युवाओं और बुजुर्गों के बीच घमासान के आसार

युवाओं और बुजुर्गों के बीच घमासान के आसार

तेजी से बूढ़े हो रहे भारत में आगामी लोकसभा चुनावों के समय असल अग्निपरीक्षा देश के युवाओं और बुजुर्गों के बीच होगी। तीसरी बार सत्ता में आने के लिए लालायित नेताओं की उम्र 74 पार की होगी और उन्हें सत्ता में आने से रोकने वाले नेताओं की उम्र ज्यादा से ज्यादा 70 साल की होगी। लेकिन सत्ता में किसी भी नेता को पहुँचाने का काम देश के युवा मतदाता ही करेंगे ,क्योंकि संख्या बल में वे बुजुर्गों से ज्यादा होंगे।
तीसरी बार सत्तारूढ़ होने की भविष्यवाणी कर चुके मौजूदा प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का जन्म 1950 का है ,यानि वे 74 साल के हो गए है । मोदी जी के मुकाबले खड़े कांग्रेस के राहुल गांधी का जन्म वर्ष 1970 का है ,यानि वे 54 साल के हो गए है। मोदी जी ने विवाहित होने के बाद रष्ट्रसेवा केलिए अपनी पत्नी का त्याग कर दिया है जबकि राहुल ने देशसेवा के लिए अभी तक विवाह किया ही नहीं है। लगता है वे अब कांग्रेस के अटलबिहारी बनकर ही मानेंगे।राहुल गांधी के इस संकल्प से शायद मोदी जी की कांग्रेस को वंशवाद से मुक्त देखने की मुराद पूरी हो जाये ,लेकिन सत्ता में तीसरी बार आने में राहुल का संकल्प ही सबसे बड़ी बाधा है।
प्रधानमंत्री मोदी जी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने से रोकने के लिए राहुल गांधी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े इंडिया गठबंधन के ख़ास सहयोगी समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव भी अभी 51 साल के है। उनका जन्मवर्ष 1973 है। वे लोकसभा चुनाव के असल कुरुक्षेत्र में भाजपा के सबसे प्रमुख प्रतिद्वंदी पहले भी थे और आज भी है। 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें हालांकि कामयाबी हासिल नहीं हुई थी किन्तु इस बार वे कांग्रेस के साथ मिलाकर चुनाव लड़ रहे हैं ,इसलिए उन्हें ज्यादा कामयाबी की उम्मीद है। अखिलेश यादव पहले बसपा से भी गठबंधन कर चुके हैं और कांग्रेस से भी। भाजपा से भी उनकी पार्टी अतीत में गठजोड़ कर चुकी है।
लोकसभा चुनाव में जिस युवा नेता की देह की भाषा [वाडी लेंग्वेज ] सबसे ज्यादा मारक और आक्रामक दिखाई देती है वे नेता हैं राष्ट्रीय जनता दल के तेजस्वी यादव। तेजस्वी कुल जमा अभी 35 वर्ष के हैं । उनका जन्मवर्ष 1989 है। इतनी कम उम्र में ही वे अपने पिता लालू प्रसाद की राजनीतिक विरासत के उत्तराधिकारी बन गए बल्कि बिहार में उन्होंने उप मुख्यमंत्री बनने का कमाल भी कर दिखाया। बिहार में भाजपा का रथ अगर कोई रोकता है तो वो है राजद और कांग्रेस का गठबंधन। राजद ने भी घाट-घाट का पानी पिआ है लेकिन कांग्रेस का साथ कभी नहीं छोड़ा। वे देश में धर्मनिरपेक्षता और समाजवादी सोच से डिगे नहीं। ईडी और सीबीआई भी राजद के तेज को फीका नहीं कर पायी।

बिहार से लगे झारखण्ड में भी मोदी जी के सपने में बाधक नौजवान झामुमो के हेमंत सोरेन है। हेमंत का जन्मवर्ष 1975 है यानि वे भी अभी पचास पार के नहीं हुए हैं और विपक्षी एकता के लिए जेल में हैं लेकिन वे भी केंद्र की सत्ता के सामने झुके नहीं। उन्होंने भाजपा के आपरेशन लोटस को ठीक उसी तरह नाकाम बनाया जैसा की राजस्थान में अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल ने बनाया था। झारखण्ड में अभी भी झामुमो और कांग्रेस की सत्ता है। हेमंत भी अपने पिता शिबू सोरेन की राजनीतिक विरासत के वारिस हैं
नौजवानों की इस टीम के एक और महत्वपूर्ण और परिपक्व नेता हैं आम आदमीपार्टी के अरविंद केजरीवाल। अरविंद अभी कुल 56 साल के है। पुराने नौकरशाह हैं और इस समय उनकी पार्टी की दिल्ली के साथ ही पंजाब में सरकार भी है। अरविंद केजरीवाल ने भी इंडिया गठबंधन से गठजोड़ कार लोकसभा चुनाव में उतरने का फैसला किया है। वे भाजपा की ‘ बी ‘ पार्टी की पहचान से मुक्ति पा चुके हैं ,उन्हें इंडिया गठबंधन से अलग रखने के लिए ईडी और सीबाई आई भी भाजपा के काम नहीं आयी ,केजरीवाल भाजपा को उसके गढ़ गुजरात में भी आँखें दिखा चुके हैं और गोवा में भी।

आगामी लोकसभा संग्राम की एक और प्रमुख सेनानी बंगाल की मुख्यमंत्री सुश्री ममता बनर्जी है। ममता बनर्जी प्रधानमंत्री मोदी जी से पांच साल छोटी और बाकी की नौजवान टीम से सबसे वरिष्ठ है। अभी उनका इंडिया गठबंधन से पक्का गठजोड़ नहीं हो पाया है ,लेकिन वे यदि अकेले भी बंगाल में चुनाव लड़तीं हैं तो भाजपा पर भारी है। बंगाल में वे पिछले एक दशक से सत्ता में हैं और भाजपा साम,दाम,दंड और भेद का इस्तेमाल कार भी ममता को सत्ताच्युत नहीं कर पायी है । ममता की पार्टी में तोड़फोड़ के साथ ही भाजपा ने ममता के खिलाफ ईडी और सीबीआई का भी इस्तेमाल किया किन्तु बात बनी नहीं । भाजपा आजकल बंगाल में संदेशखाली में कथित अराजकता के बहाने ममता की जड़ें खोदने में लगी है।

भाजपा के विजय रथ को दूसरे दल दाक्षिण में प्रवेश करने से पहले ही रोक चुके है। पूरब में मणिपुर से उठते धुंए ने भी भाजपा की संभावनाओं को धक्का पहुंचाया है । हिमालय में भी जम्मू-कश्मीर से भाजपा को बहुत कुछ उम्मीद नहीं है । केंद्र शासित अनेक क्षेत्रों में भाजपा की साख को पहले ही बट्टा लग चुका है। फिर भी भाजपा के हौसले बुलंद है। अयोध्या का राम मंदिर और राम मंदिर में विराजे रामलला भाजपा का अमोघ अस्त्र बने हुए हैं। अब भाजपा के पास अगर कोई ताकत है तो वो है बुजुर्गों की ताकत। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक साल 2023 में हर 100 लोगों में से युवाओं की संख्या महज 23 होगी. जबकि 77 लोग उम्रदराज होंगे. यानी हमारा देश अब तेजी से ‘बूढ़ा’ होता जा रहा है. युवा और बुजुर्गों की आबादी को लेकर अलग-अलग राज्यों से जो ट्रेंड सामने आ रहे हैं, वो चौंकाने वाले हैं. ऐसे में देश में युवाशक्ति की आबादी कम होने और बुजुर्गों की संख्या बढ़ने का असर देश और समाज पर पड़ना तय माना जा रहा है। मोदी जी जब पहली बार प्रधानमंत्री बने थे तब देश में युवाओं का प्रतिशत 27 था ,जो अब घटकर 23 हो गया है।

भारत सरकार के सांख्यिकी मंत्रालय की 2022 की रिपोर्ट की मानें तो देश में जहां युवाओं की आबादी कम होती जा रही है. वहीं तेजी से बुजुर्गों की संख्या बढ़ती जा रही है। रिपोर्ट के मुताबिक 14 साल बाद यह स्थिति और भयावह होने वाली है.यूएनडीपी के आंकड़ों के मुताबिक पूरी दुनिया में 121 करोड़ की युवा आबादी में भारत की हिस्सेदारी करीब २१ फीसदी थी. देश में सबसे ज्यादा युवा होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी गर्व करते हैं ,लेकिन अब यही युवा शक्ति उनके हाथ से निकलती दिखाई दे रही है। हालाँकि मोदी जी ने इस युवाशक्ति को भी धर्मांध बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। अब देखना ये है कि मोदीजी जिस युवाशक्ति को नए भारत का आधारस्तंभ कहते हैं वो उनके साथ खड़ा होता है या प्रतिद्वंदी युवा नेताओं के साथ जाता है ?

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