इंदौर : क्यों इतने बड़े अंतर से हारे संजय शुक्ला …?

दो साल पहले जीते विधायक की हार के छह बड़े कारण….

विधानसभा चुनाव में दो साल पहले इंदौर – 1 विधानसभा में कांग्रेस की विजय पताका लहराने वाले संजय शुक्ला महापौर चुनाव हार गए। उन्हें इंदौर की पॉलिटिकिल पिच पर डेब्यू मैच खेल रहे पुष्यमित्र भार्गव ने रिकार्ड मतों से शिकस्त दी। उल्लेखनीय है शुक्ला बीते एक साल से महापौर चुनाव की तैयारी कर रहे थे। जबकि भार्गव को महापौर चुनाव मैदान में उतारने का फैसला ही नगरीय निकाय चुनाव की आचार संहिता लागू होने के बाद हुआ। इसके चलते राजनैतिक गलियारों में पुष्यमित्र को संजय शुक्ला के सामने कमजोर उम्मीदवार माना जा रहा था। लेकिन, शुक्ला यह मैच क्यों हार गए, हम छह प्वाइंट में बताते हैं –

1 . स्वच्छता के पंच ने भाजपा को इंदौरियों के दिल से जोड़ा …

. इंदौर देश में स्वच्छता के मामले पांच बार से लगातार नंबर एक पर बना हुआ है। यह अवार्ड इंदौर के नाम भाजपा शासनकाल में हुआ। इस स्वच्छता पंच के सहारे भाजपा ने इंदौरियों के दिल से जुड़ गई। इसके चलते शहर के मतदाताओं ने अपने को भाजपा के डेवलपमेंट की राजनीति करने वाली पार्टी मानकर कांग्रेस उम्मीदवार संजय शुक्ला को नकार दिया।

2 . नए चेहरे को स्वीकारा …

. भाजपा ने महापौर पद पर नए चेहरे को मैदान में उतारा। जबकि संजय शुक्ला शहर के लोगों के लिए जाना – पहचाना चेहरा था। उनके कामकाम और तौर तरीकों से जनता वाकिफ थी। इस कारण वोटर ने शुक्ला के बजाय भार्गव को महापौर चुना।

3 . लोकल चर्चित नेताओं की दूरी …

. चुनाव में बड़े नेताओं के साथ ही लोकन स्तर पर चर्चित कांग्रेस नेताओं ने संजय शुक्ला के प्रचार – प्रसार और जनसंपर्क का काम औपचारिकता पूरी करने के लिए किया। इन नेताओं को संजय शुक्ला के महापौर बनने की स्थिति में पार्टी और शहर में राजनैतिक कद छोटा हाेने का खतरा था। नेताओं के इस भितरघात के चलते शुक्ला महापौर चुनाव हार गए।

4 . पांच फ्लाईओवर की घोषणा को मतदाताओं ने माना शुक्ला का अहंकार …

. पार्टी से महापौर प्रत्याशी का टिकिट मिलने के साथ ही संजय शुक्ला ने खुद को नतीजे आने से पहले ही खुद को महापौर घोषित कर दिया था। उन्होंने अपने प्रचार अभियान में खुद के बजट से पांच एफओबी बनाने की घोषणा भी की। इसे मतदाताओं ने शुक्ला का अहंकार समझा और महापौर उम्मीदवार के रूप खारिज कर दिया।

5 . लक्ष्मीपुत्र बनाम सरस्वतीपुत्र का नरैटिव सेट किया…

. भाजपा ने महापौर उम्मीदवार पुष्यमित्र की छवि सरस्वती पुत्र अर्थात पढ़े लिखे व्यक्ति की बनाई। साथ ही शुक्ला को उनकी संपत्ति के आधार पर लक्ष्मीपुत्र बताया। भाजपा यह नरैटिव सेट करने में सफल रही। रिजल्ट , कांग्रेस नेता एवं विधायक संजय शुक्ला महापौर पद का चुनाव हार गए।

6 . बूथ मैनेजमेंट में फेल ...

प्रोफेशनल तरीके से चुनाव लड़ने की जगह पारंपरिक तरीका अपनाना। पीपुल कनेक्ट या अपने वोटर के बारे में जानकारी की कमी रही। वह प्रचार अभियान के दौरान जनता के मूड को नहीं समझ पाए। इसके चलते बूथ मैनेजमेंट नहीं कर पाए। जो उनकी हार का कारण बना। चुनाव मैनेजमेंट की कमी।

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