योग का विज्ञान और संस्कृति, मानवता को भारत का उपहार !

योग का विज्ञान और संस्कृति, मानवता को भारत का उपहार 

भारत एक अखंड संस्कृति नहीं है. ये संस्कृतियों का केलाइडोस्कोप है, जहां हम समानता के साधारणपन से संबंध नहीं रखते, लोगों की जातीयता, उनकी भाषा, भोजन, कपड़े पहनने का तरीका, संगीत और नृत्य, सब कुछ देश में हर पचास या सौ किलोमीटर पर अलग होता है. ये एक ऐसा देश है जहां हमने विविधता को इस हद तक प्रोत्साहित करने का साहस किया कि हमारे पास देश में 1300 से अधिक भाषाएं और बोलियां हैं, और लगभग तीस ऐसी भाषाएं हैं जिनमें साहित्य का विशाल भंडार है. धरती पर हमारे पास संभवतः किसी एक राष्ट्र के लिए सबसे अधिक संख्या में कला और शिल्प हैं. हम न केवल दुनिया के हर धर्म के लिए एक घर हैं, बल्कि पूजा की इतनी सारी किस्मों, किसी की आंतरिक खुशहाली और परम कल्याण के लिए इतनी सारी विविधताओं का घर भी हैं, जिसे बाकी दुनिया ने कभी नहीं देखा है. दुर्भाग्य से पिछले कुछ दशकों में आध्यात्मिक संभावनाओं के इस चित्रपट से कई भारतीय संपर्क खो रहे हैं. इसलिए, आईजीएनसीए जैसे संस्थान जो काम कर रहे हैं वो सराहनीय है, क्योंकि इस संस्कृति को खोना नहीं चाहिए.  

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर पूरी दुनिया एकजुट 

भारतीय संस्कृति में एक आंतरिक मजबूती है जो आंतरिक कल्याण के पूरे विज्ञान और टेक्नॉलोजी से पैदा होती है. अभी पूरी दुनिया इसी के लिए रो रही है. उनके पास बाहरी तकनीक है, जिसके साथ उन्होंने बाहर की ओर शानदार काम किए हैं, लेकिन अंदर से वे संघर्ष कर रहे हैं. यदि हम इस देश में मौजूद ज्ञान-भंडार का सहारा लेते हैं, तो यह सबसे बड़ी संपत्ति हो सकती है, ना केवल इस देश की भलाई के लिए बल्कि दुनिया की भलाई के लिए भी. 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में संयुक्त राष्ट्र की घोषणा इस संदर्भ में बहुत महत्वपूर्ण है. ये मानव इतिहास में एक महत्वपूर्ण क्षण है. जब योग का विज्ञान आज पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक है. मानवता के इतिहास में पहली बार, हमारे पास धरती पर हर मुद्दे को संभालने की आवश्यक क्षमता है पोषण, स्वास्थ्य, शिक्षा, आप उसका नाम लें. हमारे पास विज्ञान और प्रौद्योगिकी के जबरदस्त साधन हैं, जो इतने शक्तिशाली हैं कि दुनिया को कई बार बना या तोड़ सकते हैं. हालांकि. यदि ऐसे शक्तिशाली साधनों को चलाने की क्षमता के साथ आंतरिक समावेश, संतुलन और परिपक्वता की गहरी भावना ना हो तो हम एक वैश्विक आपदा के कगार पर हो सकते हैं. बाहरी खुशहाली की हमारी निरंतर खोज पहले ही धरती को नष्ट करने की कगार पर है.

योग नहीं है व्यायाम या तकनीक

आज हमारे पास जो सुख-सुविधाएं हैं, उन्हें पहले कभी किसी पीढ़ी के लोगों ने नहीं जाना और फिर भी, हम इतिहास की सबसे आनंदमय या प्रेमपूर्ण पीढ़ी होने का दावा नहीं कर सकते. बड़ी संख्या में लोग निरंतर तनाव और चिंता की स्थिति में रहते हैं. कुछ लोग अपनी असफलता की पीड़ा सह रहे हैं, लेकिन विडंबना यह है कि कई लोग अपनी सफलता का परिणाम झेल रहे हैं. कुछ लोग अपनी सीमाओं का दुख झेल रहे हैं, लेकिन कई लोग अपनी आजादी की पीड़ा सह रहे हैं. जो चीज़ गायब है वह है मानव चेतना. बाकी सब कुछ अपनी जगह पर है, लेकिन इंसान अपनी जगह पर नहीं है. यदि इंसान अपनी खुशी के रास्ते में बाधा डालना बंद कर दें, तो हर दूसरा समाधान हाथ में है. यहीं पर योग महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. कई लोगों के लिए “योग” शब्द शरीर को मोड़ने वाली विकृति की छवि पेश करता है लेकिन जब हम योग विज्ञान की बात करते हैं तो हमारा मतलब उससे नहीं है. योग कोई अभ्यास, व्यायाम या तकनीक नहीं है. 

योग का मतलब एकत्व

“योग” शब्द का शाब्दिक अर्थ है एकत्व. इसका मतलब यह है कि किसी के अनुभव में, सब कुछ एक हो गया है. योग का विज्ञान मानव आंतरिकता का एक गहन विज्ञान है जो व्यक्ति को अस्तित्व के साथ सटीक अलाइनमेंट और पूर्ण सामंजस्य में होने में सक्षम बनाता है. चेतना को ऊंचा उठाने और मानवता को स्थायी खुशहाली और आजादी की स्थिति में रहने के लिए सशक्त बनाने की एक प्रणाली के रूप में इससे अधिक व्यापक कोई प्रणाली नहीं है. योग धर्म से भी पहले का है. ये हमें याद दिलाता है कि अगर हम अपने भीतर देखें और विश्वासों और निष्कर्षों को दूर रखें, तो सच्चाई निश्चित रूप से सामने आएगी. सत्य कोई मंजिल नहीं है. ये हमारे रात के अनुभव जैसा है सूरज चला नहीं गया है, बात सिर्फ इतनी है कि धरती दूसरी ओर देख रही है. अधिकांश समय, लोग दूसरी ओर देखने में बहुत व्यस्त रहते हैं. उन्होंने यह जानने पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया है कि स्वयं प्राणी वाकई क्या है. योग कोई निष्कर्ष नहीं देता, बल्कि एक बदलाव प्रदान करता है. यदि मानव आबादी का एक खास प्रतिशत भीतर की ओर मुड़ता है, तो निश्चित रूप से दुनिया में जीवन की गुणवत्ता बदल जाएगी. विशेष रूप से यदि यह बदलाव विश्व नेतृत्व के एक वर्ग में होता है, तो दुनिया के काम करने में एक नाटकीय बदलाव आएगा. अंदर की ओर कोई दिशा नहीं है. ये एक आयाम है. अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मानवता के लिए एक गहन आयामी बदलाव की शुरुआत को दर्शाता है. 

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि  …..न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही ज़िम्मेदार है.]

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *