कोटा में 10 साल में 124 छात्रों ने की आत्महत्या ?

कोटा में 10 साल में 124 छात्रों ने की आत्महत्या: बच्चे आखिर क्यों ले रहें अपनी जान?
भारत में छात्र आत्महत्या की संख्या लगातार बढ़ रही है. एनसीआरबी के अनुसार 2021 में 13,089 छात्रों ने आत्महत्या की, जो कि पिछले एक दशक में 70 फीसदी की चौंकाने वाली बढ़ोतरी है

कोटा को भारत की ‘कोचिंग राजधानी’ कहा जाता है. हर साल देशभर से सैकड़ों छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल होने का सपना लेकर कोटा आते हैं. लेकिन यहां कोचिंग के लिए आए बच्चों के बढ़ते सुसाइड मामलों ने चिंता बढ़ा दी है. 2024 में अब तक चार बच्चे सुसाइड कर चुके हैं.

कोटा राजस्थान के दक्षिण पूर्व में चंबल नदी के तट पर बसा एक शहर है. ये राजस्थान की राजधानी जयपुर से 240 किमी दूरी पर है. यहां सैकड़ों कोचिंग सेंटर हैं जो NEET, JEE Main, JEE Advanced, CLAT, NDA, CDS, SSC, Bank PO और दूसरी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराते हैं.

बीते साल राजस्थान के पूर्व कैबिनेट मंत्री शांति धारीवाल ने कोटा में बढ़ते हुए छात्र आत्महत्या मामलों पर दावा किया था कि ये मौतें प्रेम संबंध और माता-पिता के दबाव के कारण हो रही हैं. 

कोटा में आत्महत्या के आंकड़ों पर एक नजर
राजस्थान पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, साल 2015 से 2023 तक 120 छात्र सुसाइड कर चुके हैं. 2023 में कोटा में सबसे ज्यादा 25 छात्रों ने सुसाइड किया. 2024 में चार छात्रों को जोड़कर 10 सालों में अबतक सुसाइड करने वाले छात्रों का आंकड़ा 124 हो गया.

2022 में 15, 2019 में 18, 2018 में 20, 2017 में 7, 2016 में 17 और 2015 में 18 छात्रों ने आत्महत्या की थी. हालांकि, कोविड महामारी के कारण 2020 और 2021 में कोटा में किसी भी छात्र की आत्महत्या की सूचना नहीं मिली थी, क्योंकि कोचिंग संस्थान बंद थे.

कोटा में 10 साल में 124 छात्रों ने की आत्महत्या: बच्चे आखिर क्यों ले रहें अपनी जान?

हालांकि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार, देशभर में साल 2021 में 13,089 छात्रों ने आत्महत्या की, जो कि पिछले एक दशक में 70 फीसदी की चौंकाने वाली बढ़ोतरी है. यानी कि एवरेज हर दिन देश में 35 छात्र आत्महत्या कर रहे हैं. 

2011 में आत्महत्या करने वाले छात्रों की संख्या 7696 थी. इनमें से 1673 मामलों में परीक्षा में असफलता को आत्महत्या का कारण बताया गया. इनमें से 991 पीड़ित पुरुष थे. 2021 में भारत में आत्महत्या से मरने वाले छात्रों की हिस्सेदारी आत्महत्या से होने वाली कुल मौतों की संख्या का 8% थी.

कोटा में पढ़ रहे कितने छात्रों ने आत्महत्या करने का सोचा?
कोटा NEET और JEE जैसी परीक्षाओं की तैयारी कराने वाला भारत का सबसे बड़ा कोचिंग हब है. 2024 में यहां अब तक 4 छात्र आत्महत्या कर चुके हैं.

सबसे चिंताजनक बात ये है कि फिलहाल कोटा में पढ़ रहे 7% छात्रों ने कम से कम एक बार आत्महत्या करने के बारे में सोचा है. यह जानकारी द हिंदू और लोकनीति-सीएसडीएस की ओर से किए गए एक अध्ययन से मिली है. सर्वे के जरिए छात्रों की चिंताओं का उनके मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव को समझने की कोशिश की गई थी.

रिसर्च में पाया गया कि कोटा में पढ़ने वाले बहुत से बच्चों को लगता है कि एक बेहतर जिंदगी पाने के लिए NEET या JEE परीक्षा पास करना बेहद जरूरी है. यही सोच उन्हें पढ़ाई करने का जोश देती है, लेकिन अगर वो परीक्षा पास नहीं कर पाते हैं तो इससे उनके मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है.

शायद यही वजह है कि करीब 10 में से 2 बच्चे अक्सर ये सोचते हैं कि अगर उन्होंने अच्छा नहीं किया तो क्या होगा. बाकी बच्चों में से एक-तिहाई से ज्यादा कभी-कभी ऐसा सोचते हैं. 10 में से 2 बच्चों ने बताया कि वो बहुत कम ही ऐसा सोचते हैं.

कुछ आसपास के लोग भी छात्राओं की चिंता बढ़ा देते हैं. कोटा में रहते हुए लगभग 10 में से 1 छात्र अक्सर माता-पिता के दबाव का अनुभव करता है. लड़कियों की तुलना में लड़कों पर दबाव थोड़ा अधिक है.

तनाव के क्या-क्या होते हैं कारण
सर्वे में करीब आधे 46 फीसदी छात्रों ने बताया है कि वह समय-समय पर तनाव महसूस करते हैं जबकि 12 फीसदी ने अक्सर तनाव महसूस करने की बात कही है. सर्वे में कोटा के छात्रों के तनाव में रहने के कुछ कारण भी सामने आए हैं. 53 फीसदी छात्रों का कहना है कि वह कभी-कभी अकेलापन महसूस करते हैं. 

छह फीसदी छात्रों ने पैसे की कमी भी तनाव का एक कारण बताया. जबकि अन्य एक चौथाई छात्र कभी-कभी इस कारण तनाव महसूस करते हैं. इसके अलावा बढ़ता हुआ कंप्टीशन भी कभी-कभी छात्रों को प्रभावित करता है. 4 फीसदी छात्रों ने माना है कि वह अक्सर अपने साथियों के दबाव का सामना करते हैं.

तनाव दूर करने के लिए क्या करते हैं छात्र?
सर्वे में छात्रों से पूछा गया कि जब आप तनाव में होते हैं तो क्या करते हैं? लगभग आधे 49 फीसदी छात्रों ने कहा जब बहुत अधिक तनावग्रस्त होते हैं तो अपने परिवार और दोस्तों से बात करते हैं. 46 फीसदी छात्र जब तनावग्रस्त महसूस करते हैं तो सो जाना पसंद करते हैं.

40% छात्र तनाव दूर करने के लिए ऑनलाइन वीडियो गेम खेलना, टीवी देखना या गाने सुनते हैं. 36% छात्र टहलने, व्यायाम करने या ध्यान लगाकर तनाव से बाहर निकलने की कोशिश करते हैं. 13% ने स्टडी करने की बात कही. हालांकि ऐसे भी 5% छात्र हैं जो तनाव से लड़ने के लिए धूम्रपान करते हैं और 2% जो शराब पीते हैं.

किस राज्य से सबसे ज्यादा छात्र आते हैं कोटा
लोकनीति-सीएसडीएस ने अक्टूबर 2023 में एक दूसरा 1000 कोटा में पढ़ने वाले छात्रों पर सर्वे किया. इसमें 30% छात्राएं थीं. सर्वे में पाया गया कि ज्यादातर छात्र बिहार (32%), उत्तर प्रदेश (23%), राजस्थान (18%) और मध्य प्रदेश (11%) से आते हैं. लगभग आधे छात्र छोटे या बड़े शहरों से आते हैं, केवल 14% गांवों से आते हैं. कोटा आने वाले छात्रों के माता-पिता सरकारी सेवा (27%), व्यवसाय (21%) या कृषि (14%) में लगे हुए हैं. 

क्या सोचकर कोटा आते हैं छात्र
13% छात्रों के परिवार के सदस्य भी कोटा में पढ़ते हैं. जबकि 28% के दूर के रिश्तेदार कोटा में हैं. आधे से ज्यादा छात्रों (53%) का कोई भी रिश्तेदार कोटा में नहीं पढ़ा है. 44% ने कहा कि उन्होंने इस शहर के बारे में सोशल मीडिया पर सुना. लगभग आधे 46% छात्र कोटा के कोचिंग संस्थानों की प्रतिष्ठा के कारण वहां पहुंचे. 39% छात्र अपने माता-पिता के जोर देने पर आए और 10% कोटा जाने वाले अपने दोस्तों से प्रभावित हुए थे.

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