मध्य प्रदेश में IAS, IPS को मिल रहा प्रमोशन …अधिकारियों को प्रमोशन का इंतजार
मध्य प्रदेश में IAS, IPS को मिल रहा प्रमोशन, कर्मचारी पांच साल से कर रहे फैसले का इंतजार
मध्य प्रदेश में कर्मचारियों के पदोन्नति में आरक्षण के मामले के चलते अटकी पड़ी है, जबकि आईएएस, आईपीएस और आईएफएस को समय पर पदोन्नति मिल रही है। मप्र हाईकोर्ट ने पदोन्नति पर रोक लगाई है और सरकार अब तक सुप्रीम कोर्ट में अंतिम निर्णय का इंतजार कर रही है। नए नियमों के बावजूद भी सहमति नहीं हुई है, जिसके कारण कई कर्मचारियों की पदोन्नति अटकी हुई है।
- पांच साल से अटकी कर्मचारियों की पदोन्नति
- मप्र हाईकोर्ट ने पदोन्नति पर लगा रखी है रोक
- सरकार को कोर्ट के अंतिम निर्णय का इंतजार
भोपाल : प्रदेश में पदोन्नति में आरक्षण का मामला ऐसा उलझा है कि पिछले साढ़े पांच साल से कर्मचारी पदोन्नति के लिए मुंह ताक रहे हैं जबकि आईएएस, आईपीएस और आईएफएस को समय पर पदोन्नति मिल रही है।
कर्मचारियों का आरोप है कि अधिकारियों की पदोन्नति प्रभावित नहीं होने के कारण ही कर्मचारियों की सशर्त पदोन्नति का रास्ता नहीं निकल पा रहा है। चार साल में करीब 80 हजार कर्मचारी बगैर पदोन्नति के सेवानिवृत्त हो गए हैं।
न्यायालय ने बरकरार रखा स्टे
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने 30 अप्रैल, 2016 को मप्र लोक सेवा (पदोन्नति) नियम 2002 खारिज कर दिया था। राज्य सरकार इस आदेश के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट चली गई और न्यायालय ने यथास्थिति (स्टेटस को) रखने का आदेश दे दिया और प्रदेश में पदोन्नति पर रोक लगी है। राज्य सरकार तब से सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रख रही है और प्रमोशन में आरक्षण के अंतिम निर्णय के इंतजार में हैं।
नहीं हुआ अंतिम निर्णय
सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति में आरक्षण के मामले में अर्जेंट हियरिंग भी हो चुकी है, लेकिन कोई हल नहीं निकल सका है। इधर, कर्मचारियों का कहना है कि सरकार सुप्रीम कोर्ट में सही तरह से अपना पक्ष नहीं रख पा रही है जिसके चलते अब तक कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ।
इस बीच, सरकार द्वारा कर्मचारियों और अधिकारियों को कार्यवाहक का प्रभार सौंपकर संतुष्ट किया जा रहा है। पुलिस, जेल और वन विभाग के वर्दी वाले पदों पर यह व्यवस्था लागू की गई है।
नए नियमों पर भी एक राय नहीं
सरकार ने पदोन्नति के नए नियमों का प्रारूप तैयार किया है। इस पर निर्णय लेने के लिए मंत्री समूह की समिति बनाई गई। इसकी बैठक आठ माह पहले हुई थी, जिसमें आरक्षित और अनारक्षित वर्ग के कर्मचारी नेता शामिल हुए थे। बनाए गए नियमों से अनारक्षित वर्ग सहमत नहीं है। उनका कहना है कि इसमें क्रीमीलेयर सहित कई प्रविधान नहीं किए गए। नए नियम एक तरह से पुराने नियमों को नए कलेवर में प्रस्तुत करना ही है। इस कारण अब तक सहमति नहीं बन पाई और सरकार ने इसे भी लंबित रखा है।
हमारे संविधान का मूल उद्देश्य सम दृष्टि समभाव है। इसे देखते हुए सरकार को निर्णय लेना चाहिए। पदोन्नति की वर्षों से बाट जोह रहे कर्मचारियों का विशेष तौर पर ध्यान रखना चाहिए। कई लोग जिस पद पर आए थे उसी पद से सेवानिवृत्त हो गए। ऐसी स्थिति में सरकार को पुनर्विचार करना चाहिए। जैसे आइएएस, आइपीएस और आइएफएस को पदोन्नति दिया जा रही है वैसे ही उसी फार्मूले से छोटे कर्मचारियों को भी पदोन्नति देनी चाहिए।
– विजय श्रवण, प्रांतीय प्रवक्ता, मध्य प्रदेश अजाक्स