VIP को महफूज रखने के लिए 12 हजार करोड़ खर्च ?
VIP को महफूज रखने के लिए 12 हजार करोड़ खर्च, सबसे ज्यादा बंगालियों को सुरक्षा कवच, समझिए पूरा सिक्योरिटी सिस्टम
देश के खास और मशहूर लोगों को अलग-अलग कैटेगरी की सुरक्षा दी जाती है. ये मंत्रियों को मिलने वाली सुरक्षा से अलग होती है. इसके लिए सरकार को पहले सुरक्षा के लिए आवेदन करना होता है.
इस स्पेशल स्टोरी में आप जानेंगे कि आखिर कितने कैटेगरी की सुरक्षा होती है, किसे दी जाती है सुरक्षा, क्या मकसद होता है, किस तरह की सुरक्षा के साथ क्या-क्या सुविधाएं हैं, देश में कितने लोगों को किस तरह की सुरक्षा मिली है, कितने जवान वीआईपी सुरक्षा में तैनात हैं, सरकार का कितना खर्चा आता है.
सबसे पहले जानते हैं आखिर सुरक्षा की जरूरत क्यों?
देश के खास सम्मानित लोगों को हमेशा उनकी जान का खतरा रहता है. राजनेता, न्यायाधीश, पत्रकार, एक्टर्स और बिजनेसमैन जैसे लोग कई बार जान के खतरों का सामना करते हैं. ये खतरा किसी भी तरह का हो सकता है, जैसे- आतंकवादी हमले, राजनीतिक हत्याएं, अपहरण, दंगे, आम अपराध. ऐसे में उन्हें सुरक्षा प्रदान की जाती है.
कौन करता है सिक्योरिटी?
जिस तरह से देश में शांति, सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने के लिए जांच एजेंसियों की जरूरत पड़ती है, वैसे ही देश में सम्मानित VIP और VVIP लोगों की सुरक्षा करने के लिए भी कई एजेंसियां काम करती हैं. इनमें एसपीजी, एनएसजी, आईटीबीपी और सीआरपीएफ शामिल हैं. सबसे खास लोगों की सुरक्षा का जिम्मा एनएसजी को दिया जाता है. इसके बाद आईटीबीपी और सीआईएसएफ को भी ये जिम्मेदारी सौंपी जाती है.
कैसे मिलती है सुरक्षा?
देश के खास और मशहूर लोगों को अलग-अलग कैटेगरी की सुरक्षा दी जाती है. ये मंत्रियों को मिलने वाली सुरक्षा से अलग होती है. इसके लिए सरकार को पहले सुरक्षा के लिए आवेदन करना होता है. इसके बाद खुफिया एजेंसियां संभावित खतरों का आंकलन करती हैं. अगर खतरे की बात की पुष्टि होती है तो सुरक्षा दी जाती है. होम सेक्रेटरी, डायरेक्टर जनरल और चीफ सेक्रेटरी की कमेटी तय करती है कि संबंधित व्यक्ति को किस सुरक्षा श्रेणी में रखा जाएगा.
कितने कैटेगरी की होती है सुरक्षा
भारत में सुरक्षा व्यवस्था को छह अलग-अलग कैटेगरी में बांटा गया है, जो खतरे के स्तर पर आधारित होती हैं. ये हैं X, Y, Z, Y+, Z+ और एसपीजी सुरक्षा. हर कैटेगरी के लिए सुरक्षा देने की जिम्मेदारी अलग-अलग एजेंसियों की होती है.
X कैटेगरी की सुरक्षा: यह सुरक्षा उन व्यक्तियों को दी जाती है जिनके जीवन पर मामूली खतरा होता है. जैसे कि सरकारी अधिकारी, राजनीतिक नेता, धार्मिक नेता, सामाजिक कार्यकर्ता या कोई अन्य मशहूर व्यक्ति. इस सुरक्षा में 2 सशस्त्र पुलिस कर्मी शामिल होते हैं जो 24/7 सुरक्षा प्रदान करते हैं. इनमें कोई कमांडो शामिल नहीं होता है. यह एक पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर (PSO) द्वारा प्रदान की जाती है. यह भारत में सबसे बुनियादी सुरक्षा स्तरों में से एक है.
Y कैटेगरी की सुरक्षा: यह सुरक्षा उन लोगों को प्रदान की जाती है जिनके जीवन पर मध्यम खतरा होता है. इस कैटेगरी की सुरक्षा में 8 कर्मी होते हैं, जिनमें 1 या 2 कमांडो और बाकी पुलिसकर्मी शामिल होते हैं. दो पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर भी होते हैं. यह भारत में सबसे आम सिक्योरिटी कैटेगरी में से एक है. 1 या 2 गाड़ी का काफिला साथ चलता है.
Y+ कैटेगरी की सुरक्षा: इसमें 2-4 कमांडो समेत कुल 11 सुरक्षाकर्मी शामिल होते हैं. साथ ही 2 पीएसओ अधिकारी भी होते हैं. ये कमांडो 24 घंटे संबंधित व्यक्ति पर पैनी नजर रखते हैं. संबंधित व्यक्ति के अपने निवास स्थान से बाहर जाने पर दो से तीन गाड़ियों का काफिला साथ रहता है.
Z कैटेगरी की सुरक्षा: ये भारत में तीसरे उच्चतम स्तर की सुरक्षा है. यह उन लोगों को प्रदान की जाती है जिन्हें माना जाता है कि उनके ऊपर ज्यादा खतरा है. 22 कर्मी सुरक्षा घेरे में शामिल होते हैं. इनमें 4 से 6 NSG कमांडो होते हैं. बाकी दिल्ली पुलिस, ITBP या CRPF के जवान शामिल होते हैं. कम से कम तीन पीएसओ होते हैं. काफिले में कम से कम पांच गाड़ियां होती हैं जिनमें एक बुलेटप्रूफ होती है.
Z+ कैटेगरी की सुरक्षा: स्पेशल प्रोटक्शन ग्रुप के बाद Z+ भारत में सुरक्षा का सबसे ऊंचा स्तर माना जाता है. ये सुरक्षा ज्यादातर प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्रियों को दी जाती है. Z+ सुरक्षा में संबंधिक व्यक्ति के पास 55 सुरक्षाकर्मी होते हैं, जिनमें 10 से ज्यादा NSG कमांडो और पुलिसकर्मी शामिल होते हैं. ये सभी कमांडो मार्शल आर्ट और बिना हथियार के लड़ने में सक्षम होते हैं. साथ ही, ये आधुनिक हथियारों और कम्युनिकेशन डिवाइस से लैस होते हैं. पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर की संख्या को स्थिति के अनुसार घटाया या बढ़ाया जा सकता है. काफिले में पांच से ज्यादा बुलेटप्रूफ गाड़ियां होती हैं.
स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (SPG) सुरक्षा: ये सबसे उच्च स्तर की सुरक्षा है. देश में एसपीजी की सुरक्षा सिर्फ प्रधानमंत्री को ही मिलती है. स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप का गठन अक्टूबर 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद किया गया था. 1988 में संसद में एसपीजी एक्ट पारित किया गया. पहले ये सुरक्षा पूर्व प्रधानमंत्री और उनके परिवार को भी दी जाती थी. लेकिन मोदी सरकार ने कानून में संशोधन करके प्रावधान किया कि ये सुरक्षा सिर्फ मौजूदा प्रधानमंत्री को ही मिलेगी.
एसपीजी कमांडो प्रधानमंत्री के चारों ओर सुरक्षा का एक अभेद्य घेरा बनाते हैं, जिसमें कोई भी बिना अनुमति के प्रवेश नहीं कर सकता. चार स्तर की सुरक्षा में 24 कमांडो तैनात रहते हैं. ये FNF-2000 असॉल्ट राइफल और GLOCK 17 पिस्टल जैसे अत्याधुनिक हथियारों से लैस होते हैं. ये सभी कमांडो प्रधानमंत्री के आसपास चल रही गतिविधियों पर पैनी नजर रखते हैं.
पीएम के काफिले में दर्जनभर गाड़ियां होती हैं. इनमें बीएमडब्ल्यू 7 सीरीज की सिडान, बीएमडब्ल्यू एक्स3 और एक मर्सिडीज बेंज कार होती है. इसके अलावा एक एंम्बुलेंस और टाटा सफारी जैमर भी काफिले में होती है. अभी प्रधानमंत्री की सुरक्षा में हर दिन करीब 1 करोड़ 17 लाख रुपये खर्च होते हैं. 2020-21 में एसपीजी का कुल बजट करीब 592 करोड़ रुपये था.
देश में किसे किस तरह की सुरक्षा मिली है?
भारत में Z+ सुरक्षा पाने वालों में अमित शाह, राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, योगी आदित्यनाथ, राहुल गांधी, सोनिया गांधी, अजय कुमार भल्ला, प्रियंका गांधी वाड्रा, अरविंद केजरीवाल, मुकेश अंबानी, उमा भारती, एम.के. स्टालिन, पिनाराई विजयन, उद्धव ठाकरे, चंद्रबाबू नायडू, शरद पवार, मोहन भागवत, आरिफ मोहम्मद खान और मल्लिकार्जुन खरगे समेत कुल 40 लोग शामिल हैं.
बॉलीवुड हस्तियों को भी अक्सर उनके पर्सनल बॉडीगार्ड के अलावा सुरक्षा कवर की जरूरत होती है. भारत सरकार की तरफ से शाहरुख खान, सलमान खान, कंगना रनौत को Y+ सुरक्षा मिली है. वहीं सीनियर एक्टर अमिताभ बच्चन, आमिर खान, अक्षय कुमार, अनुपम खैर के पास एक्स कैटेगरी की सुरक्षा है.
किस राज्य में सबसे ज्यादा जवान VIP सुरक्षा में तैनात
देश में अलग-अलग सुरक्षा एजेंसियां वीआईपी और वीवीआईपी लोगों की सुरक्षा में तैनात हैं. इनमें CISF एक पैरामिलिटी फोर्स है. सरकारी संपत्ति जैसे एयरपोर्ट, मेट्रो, बंदरगाह आदि की सुरक्षा करने का जिम्मा इसी फोर्स के पास है. साथ ही सीआईएसएफ देशभर में वीआईपी सुरक्षा भी करता है. सीआईएसएफ की स्पेशल सिक्योरिटी ग्रुप (एसएसजी) विंग वीआईपी सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है. 2022-23 की सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, 144 वीवीआईपी/वीआईपी को एसएसजी/सीआईएसएफ सुरक्षा प्रदान की जा रही है.
2019 में पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा 3142 वीआईपी लोगों की सुरक्षा में जवान तैनात थे. इसके बाद दूसरे नंबर पर पंजाब 2594 था. बिहार में 2347, हरियाणा में 1355 और झारखंड में 1351 खास लोगों को सुरक्षा मिली हुई थी. दिल्ली पुलिस ने 501 व्यक्तियों की निजी सुरक्षा देने के लिए सबसे ज्यादा 8182 कर्मी तैनात किए थे. राजधानी दिल्ली में तमाम केंद्रीय मंत्रियों और अन्य महत्वपूर्ण व्यक्तियों का आवास है. खास बात ये है कि दिल्ली पुलिस को बाहर से वाहनों का इंतजाम करना पड़ता है.
VIP/VVIP की सुरक्षा में कितना खर्चा करती है सरकार
देश में वीआईपी लोगों की सुरक्षा करना काफी महंगा सौदा है. 2019 में 20 हजार से ज्यादा जवान वीआईपी और वीवीआईपी लोगों की सुरक्षा में तैनात थे. 2019 में 19,467 मंत्रियों, सांसदों, न्यायाधीशों, नौकरशाहों और अन्य हस्तियों की सुरक्षा के लिए 66,043 पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे. जबकि 2018 में 63,061 पुलिसकर्मी तैनात थे. ये आंकड़ा गृह मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डवलपमेंट (बीपीआरएंडडी) की रिपोर्ट में दिया गया है. इनमें 43,566 पुलिसकर्मी थे.
करीब 30 हजार गाड़ियां वीआईपी सुरक्षा काफिले में शामिल थी. 60 हजार से ज्यादा जवान इनकी सुरक्षा में तैनात थे और सालाना 12 हजार करोड़ रुपये का खर्च था. इस खर्च में सुरक्षाकर्मियों का वेतन और पेट्रोल डीजल का खर्चा ही शामिल है. खाना पीना, ट्रेवलिंग अलाउंस, भत्ता अलग है. केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर ये खर्चा वहन करती हैं.