नोएडा में 80-हजार लोगों को फ्लैट की रजिस्ट्री का इंतजार … ED ने मांगी डिटेल

नोएडा में 80-हजार लोगों को फ्लैट की रजिस्ट्री का इंतजार
बिल्डरों ने फ्लैट बुकिंग के नाम पर लिए रुपए, नहीं दिया आशियाना; ED ने मांगी डिटेल

ED ने (प्रवर्तन निदेशालय) लगातार बिल्डर कंपनियों की जानकारी नोएडा प्राधिकरण से मांग रहा है। इसकी बड़ी वजह बायर्स के करोड़ों रुपए का हेरफेर है। नोएडा में करीब 80 हजार फ्लैट बायर्स ऐसे हैं, जिनकों फ्लैट पाने और 30 से 40 हजार फ्लैट बायर्स को रजिस्ट्री का इंतजार है।

इन सभी ने फ्लैट बुकिंग का 95 से 100% तक पैसा बिल्डरों के खाते में जमा करा दिया। यही पैसा अन्य प्रोजेक्ट या अन्य कंपनियों में लगाने का आरोप है। ईडी ने जो जानकारी मांगी है वो मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत मांगी गई है।

ED ने 63 कंपनियों की डिटेल मांगी
शिकायतों के बाद प्रवर्तन निदेशालय अब प्राधिकरण से बिल्डर कंपनियों की जानकारी मांग रहे है। ताकि इन पर शिकंजा कसा जा सके। साथ ही बायर्स को उनका आशियाना दिलाया जा सके। बता दे ईडी ने एटीएस और उससे किसी न किसी रूप में जुड़ी 63 कंपनियों की डिटेल मांगी है।

इससे पहले भी ईडी की जांच के दायरे में आम्रपाली, सुपरटेक, यूनिटेक के अलावा थ्रीसी बिल्डर की परियोजनाएं है। पिछले महीने ही ईडी ने थ्रीसी की लोटस 300 और लोटस बुलेवर्ड को लेकर जानकारी मांगी थी, जिसका संकलन किया जा रहा है।

आए दिन नोएडा और ग्रेनो वेस्ट में बायर्स के प्रदर्शन होते रहते है।
आए दिन नोएडा और ग्रेनो वेस्ट में बायर्स के प्रदर्शन होते रहते है।

2009-10 में हुआ था आवंटन, 14 साल बाद भी नहीं मिले फ्लैट
ईडी ने जिन कंपनियों की जानकारी मांगी है। उनमें से अधिकांश को जमीन आवंटन 2009-10 के बीच किया गया। नियमानुसार प्राधिकरण ने बिल्डर को कुल प्लाट की लागत का 10 प्रतिशत रकम लेकर आवंटन किया। बिल्डरो ने फ्लैट बुकिंग की।

वायदा किया कि 3 से 5 सालों में बायर्स को उनका फ्लैट मिल जाएगा। ऐसा हुआ नहीं बिल्डर को जो पैसा बायर्स ने दिया उसे डायवर्ट किया गया। ये पैसा अन्य कंपनियों में लगाया गया। जिसका जमकर मुनाफा बिल्डरों ने कमाया। 14 साल बाद भी बायर्स को फ्लैट नहीं मिले और अब वो रोजाना प्रदर्शन कर रहे है।

प्रतीकात्मक फोटो।
प्रतीकात्मक फोटो।

करोड़ों रुपए हुए ट्रांसफर, ED खोलेगा परत दर परत
हाल ही में, नोएडा प्राधिकरण ने भी एटीएस ग्रुप सहित 13 बिल्डरों को नोटिस जारी किया। ये सभी बिल्डर परियोजनाएं एनसीएलटी में दिवालिया प्रक्रिया में है। प्राधिकरण ने इनको 15 दिन का समय दिया है, कि क्या वे अपने मामलों को वापस लेना चाहते हैं।

यदि वे मामले वापस लेते है तो उनको राज्य सरकार के पुनर्वास पैकेज का लाभ मिल सकता है। सिर्फ इन 13 बिल्डर परियोजनाओं के ही नोएडा प्राधिकरण पर करीब 8 हजार करोड़ बकाया है। ये पैसा जमीन आवंटन का है। इसी जमीन पर फ्लैट के नाम पर बायर्स से करोड़ों रुपए लिए।

हालांकि प्राधिकरण पर बिल्डर का कुल बकाया 21 हजार करोड़ के आसपास का है। ये पैसा अब तक नहीं मिला। इसलिए ईडी अब प्राधिकरण से बिल्डरों कंपनियों की जानकारी मांग रही है।

इसमें एटीएस होम्स 640.46 करोड़ रुपए , एटीएस इंफ्रा टेक 697.76 करोड़ रुपए, एटीएस हाइट्स 2,129.88 करोड़ रुपए, सुपरटेक रियलटर्स 2,245.81 करोड़ रुपए, सुपरटेक लिमिटेड 815.73 करोड़ रुपए, लॉजिक्स इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड 446.44 करोड़ रुपए , लॉजिक्स सिटी डेवलपर्स 666.80 करोड़ रुपए , थ्री सी 572.51 करोड़ रुपए प्राधिकरण के बकाया है।

नोएडा सेक्टर-6 स्थित प्राधिकरण का प्रशासनिक कार्यालय।
नोएडा सेक्टर-6 स्थित प्राधिकरण का प्रशासनिक कार्यालय।

ED ने 6 बिन्दुओं पर प्राधिकरण से मांगी है जानकारी

  • समूह की किसी भी कंपनी को प्लाट आवंटन का ब्योरा। यह आवंटन बोली दाता के रूप में एकमात्र क्षमता से हुआ या कंसोर्टियम के हिस्से के रूप में
  • समूह कंपनी द्वारा किए गए भुगतान, बकाया और उसमें देरी का विवरण
  • आवंटन की शर्तों के तहत परियोजना के काम में यदि कोई लापरवाही पाई गई हो तो उसकी जानकारी
  • यदि कोई एफआईआर पंजीकृत हुई है तो उसकी पूरी रिपोर्ट
  • क्या कंपनी का आवंटन रद्द किया गया है
  • यदि कंपनी के खिलाफ कोई और एक्शन लिया गया है तो उसकी जानकारी

इन कंपनियों की मांगी ED ने जानकारी
अगोरा स्मार्ट सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड, ऑल एबाउट ईव प्राइवेट लिमिटेड, अल मंड इंफ्राबिल्ड प्राइवेट लिमिटेड, एल्सटोनिया टाउनशिप प्राइवेट लिमिटेड, आनंद डिवाइन डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड, आनंद लाइफ स्पेस डेवलपमेंट एलएलपी, आनंद रुरल बिल्डलाइन एलएलपी, आनंद रुरल बिल्डवर्थ प्राइवेट लिमिटेड, आनंद रुरल सुपरबिल्ड प्राइवेट लिमिटेड आनंद रुरल हाउसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट प्राइवेट लिमिटेड , एटीएस अपार्टमैंट प्राइवेट लिमिटेड, एटीएस बिल्डकॉम प्राइवेट लिमिटेड, एटीएस बिल्डलाइन प्राइवेट लिमिटेड, एटीएस कॉमर्शियल रियल स्टेट प्राइवेट लिमिटेड, एटीएस डेवलपमेंट प्राइवेट लिमिटेड, एटीएस ड्रीम जोन प्राइवेट लिमिटेड, एटीएस एक्जिम लिमिटेड

एटीएस एक्जोटिक होम्स प्राइवेट लिमिटेड, एटीएस एक्सपटिस प्राइवेट लिमिटेड, एटीएस ग्रांड रिएलटर्स प्राइवेट लिमिटेड, एटीएस हेल्थकेयर सर्विस प्राइवेट लिमिटेड, एटीएस हाइट प्राइवेट लिमिटेड, एटीएस हील्स इंफ्राडेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड, एटीएस होम्स प्राइवेट लिमिटेड, एटीउस हाउसिंग प्राइवेट लिमिटेड, एटीएस इंफ्राबिल्ड प्राइवेट लिमिटेड, एटीएस इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड, एटीएस मेंटेनेंस सर्विस प्राइवेट लिमिटेड, एटीएस मेडोस प्राइवेट लिमिटेड, एटीएस निर्मान प्राइवेट लिमिटेड, एटीएस प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड, एटीएस रियल स्टेट बिल्डर प्राइवेट लिमिटेड, एटीएस रिलय वर्थ प्राइवेट लिमिटेड, एटीएस टाउन शिप प्राइवेट लिमिटेड, सिलेरिटी इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड, कल्टीवर कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड, दामली डिजिटल प्राइवेट लिमिटेड, ड्रीमलैंड स्टेट प्राइवेट लिमिटेड, डायनामिक कलोनाइज़र प्राइवेट लिमिटेड, लॉजिक्स सिटी डेवलपर्स, प्रतीक रिसोर्ट एंड बिल्डर प्राइवेट लिमिटेड के अलावा कई और कंपनियों की जानकारी मांगी गई है।

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