कोल स्कैम, ED-CBI का शिकंजा … कहानी ‘स्टील किंग’ नवीन जिंदल की

कोल स्कैम, ED-CBI का शिकंजा, तिरंगा फहराने का प्रण… कहानी ‘स्टील किंग’ नवीन जिंदल की
उद्योगपति नवीन जिंदल की वजह से ही आज भारतीय नागरिक को तिरंगा फहराने का अधिकार मिला है. इसके लिए उन्होंने करीब एक दशक तक लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी है.

उद्योगपति और स्टील किंग के नाम से मशहूर नवीन जिंदल 10 साल बाद फिर राजनीति में वापसी कर रहे हैं. जिंदल स्टील एंड पावर के चेयरमैन नवीन जिंदल ने हाल ही में कांग्रेस का हाथ छोड़ा था. अब बीजेपी ने हरियाणा में कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से उन्हें टिकट दिया है.

नवीन कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से साल 2004 से 2009 और 2009 से 2014 तक कांग्रेस से सांसद रहे हैं. 2014 लोकसभा चुनाव में नवीन जिंदल और उसी साल हुए विधानसभा चुनाव में उनकी मां सावित्री जिंदल हार गईं थी. इसके बाद जिंदल परिवार राजनीति से दूर हो गया था.

ये वही उद्योगपति नवीन जिंदल हैं जिनका नाम देश के सबसे बड़े कथित कोयला घोटाले के आरोपियों में शामिल है. आरोप है कि जिंदल ने अपनी दो कंपनियों को फायदा पहुंचाने के बदले मंत्रियों को रिश्वत दी थी. 

पहले जानिए कौन हैं नवीन जिंदल
उद्योगपति नवीन जिंदल का जन्म 9 मार्च 1970 को हुआ था. वह जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड के चेयरमैन और ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के चांसलर हैं.

उन्होंने इंडियन स्टील एसोसिएशन (आईएसए) का अध्यक्ष पद संभालने के महज 3 दिन बाद ही इस्तीफा देने की घोषणा कर दी थी. आईएसए भारत की प्रमुख इस्पात उत्पादक संस्था है. उन्हें सर्वसम्मति से आईएसए का नया अध्यक्ष चुना गया था.

नवीन जिंदल का राजनीतिक सफर छात्र आंदोलनों में शामिल और बाद में टेक्सास यूनिवर्सिटी के छात्र संघ के अध्यक्ष के रूप में नेतृत्व करते हुए शुरू हुआ था.

अमेरिका में अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद नवीन भारत वापस आए और अपने पिता ओपी जिंदल की राजनीतिक सफर में मदद करने लगे.

ओपी जिंदल एक मशहूर इस्पात उद्योगपति थे और हरियाणा सरकार में संसद सदस्य व बिजली मंत्री भी रह चुके थे.

नवीन ने अपने पिता के साथ मिलकर हरियाणा की राजनीति में काफी योगदान दिया. वे युवा नेतृत्व के साथ-साथ उद्योग जगत से भी जुड़े रहे. धीरे-धीरे नवीन खुद एक प्रमुख राजनेता बन गए और उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया.

नवीन ने राजनीति के साथ-साथ खेल के क्षेत्र में भी उपलब्धियां हासिल की हैं. नवीन स्कीट शूटिंग में राष्ट्रीय रिकॉर्ड धारक हैं और वे एक पोलो खिलाड़ी भी हैं. मई 2011 में गुड़गांव में आयोजित 54वें राष्ट्रीय शूटिंग चैंपियनशिप प्रतियोगिता (बिग बोर) में सिविलियन वर्ग में उन्होंने हरियाणा शूटिंग टीम का हिस्सा होकर स्वर्ण पदक जीता था.

कोल स्कैम, ED-CBI का शिकंजा, तिरंगा फहराने का प्रण...  कहानी 'स्टील किंग' नवीन जिंदल की

नवीन जिंदल की कितनी है नेटवर्थ
JSW भारत की सबसे बड़ी निजी क्षेत्र की स्टील कंपनी है. यह ग्रुप ‘फोर्ब्स 2000’ की लिस्ट में भी शामिल है. जिंदल स्टील ग्रुप की शुरुआत साल 1982 में सज्जन जिंदल ने एक स्टील प्लांट से की थी. आज ग्रुप का कारोबार स्टील, एनर्जी, इंफ्रास्ट्रक्चर, सीमेंट, निवेश और पेंट सेक्टर में भारत के अलावा अमेरिका, यूरोप और यूएई से चिली तक फैला है. 

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जिंदल परिवार की नेटवर्थ करीब 2.12 लाख करोड़ है. सज्जन और नवीन जिंदल की मां सावित्री जिंदल परिवार की हेड हैं. वह देश की सबसे अमीर महिला हैं. उनके पति ओम प्रकाश जेएसडब्ल्यू ग्रुप के चेयरमैन रहे हैं. 

रिपोर्ट्स के अनुसार, नवीन जिंदल शुरुआत से ही बीजेपी और अटल बिहारी वाजपेयी से प्रभावित रहे हैं. 2004 में वह बीजेपी के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन पिता ओम प्रकाश जिंदल के कारण उन्हें कांग्रेस में शामिल होना पड़ा. ओम प्रकाश जिंदल साल 2005 में हरियाणा सरकार में मंत्री रह चुके हैं. बाद में उनकी एक हेलीकॉप्टर हादसे में उनकी मृत्यु हो गई थी.

हर भारतीय को तिरंगा फहराने का दिलाया अधिकार
नवीन जिंदल सबसे पहले तब सुर्खियों में आए थे जब उन्होंने सभी भारतीयों को तिरंगा फहराने का अधिकार दिलाया था. साल 1992 में जिंदल ने छत्तीगढ़ के रायगढ़ में स्थित जिंदल स्टील प्लांट के परिसर में तिरंगा फहराया था.

उस समय बिलासपुर के आयुक्त ने इसका विरोध किया था, क्योंकि भारत के ध्वज संहिता के अनुसार नागरिकों को कुछ खास दिनों को छोड़कर भारतीय ध्वज फहराने की अनुमति नहीं थी.

नवीन जिंदल को ये बात बहुत चुभी और उन्होंने तिरंगा लहराने का अधिकार लेने की ठान ली. नवीन ने दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की, जिसमें तर्क दिया गया कि कोई भी कानून भारतीय नागरिकों को राष्ट्रीय ध्वज फहराने से नहीं रोक सकता. साथ ही

भारत की ध्वज संहिता केवल भारत सरकार से जारी एक कार्यकारी निर्देश था, न कि कानून. सरकारी अधिकारियों के विरोध के बावजूद नवीन जिंदल ने अदालत का रुख किया और स्टील प्लान परिसर से ध्वज नहीं हटाया बल्कि सम्मान और गरिमा के साथ उसे लगातार फहराते रहे.

हाईकोर्ट का फैसला नवीन जिंदल के पक्ष में आया. इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट भी गया. करीब एक दशक तक लंबी लड़ाई लड़ने के बाद जनवरी 2004 में सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया. कोर्ट ने सभी नागरिकों को भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा पूरे साल सम्मान और गरिमा के साथ फहराने की अनुमति दी.

फिर विवादों में कैसे आए नवीन जिंदल
नवीन जिंदल के नाम कुछ विवादों से भी जुड़े रहे हैं. 2012 में उन पर खनन आवंटन में अपनी कंपनियों को अनुचित तरीके से फायदा पहुंचाने के आरोप लगे. इसके बाद उनके खिलाफ कोयला ब्लॉक आवंटन मामलों में अनियमितताओं से जुड़े तीन मामले दर्ज हुए. 

एक मामला झारखंड के अमरकंडा मुर्गादांगल कोयला ब्लॉक में अनियमितताओं से संबंधित है, जिसकी जांच सीबीआई कर रही है. दूसरा मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) कोयला ब्लॉक आवंटन से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग की जांच का है. तीसरा मामला मध्य प्रदेश के उर्तन नॉर्थ कोयला ब्लॉक के आवंटन में कथित अनियमितताओं पर सीबीआई जांच कर रही है.

कोल स्कैम, ED-CBI का शिकंजा, तिरंगा फहराने का प्रण...  कहानी 'स्टील किंग' नवीन जिंदल की

क्या था कोयला घोटाला
2012 का कोयला घोटाला भारत का सबसे बड़ा कथित घोटालों में से एक है, जिसमें लाखों करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था. यह घोटाला 2004 से 2011 तक मनमोहन सिंह सरकार के कार्यकाल के दौरान हुआ था. हालांकि मनमोहन सिंह को अदालत से क्लीन चिट मिल चुकी है.

यूपीए सरकार ने अपने कार्यकाल में कुछ निजी कंपनियों को बिना नीलामी के कोयला खदानों का आवंटन कर दिया था. इन कंपनियों को कम कीमतों पर कोयला खनन करने की अनुमति दी गई थी.

अनुमान है कि इस घोटाले से सरकार को 1.86 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. कई राजनेता, सरकारी अधिकारी और निजी कंपनियों के मालिक इस घोटाले में शामिल थे. इस घोटाले को ‘कोलगेट घोटाला’ भी कहा जाता है. घोटाले की जांच सीबीआई और CAG द्वारा की जा रही है.

2014 में सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला सुनाते हुए देश की सरकारी कंपनियों को दिए गए कोयला ब्लॉक आवंटन रद्द कर दिया था. ये कोयला ब्लॉक कई सालों से अलग-अलग केंद्र सरकारों द्वारा दिए गए थे. इस फैसले से जिंदल जैसी कई बड़ी कंपनियों को भारी नुकसान उठाना पड़ा था. 

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