना उनसे करने लगते हैं कि मैं ऐसा क्यों नहीं कर पा रहा/रही हूं। जनरेशन Z की भाषा में इसे FOMO यानी Fear of Missing Out कहा जाता है। जिससे एक-दूसरे के प्रति जलन और मन में हीन भावना आती है। जिससे एंग्जाइटी ट्रिगर होती है, जो सोशल मीडिया की लत को बढ़ाती है।

याददाश्त में कमी- सोशल मीडिया का ज्यादा उपयोग करना हमारी याददाश्त से जुड़ा हुआ है। यह हमारी ट्रांसएक्टिव मेमोरी को प्रभावित करता है। ट्रांसएक्टिव मेमोरी ही यह तय करती है कि दिमाग में कौन सी जानकारी रखनी है और कौन सी जानकारी नहीं रखनी है।

सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा अपडेट चेक करते हैं लोग

सोशल मीडिया पर घंटों लोग क्या करते हैं, इसे लेकर अमेरिका की नीलसन कंपनी द्वारा एक सर्वे किया गया। जिसमें पाया गया कि सबसे ज्यादा लोग कहां-क्या हो रहा है, बस यह अपडेट चेक करने के लिए सोशल मीडिया चलाते हैं। जिसके बाद दूसरे नंबर पर लोग अपने आसपास के लोगों को मैसेज या मेल भेजते हैं।

नीचे दिए ग्राफिक से जानतें हैं कि भारतीय लोग सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा समय तक क्या करते हैं।

समय रहते पहचानें सोशल मीडिया की लत

डॉ. आस्था सक्सेना कहती हैं कि लोगों से घुलने-मिलने से एंग्जाइटी और डिप्रेशन जैसी बीमारियां होने का खतरा कम रहता है। लेकिन आज में वक्त में सोशल कनेक्टेड होने का मतलब लोगों ने सोशल मीडिया को समझ लिया है। हमारी भावनाओं की जगह इमोजी ने ले ली है। जो एक ही समय में अलग-अलग लोगों के हिसाब से बदलती रहती है। इसलिए लोग घंटों सोशल मीडिया पर एक्टिव रहकर खुद को अपडेट करते रहते हैं। जिससे यह एक लत बन जाती है।

कहीं आपको भी सोशल मीडिया की लत तो नहीं है, ग्राफिक में दिए इन पॉइंट्स से खुद के बारे में जान सकते हैं।

सोशल मीडिया की लत को न होने दें हावी, ब्रेक लेना जरूरी

डॉ. आस्था सक्सेना बताती हैं कि सोशल मीडिया की लत न लगे, इसके लिए कुछ दिन का ब्रेक लेना जरूरी है। बहुत जरूरी न हो तो उन सोशल साइटस् को कुछ दिन के लिए अनइंस्टॉल कर दें, जिन्हें आप सोते-जागते सबसे पहले चेक करते हैं।

साथ ही कुछ सोशल साइटस् में भी अब ‘Take a Break’ नाम का फीचर आता है। जिसमें कुछ घंटे या दिन के लिए एक निर्धारित समय आप तय कर सकते हैं। उतनी देर के लिए आपका अकाउंट बंद हो जाएगा।

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