उत्तर प्रदेश में रखी गई पहली किन्नर यूनिवर्सिटी की नींव, आएगी 200 करोड़ की लागत

कुशीनगर: महात्मा बुद्ध की परनिर्वाण स्थली कुशीनगर में देश के पहले किन्नर विश्वविद्यालय की नींव रखी गई है. यहां पूरे देश-दुनिया से कहीं के भी किन्नर विद्यार्थियों को प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा मुफ्त मिलेगी. 200 करोड़ की लागत से 50 एकड़ में बनने वाले इस विश्वविद्यालय में किन्नर समाज बढ़- चढ़कर भाग ले रहे हैं. कुशीनगर जिले के कसया तहसील के नकटहा मिश्र गांव में अखिल भारतीय किन्नर (हिजड़ा) शिक्षा सेवा ट्रस्ट द्वारा संचालित होने वाले विश्वविद्यालय में किन्नर समाज के लोग प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा ग्रहण कर सकेंगे.

ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ.कृष्ण मोहन मिश्र ने आईएएनएस को बताया कि इस विश्वविद्यालय पर दो सौ करोड़ रुपये खर्च होंगे. उन्होंने कहा, “इस यूनिवर्सिटी को बनाने में किन्नर समाज की महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी, शबनम मौसी सहित कई लोगों ने हमें मदद का आश्वासन दिया है. इसके बाद मैंने इस ओर कदम बढ़ाया है.”

अगले सत्र से पढ़ाई
पहले चरण में प्राथमिक विद्यालय से शुरुआत होगी. उसके बाद क्रमश: विस्तार करते हुए जूनियर हाईस्कूल, इंटर कॉलेज और फिर विश्वविद्यालय संचालित होगा. सीबएसई बोर्ड के पैटर्न से इसे संचालित किया जाएगा. इसमें अगले सत्र से पढ़ाई शुरू होगी.

भवन निर्माण जनवरी से शुरू होगा
डॉ. मिश्र ने कहा, “इसके लिए हमने दो बच्चों को भी खोज लिया है, जिनको पहले दाखिला दिया जाएगा. अभी इसका शिलान्यास हुआ है. भवन निर्माण जनवरी से शुरू हो जाएगा. इसके बाद दाखिले की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी.”

मदद करने का आश्वासन
उन्होंने बताया कि इसमें कक्षा एक से लेकर पीएचडी तक सभी विषयों की पढ़ाई की व्यवस्था होगी. यह भारत का इकलौता ऐसा संस्थान होगा, जिसमें इस समाज के लोग उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे. केंद्र सरकार ने भी मदद करने का आश्वासन दिया है.

नाच-गाकर अपनी रोजी-रोटी कमा रहे
डॉ. मिश्र ने कहा, “मैंने नारी विमर्श और किन्नर विमर्श पर शोध किया है. इसके बाद मैंने कुछ अलग करने की ठानी. मुझे नजर आया किन्नर समाज के लोग नाच-गाकर अपनी रोजी-रोटी कमा रहे हैं, लेकिन शिक्षा की मुख्यधारा से वंचित हैं.”

सभी ने सहयोग किया
उन्होंने कहा, “शिक्षा के अधिकार के तहत ओबीसी, एससी सभी के लिए पढ़ने की व्यवस्था है, लेकिन किन्नर समाज के लोग भटक रहे हैं. इन्हें शिक्षा की धारा से जोड़ने के लिए मैं लक्ष्मी त्रिपाठी, वर्षा और कई सांसदों से मिला. उनके सामने जब मैंने अपनी बात रखी, तब सभी ने सहयोग किया.”

ढाई लाख किन्नर
डॉ. मिश्र ने बताया कि वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, करीब ढाई लाख किन्नर हैं. जिन छोटे बच्चों को लोग छोड़ जाते हैं, उन्हें यहां पर शिक्षा दी जाएगी. जो बड़े हैं उनके भी पढ़ने की व्यवस्था की जाएगी. इसके लिए टोल फ्री नंबर की व्यवस्था होगी. “भारत ही नहीं, दुनिया के किसी भी देश के किन्नर यहां दाखिला ले सकते हैं. इस पर विचार-विमर्श करने के लिए हमने यूएनओ को भी पत्र लिखा है.”

उन्होंने कहा कि शिक्षा का अधिकार जब सबके लिए है, तब किन्नर ही इससे क्यों वंचित रहें? इसी सोच के साथ इसकी पहल की गई है. यकीनन इससे यह समाज शिक्षित होकर समाज की मुख्यधारा में जुड़ेगा.

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