यूपी के पूर्व IAS अभिषेक ?
यूपी के पूर्व IAS अभिषेक बोले-मैं छुई-मुई नहीं…जो डर जाऊंगा …
UPSC सिलेक्शन पर सवाल उठाने वालों को दिया जवाब, कहा- खानदान का इकलौता आईएएस हूं
‘मैं छुई मुई नहीं हूं, जो डर के बैठ जाऊंगा। मैं खानदान का इकलौता IAS हूं। आलोचना से फर्क नहीं पड़ता। लेकिन, जीवन में पहली बार आलोचकों को जवाब दे रहा हूं। वो भी इसलिए क्योंकि मेरे समर्थक जवाब देने के लिए कह रहे हैं। नहीं तो उनका मनोबल टूट जाएगा। ये जवाब समर्थकों को समर्पित है, न कि आलोचकों को…।’
यह बातें जौनपुर के पूर्व IAS अफसर अभिषेक सिंह ने अपने X पर लिखीं। दरअसल, अभिषेक पर फर्जी सर्टिफिकेट लगाकर विकलांग कोटे से UPSC में सिलेक्शन के आरोप लग रहे हैं। अभिषेक 2011 बैच के IAS अफसर हैं। हालांकि, उन्होंने अक्टूबर 2023 में इस्तीफा दे दिया।
विवाद क्यों उठा और इसकी वजह क्या है, इससे पहले जानिए कौन हैं अभिषेक सिंह?
पढ़िए सिलसिलेवार स्टोरी…
अभिषेक का 2011 में सिलेक्शन, 2023 में इस्तीफा
अभिषेक सिंह 2011 बैच के आईएएस अफसर हैं। उन्होंने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) में ऑल इंडिया 94वीं रैंक हासिल की थी। 2013 में उन्हें झांसी में बतौर जॉइंट मजिस्ट्रेट तैनाती मिली। अभिषेक यूपी के साथ दिल्ली में भी प्रतिनियुक्ति पर तैनात रहे। 2022 में उन्हें गुजरात विधानसभा चुनाव में प्रेक्षक बनाकर भेजा गया था।
जहां एक फोटो वायरल होने पर चुनाव आयोग ने उन्हें प्रेक्षक की ड्यूटी से हटा दिया था। इसके बाद उनके खिलाफ सस्पेंशन की कार्रवाई की गई थी। सस्पेंशन के बाद अक्टूबर, 2023 में अभिषेक ने इस्तीफा दे दिया, जिसे मार्च 2024 में मंजूर कर लिया गया।
अब क्यों विवाद में आए अभिषेक?
अभिषेक सिंह ने UPSC की परीक्षा विकलांग कैटेगरी से पास की थी। उन्होंने लोकोमोटिव डिसऑर्डर यानी खुद को चलने-फिरने में अक्षम बताया था। अभिषेक ने अपने एक्टिंग करियर के लिए IAS से इस्तीफा दे दिया था।
अभिषेक के जिम वर्कआउट और डांस करने के वीडियोज वायरल हो रहे हैं। इसके बाद से विकलांग कैटेगरी के तहत उनके सिलेक्शन पर सवाल उठने लगे हैं। इसका जवाब देते हुए अभिषेक ने कहा कि लोग मेरे खिलाफ प्रोपेगेंडा चला रहे हैं। इसे बंद करना चाहिए।
सोशल मीडिया पर यूजर्स के रिएक्शन
सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म X पर तमाम यूजर्स ने PwBD-3 (पर्सन विद बेंचमार्क डिसेबिलिटी) कैटेगरी के मानदंडों का हवाला देते हुए अभिषेक की पात्रता पर सवाल उठाया है। जिसमें सेरेब्रल पाल्सी, कुष्ठ रोग (लेप्रोसी) से ठीक हुए लोग, बौनापन, एसिड अटैक पीड़ित, मस्कुलर डिस्ट्रॉफी और चलने-फिरने में दिक्कत करने वाली अन्य कंडीशन शामिल हैं।
एक यूजर ने लिखा- UPSC के डाउनफॉल (पतन) की शुरुआत हो गई है। पूजा खेडकर के बाद अब अभिषेक सिंह इसका उदाहरण हैं। डांस करने वाले अभिषेक ने लोकोमोटर डिसेबिलिटी (PwBD-3) कैटेगरी के तहत UPSC पास की।
रोशन राय नाम के एक यूजर ने लिखा- विकलांगता कोटे से IAS बनने के बाद जिम में वजन उठा रहे हो? थोड़ा ज्ञान साझा कर दो, डॉक्टर भी अध्ययन करके दूसरे मरीजों की मदद कर देंगे। इसके साथ ही कुछ यूजर्स अभिषेक के सलेक्शन के पीछे उनके पिता का हाथ बता रहे हैं।
‘पूरे खानदान में मैं इकलौता IAS में चयनित हुआ’
अभिषेक सिंह ने आरोपों जवाब दिया है। उन्होंने X पर लिखा- जबसे मैंने आरक्षण के पक्ष में आवाज उठाना शुरू किया, आरक्षण विरोधियों की पूरी सेना ने सब काम छोड़कर मेरे खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उनको यह बात हजम नहीं हो रही कि एक जनरल कैटेगरी का लड़का आरक्षण के पक्ष में कैसे बोल रहा है?
पहले तो आपने मेरी कास्ट पर ही सवाल उठाया और कहा कि मैं झूठा सिंह हूं, फिर आपने कहा कि मैं अपनी नौकरी वापस मांग रहा हूं, और अब कह रहे हैं कि मैंने नौकरी आरक्षण से ली है।
मैं आपसे बड़ी विनम्रता पूर्वक एक बात कहना चाहता हूं। अभिषेक सिंह अपने पुरुषार्थ, कर्मठता और साहस के लिए जाना जाता है। किसी की कृपा के लिए नहीं। मैंने अपने जीवन में जो कुछ हासिल किया, अपने दम पर। किसी आरक्षण के दम पर नहीं।
अभिषेक बोले- ये फर्जी प्रोपेगेंडा बंद करें
अभिषेक ने आगे लिखा- आपने ये कहा कि मेरे पिताजी IPS अधिकारी थे, इसलिए मुझे फायदा मिला। आपको बता दूं, मेरे पिताजी एक बहुत गरीब परिवेश से निकलकर PPS अधिकारी बने। IPS में प्रमोट हुए थे। उनकी 3 संतानें हैं, यानी मेरी एक छोटी बहन और एक छोटा भाई।
उन्होंने भी UPSC की तैयारी की, लेकिन सिलेक्शन नहीं हुआ। मेरे 7 और कजिंस ने भी प्रयास किया, कई कर भी रहे हैं। अभी तक किसी का भी सिलेक्शन नहीं हो सका है। अपने पूरे खानदान में मैं इकलौता IAS में चयनित हुआ।
आपको बता दूं कि UPSC में कोई डोमिसाइल सर्टिफिकेट नहीं लगता, जिसने भी UPSC दिया है, उसको पता होगा। ये फर्जी प्रोपेगेंडा बंद करें। जिसको जो भी पूछना है, मैं जवाब देने के लिए तैयार हूं।
‘मैं कभी मैदान छोड़कर नहीं भागूंगा’
अभिषेक ने लिखा, मुझे जो ठीक लगता है। मैं करता हूं और आगे भी करता रहूंगा। कला और समाज सेवा मेरी रुचि है। मैं इसमें लगातार प्रयासरत हूं। हां, मैं ये मानता हूं कि दोनों ही फील्ड में मैं ज्यादा कुछ नहीं कर पाया हूं, लेकिन हारा नहीं हूं। रोज सुबह उठकर मैं पूरी निष्ठा से मेहनत करता हूं और तब तक करता रहूंगा, जब तक सफल नहीं हो जाता। मैं कभी मैदान छोड़कर नहीं भागूंगा।
हां, ये भी सुन लें, मैंने जितने भी सामाजिक कार्य किए हैं, चाहे वे अपने United by Blood के तहत COVID-19 से ग्रसित लोगों को वैक्सीन लगवाना व ऑक्सीजन सिलेंडर पहुंचाना या No-Shame Movement के माध्यम से लड़कियों को नि:शुल्क लीगल सहायता दिलवाकर उनका आत्मबल बढ़ाना, या फिर ‘राष्ट्रीय युवा शक्ति’ द्वारा फ्री UPSC कोचिंग, ये सब अपनी निजी क्षमता से किया। वो भी नौकरी से इतर और बिना सिस्टम का सहारा लिए।
मैंने अब तक के जीवन में जो भी ठाना है, अपनी मेहनत और लगन से वह पाया है। अब जब बात छेड़ ही दी है, तो एक और संकल्प ले रहा हूं। इस देश में सरकार के संसाधन जहां-जहां भी खर्च होंगे, न्यायसंगत तरीके से ही होने चाहिए।
सरकार की नौकरियों में आरक्षण जनसंख्या के अनुरूप होना चाहिए। अब मैं आंदोलन शुरू करूंगा और इस 50% की सीलिंग को हटाकर जनसंख्या के अनुरूप आरक्षण की मांग रखूंगा और उसको संवैधानिक तौर पर पूरा कराऊंगा।
‘अपनी प्रतिभा के दम पर चलता हूं’
अभिषेक ने कहा- जिन आरक्षण विरोधियों को इससे तकलीफ है और वो अपनी प्रतिभा का दंभ भरते हैं, उनसे कहूंगा कि अगर इतनी ही प्रतिभा है, तो सरकारी नौकरियों में सेंध लगाना बंद करो, खुले मैदान में आओ और बिजनेस करो, उद्योगपति बनो, खिलाड़ी बनो, एक्टर बनो। वहां तो आपकी सीट कोई नहीं मांग रहा। वहां कोई रिजर्वेशन नहीं। खुला मैदान है, आसमान पुकार रहा है, चलो मेरे साथ। जब मैं चल सकता हूं तो आप क्यों नहीं?
हालांकि, मैं जात-पात के एकदम खिलाफ हूं और मैं चाहता हूं कि ये व्यवस्था खत्म हो। इसके लिए हमारी ‘राष्ट्रीय युवा शक्ति’ इंटरकास्ट शादी करने वालों को पैसा भी देती है। लेकिन जब तक समाज इसको मानता है, तब तक आरक्षण जनसंख्या के आधार पर रहना चाहिए। भविष्य में मुझ पर आरोप लगाने से पहले दो बार सोच लेना, जो डर जाऊंगा। मैं प्रतिभा, आत्मविश्वास और साहस के दम पर चलता हूं। किसी के बाप के दम पर नहीं।