जम्मू-कश्मीर में परिसीमन प्रस्ताव से भाजपा नाखुश … सुचेतगढ़ को आरएसपुरा सीट में मिलाने से नाराज 150 भाजपाइयों का इस्तीफा, प्रस्ताव में कई संशोधनों की मांग

परिसीमन आयोग की रिपोर्ट के विरोध में अब दूसरी पार्टियों के साथ-साथ भाजपा भी शामिल हो गई है। भाजपा ने भी अब परिसीमन के प्रस्ताव में कुछ बड़े संशोधनों की मांग की है। यह मांग उन 150 भाजपाइयों के इस्तीफे के बाद और तेज हो गई है, जो कि सुचेतगढ़ सीट को आरएसपुरा में शामिल किए जाने से नाराज हैं। भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस तरह के परिसीमन के चलते उन्हें नई सियासी जमीन तलाशनी होगी।

परिसीमन आयोग ने जो प्रस्ताव दिया है, उसके मुताबिक जम्मू में 6 नई सीटें और कश्मीर में एक सीट जोड़ी जानी है। इस प्रस्ताव का नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी, कांग्रेस, सीपीआई जैसी पार्टियां पुरजोर विरोध कर रही हैं। अब जानिए कि भाजपा को इस प्रस्ताव पर परेशानी क्यों हैं…

भाजपा को परिसीमन प्रस्ताव पर ऐतराज क्यों, 3 वजहें
1.
 प्रस्ताव में जम्मू के सुचेतगढ़ विधानसभा क्षेत्र को खत्म कर इसे आरएसपुरा में शामिल किए जाने का प्रस्ताव है। इससे सुचेतगढ़ के भाजपाई नाराज हैं और विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि कई भाजपा नेता हैं, जिनकी विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में मजबूत पकड़ है। उन्हें अपने निर्वाचन क्षेत्र छोड़ने पड़ेंगे।

2. इस्तीफा देने वालों का कहना है कि परिसीमन के प्रस्ताव में उनके निर्वाचन क्षेत्रों को अनुसूचित जनजाति या अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित रखा गया है। ऐसे में इन नेताओं को दूसरी जगह जाकर फिर से अपनी राजनीतिक जमीन तैयार करनी होगी।

3. आयोग ने जम्मू के राजौरी और पुंछ जिले को दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग में जोड़ने का प्रस्ताव दिया है। भाजपा कार्यकर्ताओं का कहना है कि राजौरी और पुंछ यानी जम्मू की विधानसभा को कश्मीर में दिया जा रहा है। भाजपा नेताओं ने इसे बेतुका बताया और सवाल भी उठाए। उन्होंने कहा कि जम्मू को कश्मीर से जोड़ने वाली मुगल रोड तो साल के 6 महीने तक बंद रहती है। अगर यहां का कैंडिडेट अनंतनाग से ताल्लुक रखता होगा तो वह 6 महीने तक वहां प्रचार कैसे करेगा? इसी तरह उधर का नेता जम्मू में प्रचार के लिए कैसे आएगा? एक ही नेता दोनों क्षेत्रों में एकसाथ प्रचार कैसे करेगा?

भाजपा के साथ इन पार्टियों के दिग्गजों को खोनी पड़ सकती है पारंपरिक सीट
नया परिसीमन प्रस्ताव लागू होने पर भाजपा ही नहीं, कई पार्टियों के दिग्गजों को अपनी पारंपरिक सीट खोनी पड़ सकती है। इनमें भाजपा के शाम लाल शर्मा, सुरजीत सिंह सलाथिया, कविंदर गुप्ता, देवेंद्र सिंह राणा को भविष्य में विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए अपने क्षेत्र को छोड़ना होगा और नए निर्वाचन क्षेत्रों की तलाश करनी होगी। शर्मा अभी अखनूर सीट से चुनाव लड़ते हैं, जो कि परिसीमन के बाद खत्म हो जाएगी। इसी तरह सुरजीत रामगढ़ सीट से, कविंदर गुप्ता गांधीनगर सीट से और राणा नगरोटा सीट से चुनाव लड़ते हैं। इन्हें परिसीमन के बाद नई सीटों से लड़ना पड़ सकता है।

इनके अलावा अब्दुल गनी कोहली ( कालाकोट विधानसभा सीट), चौधरी सुखनंदन (मढ विधानसभा सीट) और चंद्र प्रकाश गंगा (रामगढ़ विधानसभा सीट) भी ऐसे ही दिग्गजों में शामिल हैं, जिन्हें नई सियासी जमीन तलाशनी होगी। इनके अलावा जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के प्रमुख सैयद अल्ताफ बुखारी, गुलाम हसन मीर, नेशनल कॉन्फ्रेंस के मियां अल्ताफ, कांग्रेस नेता ताराचंद और जीएम सरूरी को भी ऐसी ही सियासी मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है।

आयोग को संशोधन करना होगा- जम्मू-कश्मीर भाजपा अध्यक्ष
जम्मू-कश्मीर भाजपा अध्यक्ष रविंदर रैना ने बताया कि आयोग की रिपोर्ट पर कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। परिसीमन आयोग एक संवैधानिक निकाय है और इसका कोई राजनीतिक प्रभाव नहीं है। इसका मकसद बीजेपी को फायदा पहुंचाना नहीं है।

उन्होंने ने कहा कि हमारे संसद सदस्य 14 फरवरी तक लोगों की चिंताओं को आयोग के समक्ष रखेंगे। आयोग को रिपोर्ट पर काम करना होगा और आवश्यक संशोधन करना होगा। रैना ने कहा कि पुंछ जिले की सभी सीटों को अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित किया गया है। उनका मानना ​​है कि कम से कम एक सीट खुली होनी चाहिए और दो सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित होनी चाहिए।

6 दल बोले- परिसीमन भाजपा को फायदा पहुंचाने के लिए
नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, कांग्रेस, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस, अपनी पार्टी और सीपीआई ने पहले ही आयोग के मसौदा प्रस्तावों को खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि आयोग ने भाजपा को लाभ पहुंचाने के लिए इसे तैयार किया है और परिसीमन को कश्मीर के लोगों को ‘अक्षम करने और वंचित करने’ के प्रयास के रूप में बनाया गया है।

क्या है परिसीमन आयोग की रिपोर्ट
परिसीमन आयोग ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट में 28 नए विधानसभा क्षेत्रों का पुनर्गठन और नाम बदलने, 19 विधानसभा क्षेत्रों को हटाने और 90 विधानसभा सीटों में से अधिकांश का रंग बदल दिया है। इसके अलावा, सभी पांच लोकसभा सीटों को फिर से तैयार करने का प्रस्ताव दिया गया है। दक्षिण कश्मीर के तीन जिलों और पीरपंजाल घाटी के दो जिलों राजौरी और पुंछ को मिलाकर एक लोकसभा सीट का भी प्रस्ताव दिया है। इसका नाम अनंतनाग-राजौरी सीट रखा जाना है।

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