कॉफी पीने से नींद भाग जाती है। इससे शरीर में ऊर्जा का स्तर बढ़ जाता है। थकान दूर होती है और एकाग्रता भी बढ़ती है। जब बात अपनी प्रिय कॉफी की हो, तो व्यक्ति इसके सभी फायदे एक ही सांस में गिना जाता है। अमेरिका में मनुष्य के पोषण को लेकर एक सुपरस्टडी की गई, जिसमें भी कॉफी के कई फायदे गिनाए गए।
इस अध्ययन के अनुसार, कॉफी पीने से कैंसर का खतरा दो से बीस फीसदी तक कम हो जाता है। हृदय रोग की आशंका पांच फीसदी तक कम हो जाती है। टाइप-2 मधुमेह और पर्किंसंस रोग की आशंकाएं भी करीब तीस फीसदी तक कम हो जाती हैं। इस रिपोर्ट में यह तक माना गया कि कॉफी पीने से व्यक्ति ज्यादा उम्र तक भी जीता है। यह सब सुनकर यकीनन आपको अच्छा लग रहा होगा, लेकिन अगर आप यह मानने लगे हो कि कॉफी अमृत है, तो थोड़ा संभलें।
कॉफी के कुछ फायदे जरूर हैं, लेकिन इसके अति सेवन से नुकसान भी पहुंच सकता है। अति व्यस्त कामकाजी पेशेवर अपनी सतर्कता को धार देने के लिए कॉफी की मदद लेते हैं। लेकिन कॉफी का यह जो नशा है, वह हमेशा फायदेमंद नहीं होता।
दरअसल, हम जब दिन भर काम करते हैं, तो हमारा शरीर ज्यादा से ज्यादा एडेनोसिन रसायन का उत्पादन करता है। शरीर में यह रसायन जितना बढ़ता है, उतनी ही ज्यादा हमें नींद आती है। फिर जब हम सोते हैं, तो हमारा शरीर ऊर्जा का उपयोग करके एडेनोसिन के स्तर को कम कर देता है, जिससे हम हर सुबह तरो-ताजा होकर उठते हैं।
न्यूरोसाइंस के जर्नल में प्रकाशित एक शोध के अनुसार, जब हम कैफीन पीते हैं, तो यह एडेनोसिन को अपना काम करने से रोकता है, यानी नींद को भगाता है। आप रात में सो नहीं पाते, जिससे दिन भर सुस्ती बनी रहती है। जब आप सुस्त होते हैं, तो आप फिर कॉफी पीना पसंद करते हैं। इस तरह, जब आप काफी मात्रा में कॉफी पीने लगते हैं, तो यह परेशानी का एक चक्र बन जाता है। ध्यान रखें कि नींद कम होने पर आने वाली सुस्ती को पूरी दुनिया की कैफीन मिलकर भी दूर नहीं कर सकती। मतलब, कॉफी और नींद के बीच यह अंतहीन लड़ाई की तरह है। कॉफी से मिलने वाली ऊर्जा कुछ राहत तो दिला सकती है, लेकिन कैफीन कभी भी प्राकृतिक ढंग से होने वाले लाभों की जगह नहीं ले सकती। अगर आप अच्छा नाश्ता करें, अच्छी नींद लें, व्यायाम करें और सुबह-सुबह करीब दस मिनट तक प्राकृतिक धूप का आनंद लें, तो आपको काफी कॉफी पीने की जरूरत ही नहीं होगी।