भोपाल : अब भी 77% इलाकों में सीवेज नेटवर्क नहीं !
सीवेज सिस्टम सुधारने के लिए डीपीआर तैयार
अब भी 77% इलाकों में सीवेज नेटवर्क नहीं, अमृत-2.0 में 2500 किमी नई लाइन बिछेगी, कैचमेंट के हिसाब से 16 नए STP लगेंगे
अमृत-2.0 के तहत भोपाल में 2500 किमी लंबी नई सीवेज लाइन बिछाई जाएगी। इसके लिए शहर को 16 जोन में बांटा जाएगा, जहां सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) बनेंगे। हर एसटीपी का अपना अलग कैचमेंट एरिया होगा। भोपाल नगर निगम ने अमृत-2.0 के तहत सीवेज लाइन की डीटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार कर ली है। आचार संहिता खत्म होते ही टेंडर प्रक्रिया होगी।
गौरतलब है कि फिलहाल सिर्फ 23% इलाकों में सीवेज नेटवर्क बन पाया है। अमृत-1 में शहर के कोलार और शाहपुरा क्षेत्र में 442 करोड़ खर्च कर 750 किमी लंबी सीवेज लाइन बिछाई थी। 9 एसटीपी बनाए गए थे। इस तरह अब भोपाल में कुल 18 एसटीपी हैं। वेटलैंड और अमृत-1 के सीवेज कनेक्शन की संख्या फिलहाल 1.15 लाख है। निगम कमिश्नर हरेंद्र नारायण के मुताबिक नई प्लानिंग के तहत नगर निगम ने कुल 3000 करोड़ की डीपीआर तैयार की है। पहले चरण में नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने भोपाल के लिए 1009 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं।
पहले चरण में नगर निगम सीवेज लाइन पर खर्च करेगा 1009 करोड़, 3.95 लाख घरों में होंगे नए कनेक्शन
- 3000 करोड़ की डीपीआर नई प्लानिंग के तहत नगर निगम ने तैयार की
- 31 साल बाद तक शहर की जनसंख्या और उनकी जरूरत के अनुसार की गई है प्लानिंग
- 18 एसटीपी हैं इस वक्त शहर में, प्लान के तहत 16 नए बनेंगे
पुरानी गलतियां नहीं दोहराएंगे
अमृत-1 में सीवेज कनेक्शन ले चुके 500-600 परिवार परेशान हैं। दरअसल कोलार-शाहपुरा में बिछी लाइन के लेवल के साथ घरों का लेवल परखा नहीं गया। ऐसे में कई घर मेन लाइन से जोड़े नहीं जा सके और जो जुड़े, उन्हें सीवेज लाइन में सही बहाव नहीं मिल पा रहा है। दावा ये है कि नई प्लानिंग में पुरानी गलती नहीं दोहराने का ख्याल रखा गया है।
एसटीपी 15 साल के लिए
अफसरों का कहना है कि अमृत-2.0 में सीवेज लाइन की प्लानिंग वर्ष 2055 तक के लिए की गई है। यानी अमृत-2.0 के पूरे 3000 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट में आज से 31 साल बाद तक जनसंख्या और जरूरत के अनुसार प्लानिंग की है। एसटीपी केवल 15 साल के अनुसार डिजाइन किए जाते हैं। इसके बाद इन्हें रेनोवेट किया जाएगा।
इतिहास से सबक राजा भोज ने नेचुरल ड्रेन को फॉलो किया
1100 साल पहले राजा भोज ने जो ड्रेनेज सिस्टम बनाया, वो नेचुरल ड्रेन को फॉलो करते हुए बनाया था। लाइन बिछाने से पहले ग्रेविटी का ध्यान रखा। उसी के अनुरूप वाटर बॉडीज डेवलप कीं और छोटी नालियां व नाले बनाकर इनसे जोड़ा गया। सीवेज लाइन भी इसी अनुरूप बिछाई जानी चाहिए। लेकिन मौजूदा दौर में लगातार बढ़ते अतिक्रमण के कारण ऐसा हो नहीं पा रहा है।
– , एसोसिएट डीन, डिपार्टमेंटऑफ अर्बन एंड रीजनल प्लानिंग, एसपीए भोपाल