केंद्र सरकार के किन विभागों में आरक्षण लागू नहीं होता और क्यों?

केंद्र सरकार के किन विभागों में आरक्षण लागू नहीं होता और क्यों?
UPSC Lateral Entry Reservation Row: यूपीएससी लेटरल एंट्री विवाद के बीच राजद नेता तेजस्वी यादव ने मंगलवार को एक्स पर एक पोस्ट लिख. पोस्ट में लिखा, अब आरक्षण विरोधी मोदी सरकार ने कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग से जुड़ी 368 पदों की नियुक्ति में दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों के आरक्षण को समाप्त कर दिया है. ऐसे में सवाल है कि क्या केंद्र में होने वाली सभी भर्ती में आरक्षण का लाभ दिया जाता है, सरकारी नौकरी में आरक्षण की क्या व्यवस्था है? आइए जानते हैं इन सवालों के जवाब.
केंद्र सरकार के किन विभागों में आरक्षण लागू नहीं होता और क्यों?

UPSC में लेटरल एंट्री के बीच कृषि विभाग की नौकरियों में आरक्षण का मुद्दा उठा है.

UPSC में लेटरल एंट्री विवाद के साथ आरक्षण भी मुद्दा बन गया है. राजद नेता तेजस्वी यादव ने मंगलवार को एक्स पर एक पोस्ट लिखा. पोस्ट में लिखा, अब आरक्षण विरोधी मोदी सरकार ने कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग से जुड़ी 368 पदों की नियुक्ति में दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों के आरक्षण को समाप्त कर दिया है. अब कृषि विभाग की नियुक्तियों में भी आरक्षण समाप्त किया जा रहा है.

इससे पहले लेटरल एंट्री के जरिए उच्च पदों पर नियुक्ति करने के मामले में केंद्र सरकार ने यूटर्न लिया. केंद्र के कार्मिक विभाग के राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने यूपीएससी चेयरमैन प्रीती सुदन को पत्र लिखा और वैकेंसी रद्द करने के निर्देश दिए. 17 अगस्त को निकाले गए विज्ञापन के जरिए यूपीएससी ने केंद्र सरकार के मंत्रालयों में 45 पदों के लिए भर्ती निकाली थी. इसका सीधा सा मतलब होता है निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों की सरकारी सेवाओं में नियुक्ति. इसके लिए न्यूनतम उम्र 45 साल और 15 के अनुभव की जरूरत होती है. विपक्ष के विरोध के बाद यह भर्ती रद्द कर दी गई है.

कार्मिक विभाग के पत्र में कहा गया है कि लेटरल एंट्री के लिए निकली भर्तियों में आरक्षण का प्रावधान नहीं किया गया, जिसे ध्यान में रखते हुए इसे वापस लिया जाए. इससे राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने मुद्दा बनाया. लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी का कहना है, हम हर कीमत पर संविधान और आरक्षण व्यवस्था की रक्षा करेंगे. बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और राजद नेता तेजस्वी यादव का कहना है, पीएम मोदी संविधान और आरक्षण को खत्म करके उच्च सेवाओं में IAS/IPS की जगह बिना परीक्षा के आरएसएस के लोगों की भर्ती कर रहे हैं.

ऐसे में सवाल है कि क्या केंद्र में होने वाली सभी भर्ती में आरक्षण का लाभ दिया जाता है, सरकारी नौकरी में आरक्षण की क्या व्यवस्था है? आइए जानते हैं इन सवालों के जवाब.

केंद्र की नौकरी में कितना मिलता है आरक्षण?

वर्तमान में केंद्र की तरफ से निकाली जाने वाली नौकरियों में संविधान के अनुच्छेद 16(4) के तहत आरक्षण दिया जाता है. इसके तहत ही अनुसूचित जाति(एससी), अनुसूचित जनजाति(एसटी) और अन्य पिछड़े वर्गों को आरक्षण का प्रावधान किया गया है. मौजूदा स्थिति के मुताबिक, राष्ट्रीय स्तर पर अनुसूचित जाति (ST) को 15 फीसदी, अनुसूचित जनजाति (ST) को 7.5 फीसदी और अन्य पिछड़े वर्गों (OBC) को 27 फीसदी आरक्षण दिया जा रहा है. इस तरह कुल 50 फीसदी आरक्षण दिया जा रहा है.

वर्तमान में लेटरल एंट्री जिस भर्ती को रद्द किया गया है उसमें आरक्षण की बात नदारद थी. इस पर विपक्ष का तर्क था कि लेटरल एंट्री के तहत भर्ती से ST, SC और अन्य पिछड़ी जातियों (ओबीसी) का हक मारा जाएगा.

किन विभागों की नौकरियों में आरक्षण नहीं और क्यों?
  1. जुडिएशरी: भारतीय संविधान के आर्टिकल 124 और 217 के तहत सप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों की भर्ती में आरक्षण नहीं लागू होता है. तर्क यह भी दिया जाता है कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के फैसले नजीर बनते हैं. इसलिए इसमें अनुभव बेहद मायने रखता है. इसमें आरक्षण को शामिल करके देश की न्यायिक व्यवस्था से समझौता नहीं किया जा सकता. हालांकि, सरकार देश के हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से सिफारिश के मामलों में महिलाओं, आरक्षित वर्ग और अल्पसंख्यकों के बारे में विचार करने की बात कह चुकी है. एक संसदीय पैनल ने यह भी सिफारिश की थी कि कॉलेजियम न्यायिक नियुक्तियों के लिए अधिक महिलाओं और आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों की सिफारिश करने पर विचार करे.
  2. डिफेंस सेक्टर: भारत में डिफेंस सेक्टर से जुड़ी प्रमुख भर्तियों जैसे आर्मी, नेवी और एयरफोर्स में आरक्षण को लेकर कोई नियम नहीं है. इसमें आरक्षण को लेकर कभी विवाद भी नहीं उठा. यहां तर्क दिया जाता है कि मामला देश की सुरक्षा से जुड़ा है. भारतीय सेना में भर्तियों के मानक शारीरिक-मानसिक फिटनेस के साथ लीडरशिप स्किल और देशभक्ति बताए गए हैं. यहां मेरिट को आधार बनाया जाता है. यानी प्रदर्शन के आधार पर भर्ती होती है. विशेषज्ञों का कहना है, आरक्षण भारतीय सेना के मानकों को कमजोर कर सकते हैं, इसलिए यहां आरक्षण का नियम नहीं लागू होता.
  3. ISRO, DRDO में आरक्षण नहीं: इसरो और डीआरडीओ समेत कई ऐसे कई संस्थान हैं जहां पर प्रमुख भर्तियों में आरक्षण नहीं दिया जाता. यहां तर्क दिया गया है कि ये ऐसे संस्थान हैं जो रक्षा और विज्ञान के क्षेत्र में काम करते हैं. ये देश के लिए काम करते हैं. आरक्षण देकर इनके मानकों को प्रभावित नहीं किया जा सकता.जैसे DRDO मिसाइल बनाता है. सेना के लिए हथियार बनाता है और सुरक्षा को बढ़ाता है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करता है और सभी के साथ समान व्यवहार करने की पॉलिसी में यकीन रखता है.
  4. सीनियर का प्रमोशन: ऑल इंडिया सर्विसेज जैसे IAS, IPS और IFS में सीनियर लेवल पर आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है. यहां बड़े स्तर पर होने वाली पदोन्नति में आरक्षण को आधार नहीं बनाया जाता. ऐसा इसलिए क्योंकि इनके अनुभव और उपलब्धियों को आधार बनाया जाता है.

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