उन्नाव रेप केसः 10 महीने ऐसे बचता रहा विधायक कुलदीप सेंगर, पीड़िता के जज्बे ने दिलाई सजा

रेप पीड़िता के पिता की पिटाई और जेल में उसकी मौत विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के लिए घातक साबित हुई। रेप के आरोप से 10 महीने से बच रहे विधायक 10 दिन में जेल पहुंच गए। इसके बाद शुक्रवार को वह दिन भी आ गया जब रेप पीड़िता को इंसाफ मिला और विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को उम्रकैद की सजा मिली। अब वह ताउम्र जेल में रहेगा।

तीन अप्रैल 2018  विधायक के भाई अतुल सिंह सेंगर ने पीड़िता के पिता की उस समय पिटाई कर दी थी, जब वह कोर्ट से गांव लौट रहा था। मामला मांखी थाने पहुंचा तो पुलिस ने पिता के खिलाफ ही आर्म्स ऐक्ट में मुकदमा दर्ज कर उसे जेल भेज दिया। इसके बाद से परिवार ने तो विधायक के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। इस बीच 09 अप्रैल की भोर में जेल में पिता की मौत से मामले ने ऐसा तूल पकड़ा कि 13 अप्रैल को राजनीतिक रसूख रखने वाले विधायक सेंगर को गिरफ्तार कर लिया गया। विधायक 20 महीने से जेल में बंद है।

2017 में दुष्कर्म का लगा आरोप

मांखी थाना क्षेत्र के एक गांव की किशोरी ने विधायक कुलदीप सिंह सेंगर और साथियों पर 04 जून 2017 में दुष्कर्म का आरोप लगाया था। उसके बाद किशोरी लापता हो गई। परिजनों की तहरीर पर मांखी पुलिस ने उसे औरैया के एक गांव से बरामद किया था।

अस्पताल और पुलिस की लापरवाही
रेप पीड़िता के पिता की पिटाई से हालत बिगड़ने पर जेल से अस्पताल भेजा गया मगर 21 घंटे में अस्पताल से डिस्चार्ज कराकर फिर जेल में डाल दिया गया था। मांखी पुलिस, जेल प्रशासन और डॉक्टरों की लापरवाही से बंदी पिता की मौत हुई। शरीर पर 18 चोट होने के बाद भी पुलिस ने अस्पताल लाए गए पीड़िता के पिता को जेल में ठूंस दिया। जेल में उसकी हालत फिर बिगड़ी और जिला अस्पताल लाए जाने पर मौत हो गई।
पुलिस ने रिपोर्ट बनाने के लिए बनाया था दबाव
03 अप्रैल की शाम रेप पीड़िता के पिता को मांखी पुलिस ने घायलवस्था में जिला अस्पताल में भर्ती कराया। पिता पेट दर्द की बात कहता रहा। डॉक्टरों की मानें तो पुलिस को न जाने क्या जल्दी थी कि वह उन पर रिपोर्ट तैयार करने का दबाव बना रहे थे। पुलिस ने 04 अप्रैल की शाम सात बजे उसे डिस्चार्ज कराकर जेल भेज दिया था। हालत बिगड़ने पर 06 अप्रैल को अल्ट्रासाउंड व ब्लड जांच कराई गई। रिपोर्ट नार्मल आने पर उसे वापस जेल भेज दिया गया।
थाने में दरोगा के कमरे से बरामद हुआ तमंचा
मांखी पुलिस की कहानी उसी के गले की फांस बन गई। 03 अप्रैल को मांखी पुलिस ने आर्म्स ऐक्ट का केस दर्ज कर पिता को जेल भेज दिया। उस समय बीट दरोगा केपी सिंह थे। थानेदार अशोक भदौरिया व दरोगा और कांस्टेबल आमिर की ओर से कहानी रची गई थी। 09 अप्रैल की भोर में पीड़िता के पिता की मौत के बाद सीबीआई जांच शुरू हुई तो पुलिस की कहानी सामने आ गई। पुलिस बरामद तमंचे को सील नहीं किया था। तमंचा भी गायब था। थाने में स्थित केपी सिंह के कमरे की तलाशी में तमंचा बरामद हुआ। सीबीआई इंस्पेक्टर आरके तिवारी की रिपोर्ट पर केपी सिंह पर आर्म्स ऐक्ट का केस दर्ज कराया। सीबीआई ने तीनों को जेल भेजा और सफीपुर सीओ कंुवर बहादुर सिंह को निलंबित कर दिया गया था।

सड़क हादसे से फिर बढ़ी सरगर्मी
28 जुलाई 2019 को रायबरेली जिले के थाना गुरुबक्सगंज क्षेत्र के अटौरा बुजुर्ग गांव स्थित चौकी मोड़ के पास सड़क हादसे में पीड़िता की चाची और मौसी की मौत और पीड़िता व उसके वकील के जख्मी होने से मामले में फिर सरगर्मी बढ़ गई थी। पीड़िता रायबरेली जेल में निरुद्ध चाचा से मिलने जा रही थी।  पीड़िता चाचा ने साजिश का आरोप लगाते हुए गुरुबख्शगंज थाने में दस नामित और 15-20 अज्ञात लोगों पर केस दर्ज हुआ। नामितों में विधायक कुलदीप सिंह सेंगर, मनोज सिंह सेंगर, विनोद मिश्र, हरिपाल सिंह, नवीन सिंह, कोमल सिंह, अरुण सिंह, ज्ञानेन्द्र सिंह, रिन्कू सिंह, वकील अवधेश सिंह थे। इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान में लिया। मामले को दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया। इस मामले की जांच भी सीबीआई ने की।

और अब मिला इंसाफ

दिल्ली की अदालत 2017 में हुए उन्नाव बलात्कार मामले में दोषी ठहराए गए कुलदीप सिंह सेंगर को उम्र कैद की सजा सुनाई है। कोर्ट ने सेंगर पर 25 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया। अदालत ने सेंगर को जुर्माना महीने भर के भीतर भरने का निर्देश दिया है। कुलदीप सिंह सेंगर अब मरते दम तक जेल में रहेगा। कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ सजा का ऐलान दोपहर दो बजे कोर्ट

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