2047 तक विकसित राष्ट्र बनने का सपना ?

 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने का सपना; भारत इन पैमानों पर कितना तैयार है?
विकसित राष्ट्र उन देशों को कहा जाता है, जो उच्च जीवन स्तर, उन्नत बुनियादी ढांचे, और मजबूत अर्थव्यवस्था के साथ मानव विकास सूचकांक (HDI) में टॉप रैंकिंग में होते हैं.

पिछले साल 15 अगस्त के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को 2047 तक ‘विकसित भारत’ बनाने का लक्ष्य रखा था. अब 18वीं लोकसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं. इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीसरी बार पीएम पद की शपथ भी ले चुके हैं और उनका तीसरा कार्यकाल भी शुरू हो चुका है.

ऐसे में सवाल उठता है कि क्या पीएम मोदी का 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनने का सपना पूरा हो सकता है. इस रिपोर्ट में विस्तार से जानते हैं कि विकसित देश कहलाने के लिए भारत कितना तैयार है और कैसे मोदी सरकार ने 2014 के बाद से देश को ‘विकसित’ बनाने की नींव रखी थी. 

हालांकि इस सपने को पूरा करने के लिये अगले 25 सालों के भीतर भारत के प्रति व्यक्ति आय को वर्तमान 2,600 अमेरिकी डॉलर से पांच गुना बढ़ाकर 10,205 अमेरिकी डॉलर करना होगा. जो कि काफी चुनौतीपूर्ण है. इतना ही नहीं भारत को विकासशील देश बनाने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए प्रति व्यक्ति आय में 7.5% की वार्षिक वृद्धि दर के साथ इस अवधि में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर को 9% बनाए रखना होगा. 

 

2047 तक विकसित राष्ट्र बनने का सपना; भारत इन पैमानों पर कितना तैयार है?

विकसित राष्ट्र बनने के लिए भारत को किन चुनौतियों का सामना करना करना पड़ेगा

भारत एक विकासशील देश है लेकन उसे विकसित बनने की दिशा में तेजी से प्रगति कर रहा है, हालांकि अभी इस देश को विकसित होने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. 

आर्थिक असमानता: भारत के आर्थिक विकास के बाद भा यहां के लोगों के आय और धन वितरण में बड़ी असमानता है. देश को फिलहाल गरीबी के मुक्त कराने के लिए योजनाओं को लाने की जरूरत है. 

शिक्षा की गुणवत्ता: भारत को शिक्षा की गुणवत्ता को और भी बेहतर बनाने की जरूरत है. दरअसल अस देश के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच शिक्षा की गुणवत्ता में बड़ा अंतर है. उच्च शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण में सुधार की आवश्यकता है. 

स्वास्थ्य सेवाएं: देश के ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच और गुणवत्ता में सुधार की जरूरत है. सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं में अधिक निवेश की आवश्यकता है.

बुनियादी ढांचा: भारत का ग्रामीण क्षेत्र आज भी बुनियादी सुविधाओं से अछूता है ऐसे में इस कमी को दूर करना भारत के विकसित देश बनने की राह में सबसे बड़ी चुनौती है. ग्रामीण इलाकों में बुनियादी सुविधा नहीं होने के कारण ही शहरी में बुनियादी सेवाओं पर दबाव बढ़ रहा है. 

राजनीतिक और प्रशासनिक सुधार: इस देश को भ्रष्टाचार और नौकरशाही में सुधार करने की आवश्यकता है.     

रोज़गारहीन विकास: भारत वित्त वर्ष 2023-24 में 7.8% की प्रभावशाली आर्थिक वृद्धि का दावा तो करता है, लेकिन इससे रोज़गार का सृजन नहीं हो पाया. ऐसे में देश के लाखों लोग निम्न उत्पादकता वाले कृषि क्षेत्र में फँसे हुए हैं (जो सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 15% योगदान करता है, लेकिन कार्यबल के 44% को नियोजित करता है). भारत को अपने बढ़ते कार्यबल को नियोजित करने के लिये साल 2030 तक 115 मिलियन (11.5 करोड़) नौकरियां निकालने की जरूरत है.

व्यापक आय असमानता: हमारे देश में आय असमानता का स्तर भी काफी ज्यादा है और जनसंख्या का एक बड़ा भाग गरीबी का सामना कर रहा है. साल 2022-23 में राष्ट्रीय आय का 22.6% भाग केवल 1 प्रतिशत लोगों के पास गया था. यह समावेशी विकास और आबादी के एक महत्त्वपूर्ण हिस्से के लिये बुनियादी सेवाओं तक पहुंच में बाधा उत्पन्न करती है. साल 2022 में भारत का HDI स्कोर 0.644 रहा और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा निर्धारित इस रैंकिंग में उसे 192 देशों में 134वें स्थान पर रखा गया.

विकसित अर्थव्यवस्था के लिए भारत को क्या करना चाहिये

भारत को वैश्विक स्तर पर कॉम्पीटिव और रोजगार-योग्य कार्यबल के निर्माण के लिये व्यावसायिक शिक्षा, कौशल विकास कार्यक्रमों में भारी निवेश करने की जरूरत है. इसके अलावा देश के बेहतर भविष्य के लिए बच्चों के पाठ्यक्रमों को AI, रोबोटिक्स और नवीकरणीय ऊर्जा जैसी उभरती टेकनोलॉजी के अनुरूप तैयार करने की जरूरत है. 

स्टार्टअप हब स्थापित करने की जरूरत

देश में स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार को योजनाएं शुरू करनी चाहिये. जिससे ज्यादा ज्यादा लोग स्टार्टअप करें. इससे रोजगार की संभावनाएं भी बढ़ जाती है. भारत के टियर-2 और टियर-3 शहरों में भी अच्छी तरह से वित्तपोषित स्टार्टअप हब का नेटवर्क विकसित किया जाना चाहिये. भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले MSMEs को भी बेहतर वित्तपोषण और विपणन योजनाओं के माध्यम से सहयोग देने की आवश्यकता है.

ग्रीन कॉलर जॉब’ संबंधी क्रांति लाना

रिन्यूएवल ऊर्जा क्षेत्रों, वेस्ट मैनेजमेंट और सस्टेनेवल इन्फ्रास्ट्रक्टर डिपार्टमेंट के विकास के लिये आवश्यक कौशल के साथ कार्यबल को सुसज्जित करने के लिये उद्योग जगत की साझेदारी के साथ हरित रोज़गार ट्रेनिंग प्रोग्राम को लागू किया जा सकता है. हरित क्षेत्रों में श्रमिकों को नियुक्त करने और प्रशिक्षित करने वाली कंपनियों को टैक्स में छूट और सब्सिडी प्रदान किया जाना चाहिये हरित रोज़गार सृजन और कार्यबल संक्रमण को बढ़ावा मिले.

क्या होता है ग्रीन कॉलर जॉब: “ग्रीन कॉलर जॉब” एक ऐसा शब्द है जिसका उपयोग उन नौकरियों को वर्णित करने के लिए किया जाता है जो पर्यावरणीय स्थिरता और हरित प्रौद्योगिकियों से जुड़े होते हैं. ये नौकरियां पारंपरिक ब्लू कॉलर और व्हाइट कॉलर नौकरियों से अलग हैं, क्योंकि इनका मुख्य फोकस पर्यावरण संरक्षण, प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण, और स्थायी विकास पर होता है. ग्रीन कॉलर नौकरियों में शामिल लोग ऐसे कार्यों में संलग्न होते हैं जो पर्यावरणीय सुधार और सतत विकास को बढ़ावा देते हैं. 

ब्लू इकॉनमी’ की क्षमता को बढ़ाना 

भारत को विकसित देश बनाने के लिए “ब्लू इकॉनमी” की क्षमता को बढ़ाना बेहद महत्वपूर्ण है. ब्लू इकॉनमी, या समुद्री अर्थव्यवस्था, उन सभी आर्थिक गतिविधियों को संदर्भित करती है जो समुद्र, तटीय क्षेत्रों, और महासागरों से संबंधित होती हैं. इसमें समुद्री परिवहन, मछली पालन, तटीय पर्यटन, अपतटीय ऊर्जा, और समुद्री जैव विविधता के संरक्षण जैसे क्षेत्र शामिल होते हैं.

ब्लू इकॉनमी की क्षमता को बढ़ाने और समुद्री क्षेत्र में निवेश से रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे. इतना ही नहीं मछली पालन, शिपिंग, और समुद्री पर्यटन जैसे क्षेत्रों में विकास से आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहन मिलेगा. 

ब्लू इकॉनमी न सिर्फ पर्यावरण संरक्षण को प्रोत्साहित करता है, बल्कि प्राकृतिक संसाधनों के दीर्घकालिक उपयोग को भी सुनिश्चित करता है.

ब्लू इकॉनमी को बढ़ावा देने के उपाय 

  • ब्लू इकॉनमी के विभिन्न क्षेत्रों में सरकारी और निजी निवेश को प्रोत्साहित करना.
  • नीतियों और योजनाओं का निर्माण जो समुद्री संसाधनों के सतत उपयोग को सुनिश्चित करें
  • समुद्री क्षेत्र में विशेषज्ञता प्राप्त करने के लिए शैक्षिक और प्रशिक्षण कार्यक्रमों को बढ़ावा देना.
  • नौवहन, समुद्री विज्ञान, और तटीय प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में उच्च शिक्षा का विस्तार.

क्या होता है विकसित राष्ट्र

विकसित राष्ट्र उन देशों को कहा जाता है, जो उच्च जीवन स्तर, उन्नत बुनियादी ढांचे, और मजबूत अर्थव्यवस्था के साथ मानव विकास सूचकांक (HDI) में टॉप रैंकिंग में होते हैं. विकसित राष्ट्रों में आर्थिक समृद्धि, उच्च जीवन स्तर, और मजबूत बुनियादी ढांचे के साथ-साथ उन्नत शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं भी मोजूद होती हैं. 

भारत कैसा देश है 

भारत को फिलहाल विकासशील देशों की लिस्ट में शामिल किया गया है. विकासशील देश उन देशों को कहा जाता है जिनकी अर्थव्यवस्था, बुनियादी ढांचा, और मानव विकास सूचकांक (HDI) विकसित देशों की तुलना में थोड़ा कम स्तर पर होते हैं. भारत, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, और नाइजीरिया जैसे देश विकासशील देशों की श्रेणी में आते हैं.

ये वैसे देशों की लिस्ट है जो आर्थिक और सामाजिक क्षेत्रों में तेजी से प्रगति तो कर रहे हैं, लेकिन फिर भी उन्हें अभी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. 

एनडीए सरकार ने किन योजनाओं के तहत रखी थी विकसित भारत की नींव 

लोकसभा चुनाव से पहले अंतरिम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि मोदी सरकार के कार्यकाल में योजनाओं पर तेजी से काम किया जाता है. उनकी सरकार ने न सिर्फ एक विकसित भारत की नींव रखी है बल्कि जनता के बुनियादी जरूरतों को हासिल करने के लिए भी उन्हें सशक्त बनाया है. 

उन्होंने कहा था कि एनडीए की सरकार के पहले की जिस भी पार्टी की सरकार सत्ता में होती थी उनके पास भी घर, सड़क आदि उपलब्ध कराने की योजनाएं थीं, लेकिन उन सरकारों में उस योजना को समय पर पूरा करने की भावना नहीं थी. हमारी सरकार ने इसी सोच को बदला है.

भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए ये योजनाएं लाई सरकार 

साल 2014 से ही भारतीय सरकार ने कई ऐसी नीतियों को लागू कर दिया था, जिससे देश में विकास हुआ है. यहां 10 प्वाइंट में हम आपको उन प्रमुख नीतियों और कार्यक्रमों के बारे में बाताएंगे जिन्होंने विकसित देश की नींव रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. 

मेक इन इंडिया: इस अभियान का लक्ष्य भारत को विनिर्माण और निवेश के लिए एक वैश्विक केंद्र बनाना है. मेक इन इंडिया के तहत भारत के अलग अलग  क्षेत्रों में निवेश को प्रोत्साहित किया गया और नौकरियों के अवसर बढ़ाए गए.

स्वच्छ भारत अभियान: इस अभियान को राष्ट्रीय स्तर पर शुरु किया गया था, जिसका लक्ष्य भारत को स्वच्छ और स्वच्छता के प्रति जागरूक बनाना है. स्वच्छ भारत अभियान स्वास्थ्य में सुधार और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण है.

जन धन योजना: इस योजना के तहत हर भारतीय को बैंकिंग सेवाओं तक पहुंच मिली. इसके तहत लाखों लोगों के बैंक खाते खोले गए.

डिजिटल इंडिया: इस योजना की शुरुआत देश में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए और भारत में डिजिटल सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए किया गया है. इस योजना का लक्ष्य ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी बढ़ाना और सरकारी सेवाओं को ऑनलाइन करना शामिल है.

स्किल इंडिया: इस योजना की शुरुआत देश के युवा वर्ग को अलग अलग कौशल सिखाने और रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए की गई थी. इस योजना का  उद्देश्य युवाओं को नौकरी पाने के योग्य बनाना और उद्योग की मांग के अनुसार प्रशिक्षित मानव संसाधन तैयार करना है.

स्मार्ट सिटी मिशन: इस योजना की शुरुआत भी एनडीए के पहले कार्यकाल में की गई था. इसका उद्देश्य भारत के शहरी इलाकों को स्मार्ट और टिकाऊ बनाना है. इस मिशन के तहत 100 शहरों का चयन किया गया जिनमें आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, बेहतर परिवहन और उच्च गुणवत्ता वाली जीवनशैली प्रदान करने की योजनाएं शामिल हैं.

उज्ज्वला योजना: इस योजना के तहत जो लोग गरीब परिवारों से आते हैं उन्हें मुफ्त में एलपीजी कनेक्शन दिया जाता है. इससे उनकी जीवनशैली में सुधार हुआ और पर्यावरण के अनुकूल उपायों को बढ़ावा मिला.

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