सांसदों-विधायकों के खिलाफ दो हजार से ज्यादा मामलों में …

 सांसदों-विधायकों के खिलाफ दो हजार से ज्यादा मामलों में पिछले साल आया फैसला, सुप्रीम कोर्ट को दी गई जानकारी
विजय हंसारिया ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों के बाद एमपी/एमएलए कोर्ट में सांसदों और विधायकों के खिलाफ दर्ज मामलों की सुनवाई में तेजी आई है। हालांकि कोर्ट द्वारा और दिशा निर्देश दिए जाने चाहिए ताकि लंबित मामलों की भी जल्द सुनवाई हो सके। 
mp mla courts decided more than two thousand cases in year 2023 told in supreme court
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान बताया गया कि पिछले साल देश में सांसदों और विधायकों के खिलाफ दर्ज कुल मामलों में से दो हजार से ज्यादा मामलों में फैसला हुआ। वरिष्ठ वकील विजय हंसारिया ने एक हलफनामा दायर कर यह जानकारी दी। दरअसल सुप्रीम कोर्ट एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें मांग की गई है कि जनप्रतिनिधियों के खिलाफ दर्ज मामलों की सुनवाई में तेजी लाई जानी चाहिए। इस मामले में कोर्ट ने वरिष्ठ वकील विजय हंसारिया को न्याय मित्र नियुक्त किया है।
जनप्रतिनिधियों के खिलाफ सुनवाई में आई तेजी
विजय हंसारिया ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों के बाद एमपी/एमएलए कोर्ट में सांसदों और विधायकों के खिलाफ दर्ज मामलों की सुनवाई में तेजी आई है। हालांकि कोर्ट द्वारा और दिशा निर्देश दिए जाने चाहिए ताकि लंबित मामलों की भी जल्द सुनवाई हो सके। हलफनामे में कहा गया है कि सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों की समीक्षा के लिए उच्च न्यायालयों द्वारा सख्ती से समीक्षा की जानी चाहिए। वकील विजय हंसारिया ने कोर्ट में एनजीओ एडीआर की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि लोकसभा चुनाव के पहले दो चरणों में कुल 2,810 उम्मीदवारों में से 501 उम्मीदवार यानी कि 18 प्रतिशत उम्मीदवार दागी हैं। इनमें से भी 327 के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें जनप्रतिनिधि अगर दोषी पाए गए तो उन्हें पांच साल या ज्यादा की सजा हो सकती है। 
2019 के लोकसभा चुनाव में भी 7928 उम्मीदवारों में से 1500 उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज थे, जिनमें से 1070 उम्मीदवारों के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज थे। 17वीं लोकसभा (2019-2024) के लिए चुने गए 514 उम्मीदवारों में से 225 सदस्यों यानी कि 44 फीसदी के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज थे। मामले में सुप्रीम कोर्ट की मदद कर रहे वकील हंसारिया ने हलफनामे में बताया कि 1 जनवरी 2023 तक 4,697 आपराधिक मामले दर्ज थे, जिनमें से 2,018 मामलों में बीते साल फैसला हो गया। हलफनामे में बताया गया कि साल 2023 में नेताओं के खिलाफ 1746 नए मामले दर्ज हुए। ऐसे में 1 जनवरी 2024 तक नेताओं के खिलाफ लंबित आपराधिक मुकदमों की कुल संख्या 4,474 हो गई है। 

इन राज्यों में निपटाए गए मामले
हलफनामे के अनुसार, उत्तर प्रदेश की एमपी-एमएलए कोर्ट में दर्ज 1300 मामलों में से 766 बीते साल निपटाए गए। दिल्ली में दर्ज 105 मामलों में से 103 का निपटारा बीते साल कर दिया गया। इसी तरह महाराष्ट्र में 476 मामलों में से 232 में फैसला हो गया। बंगाल के 26 में से 13 में, कर्नाटक में 226 में से 150 मामलों, केरल में 370 में से 132, बिहार में 525 मामलों में से 171 में फैसला हो चुका है। हलफनामे के अनुसार, लंबित मामलों की सुनवाई में तेजी लाने के लिए कुछ सुझाव दिए गए हैं। जिनके अनुसार, तीन साल से ज्यादा समय से लंबित मामलों में राज्यों के संबंधित हाईकोर्ट्स समीक्षा रिपोर्ट तलब करें। साथ ही मांग की गई कि नेशनल ज्यूडिशियल डाटा ग्रिड की तरह एक वेबसाइट बनाई जाए, जिससे लंबित मामलों की रियल टाइम जानकारी इस पर अपलोड की जाए। सुप्रीम कोर्ट के जज की अध्यक्षता में एक समिति बनाने की मांग की गई है, जो लंबित मामलों की समीक्षा करे। 

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