अब NEET परीक्षा में बन गया विवाद की वजह?

2018 में सुप्रीम कोर्ट ने क्या दिया था फैसला, जो अब NEET परीक्षा में बन गया विवाद की वजह?
NEET यानी नेशनल एलिजिबिलिटी-कम-एंट्रेंस टेस्ट (अंडरग्रेजुएट) को लेकर देशभर में उबाल है. इस साल करीब 24 लाख छात्र-छात्राओं ने 4700 से ज्यादा एग्जाम सेंटर्स पर 13 भाषाओं में नीट की परीक्षा दी थी.

मेडिकल कॉलेज में दाखिले के लिए हर साल होने वाली नीट-यूजी परीक्षा को लेकर इस बार काफी विवाद हो गया है. छात्रों और उनके परिवारों का आरोप है कि परीक्षा में गड़बड़ी हुई है. कुछ का कहना है कि पेपर लीक हो गया था, तो कुछ का कहना है कि परीक्षा केंद्रों पर देरी हुई या ओएमआर शीट्स के साथ छेड़छाड़ की गई. 

इतना ही नहीं, कुछ का ये भी आरोप है कि एग्जाम में गलत सवाल पूछे गए थे. इन सब आरोपों के चलते नीट-यूजी परीक्षा कराने वाली संस्था NTA को अदालत में कई मुकदमों का सामना करना पड़ रहा है. इसी साल 5 मई को देशभर में करीब 24 लाख से ज्यादा छात्रों ने ये परीक्षा दी थी.

इन गड़बड़ियों से परेशान छात्र जो खुद डॉक्टर बनना चाहते हैं, वो सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं. उनकी मांग है कि सिर्फ 1563 छात्रों की परीक्षा दोबारा न कराई जाए, बल्कि पूरी परीक्षा दोबारा हो. दरअसल, परीक्षा केंद्रों पर देरी की वजह से कुछ छात्रों को ग्रेस मार्क्स दिए गए थे. इन ग्रेस मार्क्स का कई छात्र विरोध कर रहे हैं.

इस स्पेशल स्टोरी में आप जानेंगे नीट-यूजी परीक्षा को लेकर अदालत में कौन-कौन सी याचिकाएं दायर की गई हैं और कोर्ट का क्या कहना है.

पहले जानिए आखिर कब और कैसे शुरू ये विवाद
4 जून को लोकसभा चुनाव के नतीजे जारी हुए और इसी दिन नीट परीक्षा का रिजल्ट जारी किया गया. ये सब विवाद तब शुरू हुआ जब सोशल मीडिया पर कुछ टॉप रैंक हासिल करने वाले छात्रों की मार्कशीट सामने आई. इन मार्कशीट्स को देखने के बाद लोगों को शक हुआ क्योंकि इस बार 1 या 2 नहीं बल्कि 67 छात्रों ने टॉप किया था और उन्हें फुल मार्क्स मिले थे.

इनमें से 6 छात्र तो एक ही एग्जाम सेंटर से थे. साथ ही परीक्षा में देरी की वजह से कुल 1563 छात्रों को ग्रेस मार्क्स दिए गए थे. ऐसे में छात्रों ने आरोप लगाया है कि कई लोगों के मार्क्स बेवजह कम या ज़्यादा कर दिए गए, जिसकी वजह से उनकी रैंकिंग प्रभावित हुई है.

शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि कुछ परीक्षा केंद्रों पर गलत प्रश्नपत्र दे दिए गए थे. ये गड़बड़ी मेघालय, हरियाणा, छत्तीसगढ़, सूरत और चंडीगढ़ के छह परीक्षा केंद्रों में हुई थी. इन केंद्रों पर कुल 1563 छात्रों का कहना था कि उन्हें पूरे 3 घंटे 20 मिनट पेपर लिखने के लिए नहीं मिले. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि या तो उन्हें गलत प्रश्नपत्र दे दिया गया या फिर OMR शीट फटी हुई थी या फिर OMR शीट देने में देरी हुई.

NTA का क्या कहना है?
पूरे मामले में इतना बवाल मचने के बाद नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने अपना बयान जारी किया. एनटीए का कहना है कि परीक्षा पूरी तरह से निष्पक्ष थी और किसी भी तरह की गड़बड़ी नहीं हुई है. उन्होंने बताया कि इस साल ज्यादा छात्रों के टॉप रैंक हासिल करने का मतलब है कि परीक्षा ज्यादा कठिन हो गई है और छात्रों का प्रदर्शन बेहतर हुआ है. 

जहां तक 1563 छात्रों को ग्रेस मार्क्स देने का सवाल है, NTA का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के 2018 के एक फैसले के हिसाब से ही ये कदम उठाया गया था. जिन 67 छात्रों ने पूरे 720 मार्क्स हासिल किए थे, उनमें से 44 छात्रों को फिजिक्स के एक सवाल के जवाब में बदलाव किया गया था और 6 छात्रों को परीक्षा में कम समय मिलने की भरपाई के लिए ग्रेस मार्क्स दिए गए थे. 

वहीं शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पेपर लीक होने की बात को गलत बताया है. साथ ही, केंद्र सरकार ने उन छात्रों के मार्क्स को रद्द कर दिया है जिन्हें परीक्षा केंद्र में देरी की वजह से ग्रेस मार्क्स दिए गए थे. इन छात्रों को अब फिर से परीक्षा देनी होगी. ये परीक्षा काउंसलिंग शुरू होने से पहले ली जाएगी. हालांकि, कोर्ट ने केंद्र सरकार की इस बात को मान लिया है कि काउंसलिंग रोकी नहीं जाएगी.

2018 में सुप्रीम कोर्ट का एक फैसला बना विवाद की वजह!
NTA को NEET (UG) 2024 की परीक्षा देने वाले कुछ छात्रों से शिकायतें मिली थीं कि उन्हें परीक्षा के दौरान कम समय दिया गया था. इन शिकायतों को देखते हुए NTA ने उन छात्रों की मदद के लिए एक खास फॉर्मूले का इस्तेमाल किया. यह फॉर्मूला सुप्रीम कोर्ट ने 13 जून 2018 के फैसले में बताया था. इस फॉर्मूले के आधार पर ही नीट परीक्षा में कम समय मिलने की समस्या को दूर किया गया और कुछ छात्रों को ग्रेस मार्क्स दिए गए.

दरअसल, 2018 में CLAT (कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट) परीक्षा के दौरान भी कुछ छात्रों को कम समय मिला था. इसी पर सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला सुनाया था, जिसमें परीक्षा में कम समय मिलने पर मार्क्स की समस्या का एक खास फॉर्मूला बताया गया था. उसी फॉर्मूले को इस्तेमाल करके इस बार NEET में भी छात्रों को नंबर दिए गए.

CLAT 2018 के फॉर्मूले में छात्रों को कम समय मिलने के साथ-साथ उनके सवाल हल करने की रफ्तार को भी देखा गया था, उसी के हिसाब से उनके मार्क्स में बदलाव किया गया था. कुछ छात्रों का ये भी कहना है कि JEE मेन और CUET जैसी दूसरी एंट्रेंस परीक्षाओं में भी, जहां परीक्षा अलग-अलग दिनों में होती है, वहां भी मार्क्स को नॉर्मलाइज किया जाता है. मगर NEET में तो परीक्षा पूरे देश में एक ही दिन होती है. NTA ने छात्रों को इस बारे में पहले कोई जानकारी नहीं दी थी. 

रिजल्ट आने से पहले ही अदालत पहुंच गया था पेपर लीक का मामला
नीट-यूजी का रिजल्ट आया भी नहीं था, पर सुप्रीम कोर्ट में पहले ही एक याचिका दाखिल हो गई थी. वानीका यादव नाम की एक छात्रा ने बाकी स्टूडेंट्स के साथ मिलकर ये याचिका दायर की थी. इनका आरोप है कि नी का पेपर लीक हुआ था, जिससे कुछ छात्रों को फायदा हुआ और बाकी मेहनती बच्चों का हक मारा गया. 

याचिका में लिखा है, “ये नीट का पेपर लीक होना, भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत मिलने वाले बराबरी के हक और समान अवसर के अधिकार को खत्म करता है. पेपर लीक होने से कुछ चुनिंदा छात्रों को फायदा मिल जाता है, जबकि बाकी होनहार छात्रों का हक छिन जाता है.”

2018 में सुप्रीम कोर्ट ने क्या दिया था फैसला, जो अब NEET परीक्षा में बन गया विवाद की वजह?

छात्र चाहते हैं कि इस साल की परीक्षा रद्द कर दी जाए और फिर से परीक्षा कराई जाए. दोबारा परीक्षा कराने से पहले NTA को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पेपर लीक या नकल जैसी कोई गलती न हो. साथ ही, छात्रों ने सभी राज्यों से पेपर लीक के बारे में रिपोर्ट मांगी है. उन्होंने कोर्ट से ये भी कहा है कि वो आगे पेपर लीक या गलतियों को रोकने के लिए सही नियम बनाए. इसके अलावा, छात्रों ने मांग की है कि नीट परीक्षा 2024 के पेपर लीक की जांच के लिए एक स्पेशल टीम (SIT) बनाई जाए और वो तय समय में रिपोर्ट दे.   

इस याचिका पर 17 मई को चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने सुनवाई की थी. स्टूडेंट्स का कहना था कि पेपर लीक हुआ और नकल भी खूब हुई, तो कोर्ट ने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) को नोटिस तो थमा दिया, लेकिन रिजल्ट को रोकने से इनकार कर दिया था.

ये मामला अब सुप्रीम कोर्ट की छुट्टियों के बाद 8 जुलाई को फिर से सुना जाएगा. असल में, पेपर लीक को लेकर करीब 10 याचिकाएं दाखिल की गई हैं. इन सब याचिकाओं को कोर्ट ने एक साथ जोड़ दिया है और एक साथ अब 8 जुलाई को सुनी जाएंगी.

NEET रिजल्ट की फिर से जांच की मांग
पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका दायर की गई. ये याचिका आर्टिकल-32 के तहत दायर की गई जिसमें सभी छात्रों की OMR शीटों की दोबारा जांच, रैंकिंग फिर से करने और नीट परीक्षा से जुड़ी गड़बड़ी की जांच कराने की मांग की गई है. ये जांच कोर्ट की निगरानी में कराए जाने की मांग की गई है. यह याचिका इस साल नीट परीक्षा देने वाले आठ छात्रों ने दायर की है. इनका आरोप है कि NTA ने कई मनमानी और गलत हरकतें की हैं. याचिका अर्श समीर नाम के एक छात्र की तरफ से दायर की गई है. 

2018 में सुप्रीम कोर्ट ने क्या दिया था फैसला, जो अब NEET परीक्षा में बन गया विवाद की वजह?

छात्रों का आरोप है कि उनकी OMR शीटों पर मिले नंबर और रिजल्ट कार्ड पर मिले नंबरों में अंतर है. उनका कहना है कि ये गलती किसी ग्रेस मार्क्स की वजह से नहीं हुई. असल में, जिन स्टूडेंट्स को ग्रेस मार्क्स मिले, वे उन सेंटर्स से नहीं थे जहां देरी हुई थी. याचिका में ये भी कहा गया है कि इस साल बहुत ज्यादा कट-ऑफ और एवरेज मार्क्स की वजह से 67 स्टूडेंट्स पूरे 720 में 720 नंबर लाकर टॉप रैंक पर आ गए. जबकि पिछले सालों में ऐसे स्टूडेंट्स की संख्या सिर्फ 3-4 ही हुआ करती थी.

इन छात्रों को ये भी शक है कि हरियाणा के एक ही एग्जाम सेंटर से पूरे 720 नंबर लाने वाले 6 टॉपर्स कैसे हो सकते हैं. वहीं कुछ छात्रों को 718 और 719 नंबर मिले हैं, जो संभव नहीं है. साथ ही, उन्होंने ये भी जानना चाहा है कि देरी होने पर ग्रेस मार्क्स देने का क्या तरीका अपनाया गया. उनकी मांग है कि रिजल्ट में बताई गई गड़बड़ियों की जांच के लिए एक हाई-पावर कमेटी बनाई जाए. इसकी अध्यक्षता किसी रिटायर्ड सुप्रीम कोर्ट जज या हाई कोर्ट जज को सौंपी जाए. 

60 करोड़ रुपये में आउट हुआ नीट का पेपर?
14 जून, शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच की मांग वाली सात याचिकाओं पर सुनवाई की और NTA को नोटिस जारी किया. इन याचिकाओं में पेपर लीक और एग्जाम में गड़बड़ी के आरोपों की जांच सीबीआई से कराने की मांग की गई थी. एक याचिकाकर्ता हितेन सिंह कश्यप का आरोप है कि एग्जाम सेंटर पर भी गड़बड़ी की गई. उन्होंने शंका जताई कि ओडिशा, कर्नाटक और झारखंड जैसे राज्यों के छात्रों ने गुजरात के गोधरा में एक खास सेंटर चुना.  

याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि गुजरात पुलिस ने एक ऐसे टीचर के खिलाफ मामला दर्ज किया है, जिसने 10 लाख रुपये लेकर NEET एग्जाम पास कराने का दावा किया था. उन्होंने पटना में भी ऐसे ही एक FIR का हवाला दिया, जहां मजिस्ट्रेट कोर्ट के सामने बयान दिया गया था. ये बयान पेपर लीक होने के ‘पक्के सबूत’ होने की तरफ इशारा करता है. 

2018 में सुप्रीम कोर्ट ने क्या दिया था फैसला, जो अब NEET परीक्षा में बन गया विवाद की वजह?

साथ ही याचिकाकर्ता ने उत्तर प्रदेश से जुड़ी न्यूज रिपोर्ट्स का भी हवाला दिया, जिनमें बताया गया था कि वहां पेपर लीक कराने वाले गिरोह के सरगना ने कथित तौर पर 60 करोड़ रुपये देकर NEET का पेपर हासिल किया था.

हाईकोर्ट में NTA पर कौन-कौन से मुकदमें
ये पूरा NEET-UG रिजल्ट का मामला सिर्फ सुप्रीम कोर्ट तक ही सीमित नहीं है. देश के अलग-अलग हाईकोर्ट में भी इसको लेकर याचिकाएं दायर की गई हैं. कोलकाता, दिल्ली, उत्तर प्रदेश आदि हाईकोर्ट में स्टूडेंट्स ने ग्रेस मार्क्स और पेपर लीक के आरोपों को लेकर याचिकाएं डाली हैं.  

दिल्ली हाईकोर्ट में NEET के चार स्टूडेंट्स आदर्श राज गुप्ता, मोहम्मद फ्लोरेज, श्रेयांशी ठाकुर और कीर्या आजाद ने याचिकाएं दायर की थीं. शुक्रवार को इन चारों याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने के लिए लिस्ट किया गया है. 

कलकत्ता हाईकोर्ट ने भी 6 जून को नोटिस जारी कर एनटीए से परीक्षा में कथित अनियमितताओं पर जवाब मांगा था. पेपर लीक और गड़बड़ी के मामलों की अब अगली सुनवाई 8 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में एक साथ होने की संभावना है. हालांकि, इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में एक अलग मामला चल रहा है, जहां आयुषी पटेल नाम की छात्रा ने आरोप लगाया है कि जब उसका रिजल्ट जारी हुआ तो अपने एनटीए से इस बारे में पूछताछ की. तब एनटीए ने उसे फटी हुई ओएमआर मार्कशीट ईमेल पर भेज दी. हाईकोर्ट ने नोटिस जारी कर एनटीए और छात्रा आयुषी पटेल से मूल दस्तावेज मांगे हैं.

अब 1563 छात्रों को नहीं मिलेंगे ग्रेस मार्क्स
13 जून को सुप्रीम कोर्ट ने NEET UG परीक्षा में 1563 छात्रों को कम समय की वजह से दिए गए ग्रेस मार्क्स रद्द करने के NTA और केंद्र सरकार के फैसले को मान लिया है. इन छात्रों के पास अब दो ऑप्शन हैं: ये छात्र 23 जून को फिर से परीक्षा दे सकते हैं या फिर बिना ग्रेस मार्क्स के अपनी मौजूदा मार्क्सशीट स्वीकार कर सकते हैं. दोबारा परीक्षा देने वाले छात्रों का 30 जून को रिजल्ट जारी कर दिया जाएगा और 4 जुलाई से काउंसलिंग शुरू होने की संभावना है.

हालांकि फिर भी अभी ये विवाद खत्म नहीं हुआ है. ज्यादातर छात्र पूरी परीक्षा रद्द करने की मांग कर रहे हैं. इस मामले पर 8 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट फिर से सुनवाई करेगा.

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