क्या होता है RSS का प्रशिक्षण सत्र ?

क्या होता है RSS का प्रशिक्षण सत्र, जिसके लिए मोहन भागवत पहुंचे गोरखपुर?
गोरखपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का प्रमुख प्रशिक्षण सत्र चल रहा है. इसमें हिस्सा लेने के लिए संघ के प्रमुख मोहन भागवत भी पहुंच चुके हैं. प्रशिक्षण सत्र संघ के सबसे अधिक महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक है. इसके जरिए संघ अपने स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित करता है.
क्या होता है RSS का प्रशिक्षण सत्र, जिसके लिए मोहन भागवत पहुंचे गोरखपुर?

संगठन को मजबूती प्रदान करने के लिए RSS की ओर से कई तरह के प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जाते हैं. 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत आजकल गोरखपुर में मौजूद हैं, जहां संघ का प्रशिक्षण सत्र चल रहा है. यहां लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद पहली बार यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ आरएसएस प्रमुख से मुलाकात कर सकते हैं. यूपी में भाजपा के खराब चुनाव नतीजों को लेकर दोनों के बीच होने वाली बैठक को काफी अहम माना जा रहा है. आरएसएस का प्रशिक्षण सत्र 16 जून तक चलेगा, जिसमें संघ प्रमुख मौजूद रहेंगे. आइए जानते हैं कि संघ का प्रशिक्षण सत्र क्या है और इसकी शुरुआत कब हुई थी.

महत्वपूर्ण शिविरों की चार श्रेणियां हैं

संगठन को मजबूती प्रदान करने के लिए आरएसएस की ओर से कई तरह के प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जाते हैं. इनमें से सबसे महत्वपूर्ण शिविरों को चार श्रेणियों में बांटा जा सकता है. इनमें पहला है संघ शिक्षा वर्ग, जिसका आयोजन प्रथम वर्ष में होता है. फिर संघ शिक्षा वर्ग का आयोजन द्वितीय वर्ष के स्वयंसेवकों के लिए होता है. तृतीय वर्ष के स्वयंसेवकों के लिए संघ शिक्षा वर्ग और फिर शीत शिविर या शीतकालीन शिविर का आयोजन किया जाता है.

प्रशिक्षण सत्रों में ऐसी होती है दिनचर्या

इन शिविरों में स्वयंसेवकों की दिनचर्या आमतौर पर सुबह चार बजे शुरू हो जाती है और रात दस बजे खत्म होती है. या ये कह लीजिए ये शिविर सुबह चार से रात 10 बजे तक चलते हैं. सुबह और शाम को शारीरिक व्यायाम कराया जाता है. दोपहर और देर शाम को बौद्धिक प्रवचन और विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की जाती है. इस बार इसका आयोजन गोरखपुर में हो रहा है, जिसमें पहुंचे आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत खुद बौद्धिक सत्रों में हिस्सा ले रहे हैं.

इन शिविरों में बिना मसाले का शाकाहारी खाना परोसा जाता है. इसे स्वयंसेवक ही पकाते हैं और परोसते हैं. इन शिविरों की शुरुआत और समाप्ति बेहद सटीक तरीके से होती है. इसमें हर गतिविधि पहले से तय होती है और आत्म-अनुशासन इसकी पहली शर्त होती है. ये सभी शिविर आवासीय होते हैं और स्वयंसेवक आयोजन स्थल पर ही सोते हैं.

संघ के पहले और दूसरे साल के शिविरों के साथ ही शीतकालीन शिविरों का आयोजन आमतौर पर राज्य और कभी-कभी जिला स्तर पर भी होता है. वहीं, तीसरे वर्ष का शिविर नागपुर में संघ के मुख्यालय में लगता है. यह तीसरे वर्ष का शिविर सबसे प्रतिष्ठित माना जाता है और इसमें देश भर के चुने हुए स्वयंसेवक ही हिस्सा लेते हैं. इस शिविर में वे लोग ही हिस्सा ले सकते हैं, जिन्होंने पहले और दूसरे साल के शिविरों में प्रशिक्षण पूरा कर लिया हो.

साल 1929 में हुई थी नियमित शुरुआत

वैसे तो संघ की स्थापना के साथ ही डॉ. केशव बलराम हेडगेवार इसके स्वयंसेवकों को सैन्य प्रशिक्षण दिलाना चाहते थे, जिससे उनमें अनुशासन और समूह की भावना का विकास हो. इसके लिए सेना के पूर्व सैनिकों को बुलाने का फैसला किया. जून 1927 में उन्होंने 40 दिन का प्रशिक्षण आयोजित किया था, जिसमें 17 स्वयंसेवक शामिल हुए थे. हालांकि, संघ शिक्षा वर्ग की नियमित शुरुआत साल 1929 में हुई थी, तब इन वर्गों को ऑफिसर्स ट्रेनिंग कैंप कहा जाता था. 1929 का पहला प्रशिक्षण शिविर नागपुर में आयोजित किया गया था. 1 मई से 10 जून तक हुए 40 दिनों के इन शिविरों को ग्रीष्मकालीन शिविर कहा जाता था. 1950 के बाद इन शिविरों को संघ शिक्षा वर्ग की संज्ञा दी गई.

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