नई दिल्ली। Kejriwal Latest News शराब घोटाले मामले में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद राजधानी में सियासी उबाल आ गया है। केजरीवाल को बीते दिन कोर्ट में पेशी के बाद 28 मार्च तक ईडी की रिमांड में भेज दिया गया है। केजरीवाल से अब ईडी मामले में पूछताछ करेगी।

केजरीवाल (Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal) अब क्या कानूनी रास्ता अपना सकते हैं और क्या वो जमानत अर्जी दाखिल कर भी सकते हैं या नहीं। आइए, वकील की जुबानी जानें केजरीवाल के पास क्या विकल्प हैं। 

दिल्ली के विभिन्न न्यायलयों में प्रैक्टिस कर रहे वरिष्ठ वकील मनीष भदौरिया ने बताया कि केजरीवाल के पास अब क्या-क्या कानूनी विकल्प हैं।

14 दिन तक की अधिकतम रिमांड का प्रावधान
  • छह दिनों की कस्टडी के बाद अगर ईडी को अभी लगता है कि केजरीवाल की और रिमांड चाहिए तो वो कोर्ट से कुछ और दिनों की रिमांड मांग सकती है।
  • इस बीच अगर आरोपी पूछताछ के दौरान किसी अन्य व्यक्ति के बारे में जानकारी देता है, जो इसमें शामिल हो, तो इस स्थिति में जांच एजेंसी को रिमांड मिल जाती है। हालांकि, 14 दिन से ज्यादा की रिमांड लेने का प्रावधान नहीं है।
  • ईडी कस्टडी खत्म होने के बाद आरोपी को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा जा सकता है।
  • 14 दिनों की न्यायिक हिरासत का प्रावधान इसलिए है कि आरोपी 14 दिनों के बाद जज के पास बता सके वो उसे जेल में किसी तरह की कोई परेशानी तो नहीं है। अगर कोई परेशानी है तो कोर्ट जेल प्रशासन को इसपर आदेश जारी करता है।

अभी कोई याचिका नहीं लगा सकते केजरीवाल

चूंकि, अभी केजरीवाल छह दिनों की ईडी की कस्टडी में हैं तो ऐसे में वो कोई भी याचिका नहीं लगा सकते। जैसे-बेल की याचिका या किसी भी तरह की याचिका। हालांकि, अगर इस दौरान अगर केजरीवाल के साथ कोई दुर्घटना या घर में किसी तरह की इमरजेंसी या परिवार के सदस्य के साथ कोई घटना घटती है तो इस स्थिति में याचिका लगाई जा सकती है।

केजरीवाल को इस तरह मिल सकती है बेल

  • ईडी की कस्टडी खत्म होने के बाद ही केजरीवाल बेल याचिका लगा सकते हैं। इस दौरान जज के विवेक पर निर्भर करता है कि वो बेल मंजूर करते हैं या खारिज।
  • बहस के दौरान आरोपी के वकील ये दलील दे सकते हैं कि पूछताछ में सारी जानकारी जांच एजेंसी को दे दी गई है इसलिए मेरे मुवक्किल को बेल दी जाए।
  • वहीं, जांच एजेंसी बेल का विरोध करते हुए कह सकती है कि आरोपी एक बड़ा आदमी है और वो गवाहों और तथ्य को जेल से बाहर रहने पर प्रभावित कर सकता है तो ऐसे स्थिति में बेल खारिज की जा सकती है, जैसा कि मनीष सिसोदिया, संजय सिंह और के कविता के मामले में हुआ है।
कब लगा सकते हैं जमानत की अर्जी?

ईडी द्वारा रिमांड पर लिए जाने के बाद आरोपी को न्यायिक हिरासत में भेजने का प्रावधान होता है। इसके बाद ही आरोपी जमानत अर्जी दाखिल कर सकता है। अर्थात किसी की रिमांड के दौरान जमानत अर्जी पर सुनवाई नहीं होता है बल्कि न्यायिक हिरासत के दौरान ही इसपर सुनवाई होती है।