ट्रेनें भी बन गईं हवाई जहाज!
ट्रेनें भी बन गईं हवाई जहाज! जानिए दुनिया में कहां-कितनी स्पीड से दौड़ती हैं हाई स्पीड ट्रेन
भारत में भी हाई स्पीड ट्रेनें चल रही हैं, हालांकि इनकी स्पीड दुनिया के कुछ अन्य देशों में चलने वाली हाई स्पीड ट्रेनों जितनी तेज नहीं है.
हाई स्पीड ट्रेनें निश्चित रूप से दुनिया के लिए एक वरदान हैं. हवाई यात्रा की तुलना में हाई स्पीड ट्रेनें आमतौर पर ज्यादा किफायती होती हैं. यह लंबी दूरी की यात्रा के लिए ट्रेनें सबसे सुरक्षित और किफायती ऑप्शन माना जाता है.
दुनिया भर में हाई स्पीड ट्रेनें तेजी से बढ़ रही हैं. कई देशों में नई हाई स्पीड ट्रेनों के प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है. हाई-स्पीड ट्रेन ट्रांसपोर्ट सिस्टम में सबसे ज्यादा सफलता यूरोप और एशिया में देखी गई है. यहां के कई देशों में हाई-स्पीड रेल नेटवर्क विकसित हो चुके हैं.
इसके अलावा मध्य पूर्व और अमेरिका में भी हाई स्पीड ट्रेनें चल रही हैं या चलने की योजना है. कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, रूस और ब्राजील जैसे बड़े देश भी हाई स्पीड ट्रेन चलाने की योजना बना रहे हैं. चीन के पास दुनिया का सबसे बड़ा हाई स्पीड रेल नेटवर्क है. चीन में 40,000 किलोमीटर लंबा हाई स्पीड रेल नेटवर्क है. यह दुनिया के दूसरे सबसे बड़े नेटवर्क से दस गुना बड़ा है.
दुनिया में सबसे तेज स्पीड से चलने वाली ट्रेन कहां
दुनियाभर में रिसर्च करके डेटा एकत्र करने वाली कंपनी statista के अनुसार, दुनिया में सबसे तेज स्पीड से ट्रेनें चीन, फ्रांस, जर्मनी और जापान में चलती हैं. यहां ट्रेनें 320 किलोमीटर प्रति घंटे या 460 किलोमीटर प्रति घंटे तक की गति से चल सकती हैं.
एशिया में कई देशों में हाई स्पीड ट्रेनें चल रही हैं. हाल ही में इंडोनेशिया में भी एक नई हाई स्पीड ट्रेन शुरू हुई है. यह ट्रेन जाकार्ता और बांडुंग के बीच चलती है और 300 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलती है.
हालांकि अमेरिका में हाई स्पीड ट्रेनों की गति अभी भी बहुत कम है. अमेरिका में कुछ हाई स्पीड ट्रेनें चलती हैं, लेकिन इनकी गति 200 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा नहीं है. वॉशिंगटन डीसी और बोस्टन के बीच चलने वाली ट्रेनें 241 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलती हैं. इस साल नई ट्रेनें चलना शुरू हो सकती हैं, जो 250 किलोमीटर प्रति घंटे से थोड़ी ज्यादा गति से चलेंगी.
कहां-कहां हाई स्पीड ट्रेनें बनानी की योजना
एशिया और मध्य पूर्व के कई देशों में हाई स्पीड ट्रेनें बन रही हैं या बनने की योजना है. इराक में एक हाई स्पीड ट्रेन बन रही है. यह ट्रेन 300 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलेगी और 1200 किलोमीटर लंबा सफर तय करेगी.
ईरान में भी एक हाई स्पीड ट्रेन बन रही है. यह ट्रेन 250 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलेगी और तेहरान से इस्फ़हान तक जाएगी. मेक्सिको भी एक हाई स्पीड ट्रेन चलाने की योजना बना रहा है. यह ट्रेन 300 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलेगी और मेक्सिको सिटी से क्वेरेटारो राज्य तक जाएगी.
कितने देशों में हाई स्पीड बनाने के लिए चीन कर रहा मदद
थाईलैंड में भी जल्द ही एक हाई स्पीड ट्रेन शुरू होगी. यह ट्रेन बैंकॉक को आसपास के शहरों और हवाई अड्डों से जोड़ेगी. यह ट्रेन 250 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलेगी. चीन का वन बेल्ट वन रोड प्रोजेक्ट इन सभी हाई स्पीड ट्रेन परियोजनाओं के लिए फंडिंग कर रहा है. यह प्रोजेक्ट इराक में भी एक हाई स्पीड ट्रेन परियोजना के लिए पैसा दे रहा है. मलेशिया और सिंगापुर के बीच भी एक हाई स्पीड ट्रेन बन रही है. इसके लिए भी चीन पैसा दे रहा है.
लाओस में भी चीन की मदद से एक हाई स्पीड ट्रेन बन रही है. लेकिन इस प्रोजेक्ट को लेकर चीन की आलोचना हो रही है. वियतनाम और इराक भी चीन से मदद लेकर हाई स्पीड ट्रेनें बनाना चाहते हैं. सर्बिया में भी चीन और रूस की मदद से एक हाई स्पीड ट्रेन बन रही है. यह ट्रेन सर्बिया और हंगरी को जोड़ेगी.
बाल्टिक रेल परियोजना
बाल्टिक देश लिथुआनिया, लाटविया और एस्तोनिया में भी एक हाई स्पीड ट्रेन का प्रोजेक्ट चल रहा है. इस प्रोजेक्ट का लक्ष्य इन तीन देशों को यूरोप के रेल नेटवर्क से जोड़ना है. इसके लिए रूस के रेलवे ट्रैक की चौड़ाई को बदलकर यूरोप के रेलवे ट्रैक की चौड़ाई जैसा बनाया जा रहा है. इस प्रोजेक्ट के लिए पैसा यूरोपीय संघ दे रहा है.
यूरोपीय संघ पुर्तगाल और चेक गणराज्य में भी रेलवे को अपग्रेड करने के लिए पैसा दे रहा है. चेक गणराज्य पहले चीन से ही ट्रेनें खरीदता था. वहीं मिस्र में हाई स्पीड रेल परियोजना के लिए अलग-अलग देशों के बैंक और ऋणदाता पैसा दे रहे हैं.
क्या भारत में भी है कोई हाई स्पीड ट्रेन?
जी हां, भारत में भी हाई स्पीड ट्रेनें चल रही हैं हालांकि इनकी स्पीड दुनिया के कुछ अन्य देशों में चलने वाली हाई स्पीड ट्रेनों जितनी तेज नहीं है. वंदे भारत एक्सप्रेस को सेमी हाई स्पीड ट्रेन माना जाता है. यह पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक से बनी एक आधुनिक ट्रेन है और इसकी अधिकतम गति 160 किलोमीटर प्रति घंटा है.
इसके अलावा, भारत में दूसरी हाई स्पीड रेल परियोजनाओं पर भी काम चल रहा है. इनमें मुंबई-साबरमती के बीच प्रस्तावित देश की पहली बुलेट ट्रेन प्रमुख है. यह ट्रेन 320 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से दौड़ेगी. 508 किमी की दूरी महज दो घंटे में पूरी कर ली जाएगी. ये ट्रेन कुल 12 स्टेशन पर रुकेगी, जिनमें 8 गुजरात और 4 महाराष्ट्र में होंगे.
मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन कॉरिडोर की खासियत
नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड के अनुसार, इस रेलवे लाइन का 92% हिस्सा पुलों और वायडक्ट्स (ऊंचे रेलवे ट्रैक) पर होगा. कुल 508.09 किलोमीटर में से 460.3 किमी वायडक्ट पर होगा, 9.22 किमी पुलों पर होगा, 25.87 किमी सुरंगों में होगा (जिसमें 7 किलोमीटर लंबी समुद्री सुरंग भी शामिल है) और 12.9 किमी हिस्सा बांध या कटाव पर होगा.
ऊंचे ट्रैक के कई फायदे हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इससे पानी के प्राकृतिक प्रवाह में कोई रुकावट नहीं होगी. सभी जगहों पर क्रॉसिंग उपलब्ध होगी, मौजूदा सड़क नेटवर्क के ऊपर 5.5 मीटर की पर्याप्त दूरी होगी. किसी तरह का बाहरी हस्तक्षेप नहीं होगा. पारंपरिक रेलवे ट्रैक के लिए 36 मीटर की चौड़ाई की आवश्यकता होती है जबकि ऊंचे रेलवे ट्रैक के लिए 17.5 मीटर की चौड़ाई की आवश्यकता होती है.
भारत में हाई स्पीड रेल के लिए एक ट्रेनिंग सेंटर बनाया जा रहा है. इसका नाम है हाई स्पीड रेल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, वडोदरा. यह संस्थान वडोदरा में ही मौजूद नेशनल एकेडमी ऑफ इंडियन रेलवेज (NAIR) के साथ बनाया जा रहा है. इस ट्रेनिंग सेंटर में NHSRCL के सभी कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा. जापान में प्रशिक्षित अधिकारी/कर्मचारी जापानी विशेषज्ञों के साथ मिलकर इस संस्थान में प्रशिक्षण देंगे. इस संस्थान का उद्देश्य भारत में भविष्य में होने वाली अन्य हाई स्पीड रेल परियोजनाओं के लिए प्रशिक्षित कर्मचारी तैयार करना है.
जापान की ट्रेनों जैसी टेलीकॉम सिस्टम
भारत में हाई स्पीड ट्रेनों में जापान की शिंकानसेन ट्रेनों जैसा ही टेलीकॉम सिस्टम होगा. इस सिस्टम में ऑप्टिकल फाइबर केबल का इस्तेमाल किया जाएगा. ये केबल स्टेशनों और ऑपरेशनल कंट्रोल सेंटर के बीच तेजी से डेटा ट्रांसफर करने के लिए बहुत जरूरी है. यह सिस्टम यात्रियों को जानकारी देगा, ट्रेनों की स्पीड को कंट्रोल करेगा और सुरक्षा सुनिश्चित करेगा.
हाई स्पीड ट्रेनों को हवाई जहाज की तरह डिजाइन किया जाता है. जब हवाई जहाज तेज गति से चलता है तो हवा का प्रतिरोध होता है. इसी तरह, हाई स्पीड ट्रेनों को भी हवा का प्रतिरोध कम करने के लिए डिजाइन किया जाता है. जब कोई चीज तेजी से हवा में चलती है तो हवा उसके आगे बढ़ने का विरोध करती है. इसी विरोध को हम ‘हवा का प्रतिरोध’ कहा जाचा है. यह प्रतिरोध वस्तु की गति को धीमा कर सकता है और अधिक ऊर्जा खर्च करवा सकता है.
ट्रेनों के बीच के गैप को ढकने के लिए फेयरिंग्स लगाए जाते हैं. बोगियों के नीचे भी कवर लगाए जाते हैं. ये सभी चीजें हवा के प्रतिरोध को कम करती हैं. जब हाई स्पीड ट्रेन सुरंग से निकलती है तो तेज आवाज उत्पन्न होती है. इसे रोकने के लिए ट्रेन के आगे का हिस्सा खास तौर से डिजाइन किया जाता है. इसी वजह से हाई स्पीड ट्रेनों के आगे का हिस्सा हवाई जहाज की तरह होता है. यह हवा का प्रतिरोध कम करता है और ट्रेन को तेजी से चलने में मदद करता है.