दुर्घटनाओं के बावजूद राजनेताओं को हेलिकॉप्टर का सफर इतना क्यों है पसंद?

हादसों से सबक नहीं… दुर्घटनाओं के बावजूद राजनेताओं को हेलिकॉप्टर का सफर इतना क्यों है पसंद?
Ebrahim Raisi Helicopter Crash: हेलिकॉप्टर हादसे में ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी समेत कई लोगों की मौत हुई है. इसके साथ ही हेलिकॉप्टर हादसे में जान गंवाने वाले दुनिया भर के नेताओं और विख्यात व्यक्तियों की सूची और लंबी हो गई. हादसों के इतिहास के बावजूद ज्यादातर नेता हेलिकॉप्टर का इतना इस्तेमाल क्यों करते हैं, आइए जानते हैं.
हादसों से सबक नहीं... दुर्घटनाओं के बावजूद राजनेताओं को हेलिकॉप्टर का सफर इतना क्यों है पसंद?

हेलीकॉप्टर हादसे में ईरान के राष्‍ट्रपति इब्राहिम रईसी की मौत हुई है.

ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की एक हेलिकॉप्टर हादसे में जान चली गई. उनके साथ ईरान के विदेश मंत्री और सात अन्य लोगों की भी मौत हो गई. इसके साथ ही हेलिकॉप्टर हादसे में जान गंवाने वाले दुनिया भर के नेताओं और विख्यात व्यक्तियों की सूची और लंबी हो गई. इस सूची में अमेरिका के जाने-माने फुटबॉल खिलाड़ी कोबे ब्रायंट, लेबनान के पूर्व प्रधानमंत्री राशिद करमी और चिली के पूर्व राष्ट्रपति सेबेस्टियन पिनेरा भी शामिल हैं, जिनकी जान हेलिकॉप्टर हादसे में जा चुकी है.

एविएशन एक्सपर्ट बताते हैं कई कारण

राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मौत के बाद एक बार फिर हेलिकॉप्टर और उसकी सुरक्षा चर्चा का विषय बन गई है. वास्तव में सुरक्षा का बेहतर रिकॉर्ड न होने के बावजूद हेलिकॉप्टर बहुत से नेताओं की पहली पसंद बना हुआ है और दुर्घटनाओं से वे कोई सबक लेते दिखाई नहीं पड़ते हैं तो इसके कई कारण हैं. कई हादसों के बावजूद नेता हेलिकॉप्टर से चलना क्यों पसंद करते हैं, एविएशन एक्सपर्ट इसके चार प्रमुख कारण बताते हैं.

दुर्गम इलाकों में भी आसानी से पहुंचा जा सकता

इसका सबसे अहम कारण यह है कि हेलिकॉप्टर उन दुर्गम इलाकों में भी आसानी से पहुंचा सकता है, जहां कार और हवाई जहाज से जाना संभव नहीं होता है. कार के लिए जहां सड़क की जरूरत पड़ती है, वहीं हवाई जहाज के लिए रनवे जरूरी होता है. वहीं, हेलिकॉप्टर थोड़ी सी जगह में भी किसी भी सतह पर आसानी से उतर सकता है और उड़ान भर सकता है. इसीलिए यह नेताओं के पहली पसंद बना हुआ है, खासकर चुनावों के दौरान तो इसका जमकर इस्तेमाल किया जाता है.

आम चुनाव के दौरान भारत में जमकर इस्तेमाल

भारत में जारी आम चुनाव के दौरान भी नेता जमकर हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल कर रहे हैं. मीडिया में आई रिपोर्ट में बताया गया है कि लोकसभा चुनाव के दौरान छह महीने पहले के आंकड़ों के मुकाबले इस वक्त चार्टर्ड हेलिकॉप्टर की मांग में 15 से 20 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो चुकी है. इनमें से हेलिकॉप्टर का ज्यादातर इस्तेमाल राजनेता कर रहे हैं, जिन्हें देश भर के ज्यादा हिस्सों में अपनी पार्टी की रैलियों और सभाओं के लिए कम समय में पहुंचना होता है.

विशेषज्ञ हेलिकॉप्टर के इस्तेमाल का दूसरा कारण भी यही बताते हैं, समय की बचत. अगर किसी राजनेता को कम समय में दूरदराज के इलाके में पहुंचना होता है तो इसकी संभावना सबसे ज्यादा होती है कि हेलिकॉप्टर ही ऐसा कर सकता है.

हवाई जहाज के मुकाबले कम होता है किराया

इसके अलावा हेलिकॉप्टर किराए पर लेने के लिए नेताओं के पास कई विकल्प होते हैं जो सस्ते भी पड़ते हैं. उदाहरण के लिए राजनेता दोहरे इंजन वाले हेलिकॉप्टर को किराए पर लेते हैं तो 10 से 12 लोग एक साथ उसमें यात्रा कर सकते हैं. वहीं, एक इंजन वाले हेलिकॉप्टर में छह-सात लोग सवार हो सकते हैं. वहीं, अगर किसी हवाई जहाज को किराए पर लिया जाता है तो पहले तो उसमें बैठने की क्षमता कम से कम 20 लोगों की होती है. फिर जैसे-जैसे हवाई जहाज का आकार बढ़ता जाता है, वैसे-वैसे उसका किराया भी बढ़ जाता है.

भारत में सबसे छोटे हवाई जहाज का किराया 4.5 लाख से 5.25 लाख रुपए प्रति घंटे तक हो सकता है. इसके मुकाबले चार्टर्ड हेलिकॉप्टर के लिए 1.5 लाख रुपए प्रति घंटा तक चुकाना होता है.

बिना किसी टाइम टेबल के भर सकते उड़ान

विशेषज्ञ जो चौथा कारण बताते हैं, वह यह है हेलिकॉप्टर की उड़ान के लिए किसी टाइम टेबल की जरूरत नहीं होती है. हेलिकॉप्टर नॉन शेड्यूल्ड ऑपरेटर (एनएसओपी) कैटेगरी में आते हैं. इसलिए इनको वाणिज्यिक उड़ानों की तर्ज पर किसी तरह के टाइम टेबल की जरूरत नहीं पड़ती है. ऐसे में जब चाहें, जहां चाहें उड़ान भर सकते हैं.

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