अरविंद केजरीवाल को अरेस्ट करने वाले ED के ये अफसर कौन हैं?

अरविंद केजरीवाल को अरेस्ट करने वाले ED के ये अफसर कौन हैं?
ED सूत्रों के मुताबिक हाईकोर्ट के फैसले के बाद ईडी की टीम सक्रिय हुई और पूछताछ के लिए मुख्यमंत्री के आवास पहुंचीं. ईडी की इस टीम को जांच एजेंसी के अतिरिक्त निदेशक कपिल राज लीड कर रहे थे. 

6 महीने की लंबी रस्साकशी के बाद गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया. केजरीवाल की गिरफ्तारी दिल्ली शराब घोटाले के एक मामले में हुई है. गिरफ्तारी से पहले जांच एजेंसी ने दिल्ली के सीएम को 9 समन भेजे थे. 

ईडी सूत्रों के मुताबिक गिरफ्तारी से पहले केजरीवाल से करीब 3 घंटे तक लंबी पूछताछ की गई, लेकिन वे पूरे शराब घोटाले को प्रोपगंडा बताकर खारिज करते रहे. आखिर में जांच एजेंसी ने उन्हें अपने गिरफ्त में ले लिया.

जांच एजेंसी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक हाईकोर्ट के फैसले के बाद ईडी की टीम सक्रिय हुई और पूछताछ के लिए मुख्यमंत्री के आवास पहुंचीं. ईडी की इस टीम को जांच एजेंसी के अतिरिक्त निदेशक कपिल राज लीड कर रहे थे. 

टीम में उनके अलावा 3 बड़े अधिकारी भी शामिल थे, जो 2022 से ही शराब घोटाले की जांच में जुटे हुए हैं. ये अधिकारी इस केस में अब तक केजरीवाल के अलावा मनीष सिसोदिया, संजय सिंह और के. कविथा को गिरफ्तार कर चुके हैं.

इस स्पेशल स्टोरी में उन्हीं अधिकारियों के बारे में विस्तार से जानते हैं…

कपिल राज- आईआरएस अधिकारी कपिल राज वर्तमान में प्रवर्तन निदेशालय के अतिरिक्त निदेशक पद पर हैं. उनके पास रांची जोन का प्रभार भी है. राज हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के वक्त सुर्खियों में आए थे.

उन पर हेमंत सोरेन ने उस वक्त एससी-एसटी एक्ट में एफआईआर दर्ज कराई थी. 

राज अभी कई हाई-प्रोफाइल मामलों की जांच कर रहे हैं, जिसमें दिल्ली शराब घोटाला, झारखंड जमीन घोटाला और विधायक खरीद-फरोख्त का मामला प्रमुख हैं. 

2009 बैच के आईआरएस (सी एंड सीई) अधिकारी राज सितंबर 2023 में ईडी के अतिरिक्त निदेशक बने थे और अभी एक साल के डेप्युटेशन पर हैं.  झारखंड से पहले कपिल राज बंगाल में पदस्थापित रहे हैं और कई मामलों की जांच कर चुके हैं. 

ईडी सूत्रों के मुताबिक अरविंद केजरीवाल ने जब 8वां समन स्कीप किया, तब राज खुद एक्टिव हुए और 17 मार्च को उन्होंने 9वां समन भेजवाया. केजरीवाल इस समन के खिलाफ हाईकोर्ट गए, लेकिन उन्हें वहां से भी राहत नहीं मिली. 

हाईकोर्ट ने राहत देने से जैसे ही इंकार किया, वैसे ही कपिल राज ईडी की अपनी टीम के साथ दिल्ली के मुख्यमंत्री आवास पहुंच गए.

रोबिन गुप्ता- प्रवर्तन निदेशालय के संयुक्त निदेशक रोबिन गुप्ता भी दिल्ली शराब घोटाले की जांच टीम में हैं. 2010 बैच के आईआरएस अधिकारी गुप्ता ईडी से पहले जीएसटी के मुंबई डिपार्टमेंट में थे. 

2019 में वित्त मंत्रालय ने गुप्ता को ईडी में तैनात किया. उस वक्त उनका पद डिप्टी डायरेक्टर का था.

भानुप्रिया मीणा- दिल्ली शराब घोटाले मामले की जांच कर रही ईडी की टीम में डिप्टी डायरेक्टर भानुप्रिया मीणा भी हैं. मीणा हाल ही में केसीआर की बेटी के कविथा को गिरफ्तारी के वक्त सुर्खियों में आई थीं. उन पर विधायक केटीआर ने जबरन गिरफ्तारी का आरोप लगाया था. 

मीणा 2015 बैच की आईआरएस (सी एंड सीई) अधिकारी हैं. साल 2020 में उन्हें डिप्टी डायरेक्टर बनाया गया था. 

भानुप्रिया 2022 से दिल्ली शराब घोटाले की जांच कर रही हैं. सांसद संजय सिंह को गिरफ्तार करने में भी उनका नाम सामने आया था. संजय सिंहने उस वक्त उन पर गवाहों से जबरदस्ती बयान लेने का आरोप लगाया था. 

जोगेंद्र- प्रवर्तन निदेशालय के सहायक निदेशक जोगेंद्र दिल्ली शराब घोटाले के जांच अधिकारी (आई.ओ) हैं. इन्हीं की देखरेख में पूरी जांच चल रही है. ईडी की ओर से सभी समन जोगेंद्र ने ही केजरीवाल को जारी किए. 

साल 2020 में जोगेंद्र ईडी में एसिस्टेंट डायरेक्टर बनाए गए थे. तब से उनकी तैनाती राजधानी दिल्ली में ही है.

2023 में आप सांसद संजय सिंह ने जोगेंद्र के खिलाफ वित्त मंत्रालय से मुकदमा करने की मंजूरी मांगी थी. संजय सिंह का कहना था कि दिल्ली शराब घोटाले में उनका नाम जानबूझकर पहले जोड़ा और फिर हटाया.

हालांकि, बाद में ईडी ने उन्हें भी इस मामले में गिरफ्तार कर लिया.

आप के 2 और बड़े नेता ईडी की रडार में
ईडी सूत्रों के मुताबिक दिल्ली शराब मामले में आप के 2 और बड़े नेता रडार में हैं. इनमें पहला नाम राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा और दूसरा नाम मंत्री कैलाश गहलोत का है. 

ईडी ने मई 2023 में शराब घोटाला के मामले में राघव चड्ढा का नाम भी मेंशन किया था. वहीं ईडी के एक सप्लीमेंट्री चार्जशीट में कैलाश गहलोत का भी नाम है.

अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद कहा जा रहा है कि ईडी की टीम अब इन लोगों पर भी कार्रवाई कर सकती है. 

3 पॉइंट्स में समझिए दिल्ली का शराब घोटाला

1. 2021 में दिल्ली सरकार ने नई शराब नीति के तहत राष्ट्रीय राजधानी में शराब के ठेके प्राइवेट कंपनी को देने का फैसला किया. दिल्ली के मुख्य सचिव के मुताबिक इस पूरी प्रक्रिया में धांधली की गई थी, जिससे सरकार को बैकडोर से फायदा मिला. ईडी के मुताबिक बिचौलिए के जरिए सरकार ने कंपनियों को ठेका देने के एवज में पैसे लिए.

2. 2022 में यह मामला सामने आया, तब इसकी जांच सीबीआई को सौंपी गई. सीबीआई के केस दर्ज करते ही मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर ईडी सक्रिय हो गई. ईडी ने केस में तेलंगाना से लेकर दिल्ली तक ताबड़तोड़ कार्रवाई की. फरवरी 2023 में दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया गिरफ्तार किए गए. उन्हें पहले सीबीआई और फिर ईडी ने गिरफ्तार किया. 

3. जांच एजेंसी के मुताबिक दिल्ली का शराब घोटाला करीब 338 करोड़ का है. यह पैसा आम आदमी पार्टी ने गोवा चुनाव में लगाए. पैसा तेलंगाना के शराब कारोबारियों ने बैकडोर चैनल से पार्टी को दिए. इसी वजह से अरविंद केजरीवाल भी केस में रडार में आ गए हैं. 

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