मरीज नहीं…मौत रैफर कर रहे अस्पताल !

मरीज नहीं…मौत रैफर कर रहे अस्पताल ..
इंदौर के एमटीएच में 80% केस; सालभर में प्रदेश की 860 गर्भवतियों की जान गई

भोपाल में बीते दिनों आईएएस निशांत वरवड़े के ड्राइवर की गर्भवती पत्नी ने दम तोड़ दिया। वजह सामने आई कि महिला को दूसरे अस्पताल रैफर किया गया, लेकिन न समय पर एंबुलेंस मिली, न ऑक्सीजन। हाईप्रोफाइल मामला होने से स्वास्थ्य महकमे ने इसकी जांच शुरू करवा दी। हालांकि इंदौर सहित प्रदेशभर के हालात भी ठीक नहीं हैं।

स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट कहती है कि प्रदेश में एक साल में 860 गर्भवतियों ने दम तोड़ा है। इंदौर में ऐसे 94 मौत के मामले सामने अए। इन्हें दूसरे अस्पतालों में रैफर किया गया था। इनका रिव्यू तो होता है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो पाती। क्योंकि विभाग के पास कार्रवाई के अधिकार ही नहीं है। इंदौर जिले के पीसी सेठी अस्पताल की ही बात करें तो यहां से हर माह औसतन 50 से 55 केस एमटीएच रैफर हो रहे हैं। जिले के अन्य अस्पतालों से भी 200 से 250 केस रैफर होकर आ रहे हैं।

अधीक्षक ने कई बार सीएमएचओ को इसके बारे में बताया भी, लेकिन ढर्रा नहीं सुधर रहा। सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे के तहत मप्र में मातृ मृत्युदर 173 प्रति लाख है। इंदौर के सरकारी व निजी अस्पतालों में सालाना 80 से 84 हजार प्रसूतियां हो रही हैं। इनमें 100 से 115 मातृ मृत्युदर है। स्वास्थ्य विभाग अस्पतालों से जानकारी मंगवाता है। डेथ रिव्यू भी होता है, लेकिन आज तक सख्त कार्रवाई नहीं की गई।

भास्कर एक्सक्लूसिव – अस्पतालों ने मौत के ये कारण बताए

यहां मातृ मृत्युदर सबसे ज्यादा

  • पोस्टमाॅर्टम हैमरेज : 120 से ज्यादा केस सामने अाए। ऐसे मामलों में प्रसूति के समय रक्तस्त्राव ज्यादा होने लगता है। आंतरिक कारण, बच्चेदानी सिकुड़ना सहित कई वजह हैं।
  • अबोर्टिव काॅम्प्लीकेशन : 14 केस में असुरक्षित गर्भपात को मौत की वजह बताई गई।
  • सेप्सिस : 90 से ज्यादा मामलों में इसे मृत्यु का कारण बताया गया। इसमें बच्चेदानी में संक्रमण हो जाता है।
  • प्रो-लाॅन्ग लेबर : 12 से ज्यादा केस, जिनमें प्रसव पीड़ा अधिक समय हुई।
  • हायपर टेंशन : 168 मामले, 15 से 20% केस में ब्लड प्रेशर की समस्या होती है। समय पूर्व डिलीवरी हो सकती है।

{430 से ज्यादा केस में मौत के अन्य कारण बताए गए हैं।

किसी गर्भवती को रैफर करने की जरूरत क्यों हुई। स्टॉफ से इसकी वजह पूछी जाती है। उन्हें नोटिस भी दिए गए, लेकिन कार्रवाई का अधिकार हमें नहीं है, इसलिए जिला प्रशासन को प्रस्ताव भेजते थे। – डाॅ. पूर्णिमा गडरिया, पूर्व जिला स्वास्थ्य अधिकारी, इंदौर

इंदौर जिले में जितनी डेथ रिपोर्ट हो रही हैं, उनमें से 80% एमटीएच अस्पताल से है। दरअसल, वह टरशरी सेंटर है, जहां जिले व प्रदेश के अन्य अस्पतालों से भी केस रैफर होते हैं। – डॉ. हेमंत गुप्ता, सीएमएचओ, इंदौर

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