रेप, गैंगरेप और मर्डर के राज्यवर आंकड़े !

महिलाओं संग अपराध मामले में बंगाल कहां? रेप, गैंगरेप और मर्डर के राज्यवर आंकड़े
गैंगरेप और मर्डर जैसे जघन्य अपराधों के मामले किसी भी समाज के लिए शर्मनाक होते हैं. भारत में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की संख्या लगातार बढ़ रही है.

भारत में महिलाओं के खिलाफ अपराध गंभीर समस्या है. हाल ही में कोलकाता में एक ट्रेनी महिला डॉक्टर के साथ हुए क्रूर बलात्कार और हत्या ने महिलाओं की सुरक्षा के बारे में चिंता बढ़ा दी है. देशभर में तमाम डॉक्टर्स और हेल्थ वर्कर्स इस घटना के विरोध में प्रदर्शन कर रहे है.

हालांकि सरकार ने महिलाओं के खिलाफ अपराधों को रोकने के लिए सख्त कानून बनाए हैं, फिर भी महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट से पता चलता है कि महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न, दहेज से संबंधित अपराध और मानव तस्करी जैसे कई तरह के अपराध हो रहे हैं.

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में हर घंटे महिलाओं के खिलाफ अपराध के करीब 51 मामले दर्ज हुए. महिलाओं के खिलाफ कुल 4 लाख 45 हजार 256 मामले दर्ज किए गए. यह 2021 में दर्ज 4 लाख 28 हजार 278 मामलों और 2020 में दर्ज 3 लाख 71 हजार 503 मामलों से ज्यादा है. 

पहले जानिए कोलकाता मामले का ताजा अपडेट
कोलकाता के आरजी कार मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 31 साल की एक महिला ट्रेनी डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या मामले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है. दिल्ली में निर्भया कांड के बाद यह दूसरी ऐसी घटना है जिसमें राष्ट्रीय स्तर पर लोगों में एकजुटता देखने को मिली है. 

महिलाओं संग अपराध मामले में बंगाल कहां? रेप, गैंगरेप और मर्डर के राज्यवर आंकड़े

कोलकाता के कथित गैंगरेप एंड मर्डर मामले में सीबीआई ने गुरुवार (22 अगस्त) को अपनी स्टेट रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में सब्मिट कर दी है. रिपोर्ट में पता चला है कि अपराध वाली जगह से छेड़छाड़ की गई है. दावा किया गया है कि शुरुआत में पश्चिम बंगाल पुलिस ने मामले की छानबीन की बजाय दबाने की कोशिश की. पुलिस और अस्पताल प्रशासन ने पहले आत्महत्या का मामला बता दिया था. फिर बाद में उन्होंने अपना बयान बदलकर इसे हत्या बताया.

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूद की अध्यक्षता में पीठ इस मामले को देख रहा है. कोर्ट ने भी सवाल उठाया है कि शुरुआत में पुलिस इस नतीजे पर कैसे पहुंची कि महिला ने आत्महत्या की है, जबकि उसके आसपास से कोई सुसाइड नोट भी नहीं मिला था.

महिलाओं के साथ किस तरह के हुए ज्यादा अपराध
आंकड़ों से पता चला कि महिलाओं के खिलाफ ज्यादातर अपराध पति, रिश्तेदार या कोई जानकार ही अंजाम देता है. ये कुल मामलों ता 31.4 फीसदी हिस्सा है. अगले सबसे आम अपराध महिलाओं का अपहरण है जो कुल मामलों का 19.2 फीसदी है. इसके बाद अपमान करने के इरादे से किए गए हमलों का आंकड़ा 18.7 फीसदी है. बलात्कार भी एक गंभीर अपराध है और कुल मामलों का 7.1 फीसदी हिस्सा बनाता है.

महिलाओं संग अपराध मामले में बंगाल कहां? रेप, गैंगरेप और मर्डर के राज्यवर आंकड़े

महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा के मामले
महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा के मामले 2016 में लगभग 39,000 के उच्चतम स्तर पर पहुंच गए थे. 2018 में देशभर में औसतन हर 15 मिनट में एक महिला के साथ बलात्कार होता था. 2018 से हर साल भारत में काम पर यौन उत्पीड़न के 400 से ज्यादा मामले देखे जा रहे, जिनमें नाबालिग बलात्कार के 86 मामले और महिलाओं को अपमानित करने के 68 मामले हैं.

महिलाओं के खिलाफ मामले में कौन-से राज्य आगे
महिलाओं के खिलाफ अपराध की संख्या के लिहाज के देखा जाए तो उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा मामले दर्ज होते हैं. 2022 में सबसे ज्यादा 65,743 केस रजिस्टर्ड हुए. इसके बाद महाराष्ट्र और राजस्थान का नंबर आता है. यहां करीब 45 हजार मामले महिलाओं के खिलाफ देखे गए. चौथे नंबर पर पश्चिम बंगाल आता है, जहां 2022 में 34,738 मामले सामने आए. हालांकि बंगाल में अपराध का ये आंकड़ा बीते दो साल की तुलना में कम हुआ है. 2020 में यहां 36,439 और 2021 में 35,884 केस रजिस्टर्ड हुए थे.

वुमेन क्राइम रेट के हिसाब से देखें तो राजधानी दिल्ली सबसे आगे है. 2022 में यहां महिलाओं के खिलाफ क्राइम रेट प्रति लाख जनसंख्या पर 144.4 था, जबकि 14,247 मामले दर्ज किए गए थे. इसके बाद हरियाणा (118.7), तेलंगाना (117), राजस्थान (115.1), ओडिशा (103.3) में क्राइम रेट सबसे ज्यादा है. 

गैंगरेप और मर्डर के कितने मामले कहां
साल 2022 में महिलाओं के गैंगरेप और मर्डर के कुल 248 केस दर्ज हुए, जिनमें कुल 250 महिलाओं के खिलाफ अपराध का आरोप है. 62 मामलों के साथ उत्तर प्रदेश सबसे आगे है. इसके बाद मध्य प्रदेश (41), महाराष्ट्र (22), असम (14), ओडिशा (14), गुजरात (12), राजस्थान (9), आंध्र प्रदेश (8), कर्नाटक (8) में सबसे ज्यादा ऐसे घिनौने अपराध किए गए.

हालांकि कुछ राज्य ऐसे भी हैं जहां गैंगरेप और मर्डर का एक भी मामला नहीं देखा गया. ये राज्य हैं- सिक्किम, नगालैंड, मिजोरम, बिहार, दिल्ली और अरुणाचल प्रदेश. इसके अलावा गोवा, मेघालय और उत्तराखंड में 1-1 मामला सामने आया.

वहीं रेप के मामलों की संख्या काफी ज्यादा है. एनसीआरबी के अनुसार, 2022 में कुल 31,516 रेप के केस दर्ज हुए. सबसे ज्यादा राजस्थान में 5399 केस देखे गए. इसके बाद उत्तर प्रदेश (3690), मध्य प्रदेश (3029), महाराष्ट्र (2904), हरियाणा (1787), ओडिशा (1464), झारखंड (1298), छत्तीसगढ़ (1246), दिल्ली (1212), असम (1113) में रेप जैसे घिनौने अपराध के मामले सामने आए.

महिलाओं संग अपराध मामले में बंगाल कहां? रेप, गैंगरेप और मर्डर के राज्यवर आंकड़े

भारत में महिला सुरक्षा के लिए क्या कानून
भारतीय संविधान में कई कानून हैं जो महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करते हैं और उन्हें सुरक्षा प्रदान करते हैं. इनमें दहेज निषेध अधिनियम, महिला उत्पीड़न निवारण अधिनियम और बलात्कार के खिलाफ कानून शामिल हैं.

अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम 1956: यह अधिनियम व्यावसायिक यौन कार्य और वेश्यावृत्ति के लिए लोगों का तस्करी करना मना करता है. इसका उद्देश्य महिलाओं को यौन शोषण से बचाना है.

महिलाओं का अशिष्ट चित्रण अधिनियम 1986: यह अधिनियम विज्ञापनों और प्रकाशनों में महिलाओं का अश्लील फोटो दिखाने से रोकता है. इसका उद्देश्य महिलाओं की छवि को अपमानित होने से बचाना है.

राष्ट्रीय महिला सशक्तीकरण नीति 2001: इस कानून का लक्ष्य महिलाओं की उन्नति और सशक्तीकरण के लिए काम करना है. महिलाओं के खिलाफ हिंसा का समाधान करना और रोकना है.

घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005: यह अधिनियम घरेलू हिंसा का शिकार हुई महिलाओं को समर्थन प्रदान करता है. इसका उद्देश्य महिलाओं को सुरक्षा और सहायता प्रदान करना है.

कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (PoSH) अधिनियम 2013: PoSH अधिनियम कार्यस्थल पर महिलाओं द्वारा सामना किए गए यौन उत्पीड़न को संबोधित करता है जिसका उद्देश्य एक सुरक्षित कार्य वातावरण सुनिश्चित करना है. यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15 और CEDAW जैसे अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों से प्रेरित है.

बाल यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम 2012: यह अधिनियमव 18 साल से कम बच्चों को यौन अपराधों से बचाने के लिए बनाया गया है. यह अधिनियम बच्चों की सुरक्षा के लिए एक कानूनी ढांचा प्रदान करता है और अपराधियों के लिए सख्त सजा सुनिश्चित करता है.

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