सैलरी 35 हजार, आवेदक 50 लाख, सरकारी नौकरी का मोह क्यों?
सैलरी 35 हजार, आवेदक 50 लाख, सरकारी नौकरी का मोह क्यों?
17 फरवरी 2024 को उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती परीक्षा ने एक तरह का नया रिकॉर्ड कायम कर दिया. इस परीक्षा के लिए 60 हजार भर्तियों पर 50 लाख से भी ज्यादा लोगों ने आवेदन किया था.
भारत में ऐसे लाखों युवा हैं जो अपना घर छोड़कर बड़े शहरों में सरकारी नौकरी की तैयारी करने जाते हैं. इनमें से कुछ तो पहली बार में ही सफल हो जाते हैं, लेकिन ज्यादातर लोगों को कई साल लग जाते हैं. सरकारी नौकरी का सपना देखने वाले युवाओं में प्रिया भी ऐसी ही एक अभ्यर्थी है.
28 साल की प्रिया राज पिछले 2 सालों से सरकारी टीचर बनने के लिए खुद को तैयार कर रही हैं. उन्होंने एबीपी से बातचीत में कहा, ‘मैंने इन दो सालों में कई राज्यों के फॉर्म भरे. मुझे यकीन है कि जल्द ही कामयाब भी हो जाउंगी.’ प्रिया मानती हैं कि सरकारी नौकरी से ही उनका भविष्य बेहतर हो सकता है.
सरकारी नौकरी को एक बेहतर भविष्य की चाभी मानने वाली प्रिया पहली लड़की नहीं हैं. भारत में हर साल लाखों युवा इसी उम्मीद में अलग अलग राज्यों में निकलने वाली सरकारी नौकरी का फॉर्म भरते हैं. कई भर्तियां ऐसी निकलती हैं जहां सैलरी भी बहुत ज्यादा नहीं होती लेकिन फिर भी लोगों में सरकारी नौकरी पाने की होड़ लगी हुई है.
इसका सबसे बड़ा उदाहरण 17 फरवरी 2024 का है जब उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती परीक्षा ने एक तरह का नया रिकॉर्ड बना दिया. इस परीक्षा के लिए 60 हजार वैकेंसी पर 50 लाख से भी ज्यादा लोगों ने फॉर्म भरा था. यानी कि 49 लाख 40 हजार छात्र ऐसे बच जाएंगे जिन्हें नौकरी नहीं मिल पाएगी.
ऐसे में एक सवाल ये उठता है कि आखिर भारत में सरकारी नौकरी को लेकर इतनी होड़ क्यों मची है. इतनी कम नौकरी, आवेदन इतने ज्यादा. क्या सरकारी नौकरी के चक्कर में युवा अपनी जवानी बर्बाद कर रहे हैं?
सबसे पहले समझिए कांस्टेबल पद पर नौकरी मिलने पर कितनी सैलरी होगी
पुलिस कांस्टेबल पद पर आवेदन करने के लिए अभ्यर्थी का 12वीं पास होना जरूरी है. फॉर्म भरने और सभी परीक्षाओं में सफल होने के बाद ही उसकी नियुक्ति यूपी पुलिस विभाग में होती है.
इस पद के वेतन की बात की जाए तो उत्तर प्रदेश पुलिस में कांस्टेबल का वेतन पे बैंड 5200 से लेकर 20,200, ग्रेड पे 2000 और नए वेतनमान में पे मैट्रिक्स 21,700 रुपये के अनुसार मिलता है.
आसान भाषा में समझें तो इन 50 लाख आवेदकों में से किसी को नौकरी मिल जाती है तो उसका बेसिक पे 21,700 रुपये होगा. इसके अलावा डीए 1800 रुपये भोजन भत्ता 2400 रुपये, घर भत्ता 500, बाइक भत्ता और मोबाइल फोन भत्ता 2,000 रुपये मिलाकर अभ्यर्थियों को 34 हजार 770 रुपये मासिक वेतन मिलेगा.
इतनी कम सैलरी, लेकिन इतने आवेदन क्यों?
इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण सरकारी नौकरी की चाह है. हमारे देश में आज भी सरकारी नौकरी को प्राइवेट से बेहतर और सेफ नौकरी माना जाता है.
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, साल 2014 से 2022 के बीच लगभग 22 करोड़ युवाओं ने केंद्रीय सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन दिया था. जबकि सरकारी नौकरी पाने वालों की संख्या मात्र 7.22 लाख थी. मतलब कि इन 8 सालों में कुल आवेदकों में सरकारी नौकरी मिलने वालों की संख्या मात्र 0.32 % थी. जो कि एक फीसदी भी नहीं है.
क्यों हो गई कांस्टेबल पद के लिए आवेदकों की संख्या इतनी ज्यादा
पुलिस विभाग में नौकरी के लिए इतनी बड़ी संख्या में आवेदक पिछले 15 साल में पहली बार देखा गया है. इससे पहले साल 2009 में उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती और प्रोन्नति बोर्ड (यूपी-पीआरपीबी) के गठन के दौरान बड़ी संख्या में लोगों ने अप्लाई किया था.
हालांकि इस बार आवेदकों की संख्या इतनी ज्यादा होने का एक कारण ये भी है कि इस पोस्ट के लिए 6 लाख से ज्यादा ऐसे लोगों ने अप्लाई कर दिया जो यूपी के बाहर के राज्यों से हैं. इन 6 लाख बाहरी आवेदकों में से करीब 2.67 लाख बिहार से हैं जबकि 75,000 आवेदक हरियाणा, एमपी, राजस्थान और दिल्ली के हैं.
कब से कब तक हुए थे रजिस्ट्रेशन
कांस्टेबल पद के लिए आवेदन देने की प्रक्रिया 27 दिसंबर 2023 से शुरू की गई थी और ऑफलाइन लिखित परीक्षा की तारीख 18 फरवरी 2024 तय की गई थी. जिसका मतलब है कि आवेदनकर्ता 27 दिसंबर से 16 जनवरी 2024 तक अप्लाई कर सकते थे. कांस्टेबल पदों पर भर्ती में जनरल कैटेगरी के कैंडिडेट्स के लिए 24102 पद, अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 16264 पद, EWS के लिए 6024, अनुसूचित जाति के लिए 12650 और अनुसूचित जनजाति के अभ्यर्थियों के लिए 1204 पद आरक्षित किए गए थे.
एक पद पर 50 आवेदन, आखिर ये तस्वीर क्या कहानी बयान करती है?
पटना यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर शेखर दत्त कहते हैं, ‘सरकारी नौकरी एक ऐसी चीज है, जो भारतीयों के लिए किसी सपने से कम नहीं है. अब ऐसा मैं क्यों कह रहा हूं इसे समझिए. आप जब भी नौकरी के बारे में सोचते हैं तो सैलरी के बाद आपके लिए सिक्योरिटी प्रायोरिटी होती है. ऐसी नौकरी का क्या फायदा जहां आप लाखों महीना उठा रहे हैं लेकिन उस नौकरी में आप सिक्योर नहीं है.’
वहीं दूसरी तरफ सरकारी नौकरी भले ही तनख़्वाह थोड़ी कम देती है लेकिन जॉब सिक्योरिटी और बेहतर वर्क एनवायरमेंट जरूर देती है. इसलिए ज्यादातर युवा सरकारी नौकरी को अपनी प्राथमिकता पर रखते हैं.
प्रोफेसर ने आगे कहा. ‘एक कारण परिवार का प्रेशर भी है. हमारे परिवार में सरकारी नौकरी वालों का काफी सराहा जाता है और परिवार में सम्मान पाने के लिए अभ्यर्थी कोशिश करते हैं कि उन्हें सरकारी क्षेत्र में नौकरी लग जाए. एक और कारण ये भी है कि लोगों को लगता है कि अब उनके पास आराम की नौकरी है.
क्या भारत में सरकारी नौकरी के चक्कर में युवा अपनी जवानी बर्बाद कर रहे
इस सवाल के जवाब में यूपीएससी के छात्रों को पिछले 20 सालों से पढ़ा रहे शिक्षक नीतीश सिंह कहते हैं, ‘हां ऐसा कहना गलत नहीं है, क्योंकि सरकारी नौकरी की ख्वाहिश रखने वाले युवा हर साल लाखों की संख्या में बड़े शहरों में पहुंचते हैं. शुरुआत में तो वो उनका इरादा पक्का होता है कि वो यूपीएससी पास कर बड़ा अफसर बन जाएंगे. लेकिन जैसे जैसे साल गुजरता जाता है उनका इरादा भी डगमगाने लगता है. अंत में यही छात्र किसी भी सरकारी परीक्षा में हिस्सा लेकर बस सरकारी नौकरी पा लेना चाहते हैं.’
नीतीश आगे कहते हैं कि ऐसा करने से छोटे से छोटे पदों पर भी अभ्यर्थियों की भीड़ लग जाती है और कई बार बहुत ज्यादा पढ़े लिखे होने के बाद भी छात्रों को 12वीं पास करने पर जो नौकरी लग रही हो वही नौकरी करनी पड़ जाती है. ‘