बाहुबली धनंजय सिंह की कहानी !

अपहरण व रंगदारी मामले में पूर्व सांसद धनंजय सिंह को सात साल की सजा, नहीं लड़ पाएंगे चुनाव
धनंजय पर 43 केस… 22 में दोषमुक्त, पहली बार दोषी …
नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर का अपहरण कराने, पिस्टल सटाकर रंगदारी मांगने के आरोपी पूर्व सांसद धनंजय सिंह को बुधवार को सजा सुनाई गई है। मैनेजर ने 10 मई 2020 को लाइन बाजार थाने में अपहरण, रंगदारी व अन्य धाराओं में पूर्व सांसद धनंजय सिंह व विक्रम के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी। 

नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल का चार साल पहले अपहरण कराने, पिस्टल सटाकर रंगदारी मांगने, गालियां व धमकी देने के आरोपी पूर्व सांसद धनंजय सिंह को 7 साल की सजा सुनाई गई है। ऐसे में वे लोकसभा चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। 

इससे पहले मंगलवार को अपर सत्र न्यायाधीश चतुर्थ/एमपी एमएलए शरद कुमार त्रिपाठी की अदालत ने दोनों आरोपियों को अपहरण व रंगदारी में दोषी करार दिया था। साथ ही सजा के बिंदु पर सुनवाई के लिए छह मार्च की तिथि नियत की गई थी।

पूर्व सांसद धनंजय व संतोष विक्रम सिंह को इन धाराओं में हुई सजा
1-364 भारतीय दण्ड संहिता अपहरण के मामले में आजीवन कारावास या 10 वर्ष के लिए कठोर कारावास और जुर्माना।
2-386 भारतीय दंड संहिता रंगदारी मांगने के आरोप में 10 वर्ष व जुर्माना
3-120-बी भारतीय दंड संहिता षड़यंत्र में जिस प्रकार के अपराध के लिए लगा है षड्यंत्र ही दंड होगा।
4-504 भारतीय दंड संहिता में दो वर्ष कारावास या जुर्माना या दोनों हो सकता है।
5-506 भारतीय दंड संहिता में अधिकतम सात वर्ष व न्यूनतम दो वर्ष की सजा व जुर्माना दोनों हो सकता है।

यह था मामला
मुजफ्फरनगर निवासी अभिनव सिंघल ने 10 मई 2020 को लाइन बाजार थाने में अपहरण, रंगदारी व अन्य धाराओं में पूर्व सांसद धनंजय सिंह व उनके साथी विक्रम के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी। तहरीर में कहा था कि रविवार की शाम को पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने अपने साथी विक्रम सिंह के साथ दो व्यक्ति पचहटिया स्थित साइड पर पहुंचे। वहां फॉर्च्यूनर गाड़ी में वादी का अपहरण कर पूर्व सांसद के आवास मोहल्ला कालीकुत्ती में ले गए। वहां धनंजय सिंह पिस्टल लेकर आए और गालियां देते हुए वादी की फर्म को कम गुणवत्ता वाली सामग्री की आपूर्ति करने के लिए दबाव डालने लगे। वादी के इनकार करने पर धमकी देते हुए रंगदारी मांगा। किसी प्रकार उनके चंगुल से निकलकर वादी लाइन बाजार थाने पहुंचा और आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग किया। पुलिस ने पूर्व सांसद धनंजय सिंह को उनके आवास से गिरफ्तार करके कोर्ट में दूसरे दिन पेश किया। कोर्ट ने उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। यहां की अदालत से जमानत निरस्त हुई। बाद में उच्च न्यायालय से जमानत मिली। धनंजय ने उस समय जेल जाते समय आरोप लगाया था कि राज्यमंत्री और पुलिस अधीक्षक ने षड्यंत्र कर उन्हें फंसाया है। पत्रावली सुनवाई के लिए एमपी एमएलए कोर्ट भेजी गई। वहां सुनवाई चल रही थी। इसी बीच हाईकोर्ट एमपी एमएलए से जुड़ी सभी पत्रावली संबंधित जिला अदालत में भेजने का आदेश दिया।
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धनंजय पर 43 केस… 22 में दोषमुक्त, पहली बार दोषी; मुठभेड़ में मार गिराने का भी हुआ था दावा
जौनपुर के पूर्व सांसद बाहुबली धनंजय सिंह के खिलाफ जौनपुर, लखनऊ और दिल्ली में 43 मुकदमे दर्ज हैं। 22 में दोषमुक्त हो चुका है। पहली बार धनंजय सिंह दोषी करार दिया गया है। 33 वर्ष पहले पहला मुकदमा दर्ज हुआ था। 2023 में आखिरी मामला दर्ज हुआ था।

नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल का करीब तीन साल दस महीने पहले अपहरण कराने, रंगदारी मांगने और गालीगलौज कर धमकाने के मामले में पूर्व सांसद धनंजय सिंह और सहयोगी संतोष विक्रम सिंह को एडीजे चतुर्थ (एमपी-एमएलए) शरद कुमार त्रिपाठी की अदालत ने दोषी पाया है। अदालत आज मामले में सजा सुनाएगी।

अदालत ने धनंजय और संतोष विक्रम को दोष सिद्ध वारंट बनाकर जिला जेल भेज दिया है। अदालत ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि मामले का अभियुक्त पूर्व सांसद है। उसके ऊपर कई आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। उसका क्षेत्र में काफी नाम है, जबकि वादी मात्र सामान्य नौकर है। ऐसी स्थिति में वादी का डरकर अपने बयान से मुकर जाना अभियुक्त को कोई लाभ नहीं देता है, जबकि मामले में अन्य परिस्थितिजन्य साक्ष्य मौजूद हों।

मुजफ्फरनगर निवासी अभिनव सिंघल ने 10 मई 2020 को लाइन बाजार थाने में अपहरण, रंगदारी और अन्य धाराओं में पूर्व सांसद धनंजय सिंह व संतोष विक्रम सिंह और दो अज्ञात के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी। अभिनव सिंघल का आरोप था कि संतोष विक्रम सिंह और अन्य दो लोग पचहटिया स्थित साइट पर आए थे। वहां से असलहे के बल पर चारपहिया वाहन से उनका अपहरण कर मोहल्ला कालीकुत्ती स्थित धनंजय सिंह के घर ले जाया गया। 

धनंजय सिंह पिस्टल लेकर आया और गालीगलौज करते हुए उनकी फर्म को कम गुणवत्ता वाली सामग्री की आपूर्ति करने के लिए दबाव डालने लगा। उनके इन्कार करने पर धमकी देते हुए धनंजय ने रंगदारी मांगी। किसी प्रकार से उनके चंगुल से निकलकर लाइन बाजार थाने गए और आरोपियों के खिलाफ तहरीर देकर कार्रवाई की मांग की। पुलिस ने धनंजय सिंह को उसके आवास से गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया था, जहां से वह न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत पर धनंजय जेल से बाहर आया था।

लखनऊ और दिल्ली में 43 मुकदमे, पहली बार दोषी करार, 22 में दोषमुक्त
जौनपुर के पूर्व सांसद बाहुबली धनंजय सिंह का आपराधिक इतिहास तीन दशक से ज्यादा समय का है। पुलिस डोजियर के अनुसार धनंजय सिंह के खिलाफ वर्ष 1991 से 2023 के बीच जौनपुर, लखनऊ और दिल्ली में 43 आपराधिक मुकदमे दर्ज किए गए। इनमें से 22 मामलों में अदालत ने धनंजय को दोषमुक्त कर दिया है। तीन मुकदमे शासन ने वापस ले लिए हैं। हत्या के एक मामले में धनंजय की नामजदगी गलत पाई गई और धमकाने से संबंधित एक प्रकरण में पुलिस की ओर से अदालत में फाइनल रिपोर्ट दाखिल की गई। यह पहला मामला है, जिसमें धनंजय को दोषी करार दिया गया।
 
जौनपुर के सिकरारा थाना के बनसफा गांव के मूल निवासी धनंजय सिंह ने जौनपुर के टीडी कॉलेज से छात्र राजनीति की शुरुआत की। इसके बाद लखनऊ विश्वविद्यालय में अभय सिंह से दोस्ती हुई। इसके बाद हत्या, सरकारी ठेकों से वसूली, रंगदारी जैसे मुकदमों में नाम आने लगा। देखते ही देखते धनंजय सिंह का नाम पूर्वांचल से लेकर लखनऊ तक सुर्खियों में छा गया। धनंजय के खिलाफ वर्ष 1991 में पहला मुकदमा जौनपुर के लाइनबाजार थाने में गैरकानूनी जनसमूह का सदस्य होने और धमकाने सहित अन्य आरोपों में दर्ज किया गया था। इसके बाद धनंजय के खिलाफ आपराधिक मुकदमों की सूची लंबी होती चली गई।
पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराने का किया था दावा
धनंजय सिंह का नाम वर्ष 1998 तक लखनऊ से लेकर पूर्वांचल के जिलों तक अपराध जगत में सुर्खियों में आ चुका था। धनंजय पर पुलिस की ओर से 50 हजार का इनाम घोषित किया गया था। अक्तूबर 1998 में पुलिस ने बताया कि 50 हजार के इनामी धनंजय सिंह तीन अन्य लोगों के साथ भदोही-मिर्जापुर रोड पर स्थित एक पेट्रोल पंप पर डकैती डालने आया था। पुलिस ने दावा किया कि मुठभेड़ में धनंजय सहित चारों लोग मारे गए हैं। हालांकि धनंजय जिंदा था और भूमिगत हो गया था।
फर्जी मुठभेड़, 34 पुलिसकर्मियों पर मुकदमे
धनंजय फरवरी 1999 में धनंजय अदालत में पेश हुआ तो भदोही पुलिस के फर्जी मुठभेड़ का पर्दाफाश हुआ। धनंजय के जिंदा सामने आने पर मानवाधिकार आयोग ने जांच शुरू की और फर्जी मुठभेड़ में शामिल रहे 34 पुलिसकर्मियों पर मुकदमे दर्ज हुए।
बनारस में हुआ काफिले पर हमला, चल रहा है मुकदमा
धनंजय सिंह और अभय सिंह वर्ष 2002 आते-आते एक-दूसरे के खिलाफ हो गए थे। अक्तूबर 2002 में बनारस से जा रहे धनंजय के काफिले पर नदेसर में टकसाल टॉकीज के सामने गोलीबारी हुई। गोलीबारी में धनंजय के गनर सहित काफिले में शामिल अन्य लोग घायल हुए थे। प्रकरण को लेकर धनंजय ने कैंट थाने में अभय सिंह सहित अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। यह मुकदमा फिलहाल विचाराधीन है।
मुन्ना बजरंगी के गुरु की तस्वीर लेकर प्रचार किया, बना विधायक
जौनपुर पुलिस के मुताबिक विनोद नाटे नाम के एक बाहुबली नेता हुआ करते थे। विनोद को कुख्यात मुन्ना बजरंगी का गुरु भी कहा जाता है। विनोद नाटे ने रारी विधानसभा से चुनाव जीतने के लिए खासी मेहनत की थी। उसी दौरान सड़क दुर्घटना में विनोद की मौत हो गई। इसके बाद धनंजय ने विनोद की तस्वीर को अपनी राजनीति का सहारा बनाया और लोगों की संवेदनाएं बटोरते हुए 2002 में वह रारी से निर्दलीय विधायक बना।
2007 में धनंजय ने जनता दल यूनाइटेड के सिंबल पर विधायक का चुनाव जीता। 2008 में धनंजय बहुजन समाज पार्टी में शामिल होकर 2009 में जौनपुर से सांसद का चुनाव जीत। वर्ष 2011 में बसपा सुप्रीमो मायावती ने धनंजय को पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्त होने के आरोप में बाहर निकाल दिया। उसके बाद से धनंजय सिंह को विधानसभा और लोकसभा के चुनाव में सफलता नहीं मिली।
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बाहुबली धनंजय सिंह की कहानी: पहली पत्नी ने की आत्महत्या… दूसरी से हुआ तलाक और पेरिस में की तीसरी शादी
पूर्व सांसद बाहुबली धनंजय सिंह का निजी जीवन उतार-चढ़ाव भरा रहा है। उन्होंने तीन शादियां कीं। पहली पत्नी ने शादी के नौ महीने बाद ही खुदकुशी कर ली थी। जानें पूरी कहानी…

नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल का करीब तीन साल दस महीने पहले अपहरण कराने, रंगदारी मांगने और गालीगलौज कर धमकाने के मामले में पूर्व सांसद धनंजय सिंह और सहयोगी संतोष विक्रम सिंह को एडीजे चतुर्थ (एमपी-एमएलए) शरद कुमार त्रिपाठी की अदालत ने दोषी पाया है। 

बहस के बाद अदालत ने दोनों को सजा सुना दी। अदालत ने धनंजय और संतोष विक्रम को दोष सिद्ध वारंट बनाकर जिला जेल भेज दिया है। अदालत ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि मामले का अभियुक्त पूर्व सांसद है। उसके ऊपर कई आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। 

उसका क्षेत्र में काफी नाम है, जबकि वादी मात्र सामान्य नौकर है। ऐसी स्थिति में वादी का डरकर अपने बयान से मुकर जाना अभियुक्त को कोई लाभ नहीं देता है, जबकि मामले में अन्य परिस्थितिजन्य साक्ष्य मौजूद हों।

मुजफ्फरनगर निवासी अभिनव सिंघल ने 10 मई, 2020 को लाइन बाजार थाने में अपहरण, रंगदारी और अन्य धाराओं में पूर्व सांसद धनंजय सिंह व संतोष विक्रम सिंह और दो अज्ञात के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी। अभिनव सिंघल का आरोप था कि संतोष विक्रम सिंह और अन्य दो लोग पचहटिया स्थित साइट पर आए थे। वहां से असलहे के बल पर चारपहिया वाहन से उनका अपहरण कर मोहल्ला कालीकुत्ती स्थित धनंजय सिंह के घर ले जाया गया। 

धनंजय सिंह पिस्टल लेकर आया और गालीगलौज करते हुए उनकी फर्म को कम गुणवत्ता वाली सामग्री की आपूर्ति करने के लिए दबाव डालने लगा। उनके इन्कार करने पर धमकी देते हुए धनंजय ने रंगदारी मांगी। किसी प्रकार से उनके चंगुल से निकलकर लाइन बाजार थाने गए और आरोपियों के खिलाफ तहरीर देकर कार्रवाई की मांग की। पुलिस ने धनंजय सिंह को उसके आवास से गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया था, जहां से वह न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत पर धनंजय जेल से बाहर आया था।
मुन्ना बजरंगी के गुरु की तस्वीर लेकर प्रचार किया, बना विधायक
जौनपुर पुलिस के मुताबिक, विनोद नाटे नाम के एक बाहुबली नेता हुआ करते थे। विनोद को कुख्यात मुन्ना बजरंगी का गुरु भी कहा जाता है। विनोद नाटे ने रारी विधानसभा से चुनाव जीतने के लिए खासी मेहनत की थी। उसी दौरान सड़क दुर्घटना में विनोद की मौत हो गई। 

इसके बाद धनंजय ने विनोद की तस्वीर को अपनी राजनीति का सहारा बनाया और लोगों की संवेदनाएं बटोरते हुए 2002 में वह रारी से निर्दलीय विधायक बना। 2007 में धनंजय ने जनता दल यूनाइटेड के सिंबल पर विधायक का चुनाव जीता। 

2008 में धनंजय बहुजन समाज पार्टी में शामिल होकर 2009 में जौनपुर से सांसद का चुनाव जीत। वर्ष 2011 में बसपा सुप्रीमो मायावती ने धनंजय को पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्त होने के आरोप में बाहर निकाल दिया। उसके बाद से धनंजय सिंह को विधानसभा और लोकसभा के चुनाव में सफलता नहीं मिली।

निजी जीवन उतार-चढ़ाव भरा, तीन शादी की
धनंजय सिंह का निजी जीवन उतार-चढ़ाव भरा रहा और बाहुबली ने तीन शादियां कीं। धनंजय की पहली पत्नी ने शादी के नौ महीने बाद ही आत्महत्या कर ली थी। दूसरी पत्नी डॉ. जागृति सिंह घरेलू नौकरानी की हत्या के आरोप में नवंबर 2013 में गिरफ्तार हुई। 

इस मामले में सबूत मिटाने के आरोप में धनंजय भी नामजद था। हालांकि बाद में जागृति से धनंजय का तलाक हो गया। वर्ष 2017 में धनंजय ने दक्षिण भारत के एक कारोबारी परिवार से ताल्लुक रखने वाली श्रीकला रेड्डी से पेरिस में शादी की। फिलहाल, श्रीकला रेड्डी जौनपुर की जिला पंचायत अध्यक्ष हैं।

बनारस में हुआ काफिले पर हमला, चल रहा है मुकदमा
धनंजय सिंह और अभय सिंह वर्ष 2002 आते-आते एक-दूसरे के खिलाफ हो गए थे। अक्तूबर 2002 में बनारस से जा रहे धनंजय के काफिले पर नदेसर में टकसाल टॉकीज के सामने गोलीबारी हुई। गोलीबारी में धनंजय के गनर सहित काफिले में शामिल अन्य लोग घायल हुए थे। प्रकरण को लेकर धनंजय ने कैंट थाने में अभय सिंह सहित अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। यह मुकदमा फिलहाल विचाराधीन है।

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