इंदौर : युग पुरुष धाम में 100 बच्चों की अनुमति, रखे दोगुने !

युग पुरुष धाम में 100 बच्चों की अनुमति, रखे दोगुने
इंदौर में 6 बच्चों की मौत वाले आश्रम की सालाना कमाई सवा करोड़
महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों ने आश्रम का 14 जून को ही निरीक्षण किया था।

इंदौर के पंचकुइयां में मानसिक दिव्यांग युग पुरुष धाम आश्रम के बीमार बच्चों की संख्या बढ़कर 48 पर पहुंच गई है। मंगलवार देर रात तक चाचा नेहरू अस्पताल में 32 बच्चों को एडमिट किया गया था। इनमें से दो बच्चों को हैजा होने की पुष्टि हुई है। बच्चों की मौत और गंभीर रूप से बीमार होने के बाद आश्रम संचालक और यहां की व्यवस्था को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं।

आश्रम में 3 दिन में पांच बच्चों की मौत की उच्चस्तरीय जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। रेगुलर विजिट करने वाले डॉक्टर ने 27 जून को ही बच्चों को उल्टी, दस्त की समस्या बता दी थी। मिर्गी से एक मौत के अलावा, 30 जून की रात को एक और मौत हुई थी, जिसे प्रबंधन ने छिपा लिया।

इसका मतलब है कि यहां 5 नहीं, कुल 6 मौतें हुई हैं। इस मामले में अब जिला प्रशासन ने आश्रम प्रबंधन पर एफआईआर कराने की अनुशंसा कर दी है। प्रारंभिक तौर पर सचिव तुलसीराम शादीजा पर केस दर्ज किया जाएगा।

दैनिक भास्कर के सूत्रों के मुताबिक, किसी भी मानसिक दिव्यांग आश्रम की नियमावली के अनुसार यहां व्यवस्थाएं नहीं हैं। प्राइमरी जांच में पानी और भोजन में गड़बड़ी सामने आई है। इसी कारण बच्चों की तबीयत खराब हुई।

डॉक्टर बोले- दूषित भोजन और खराब पानी से बीमार हुए बच्चे

बुधवार को मिली जांच रिपोर्ट में पांच बच्चों की मौत की वजह हैजा (कालरा) बताई गई है। हैजा आमतौर पर दूषित भोजन और पानी से होता है। कुछ बच्चों में एनीमिया भी पाया गया। जांच टीम ने माना कि आश्रम में मिस-मैनेजमेंट है। कलेक्टर आशीष सिंह ने कहा, इतनी बड़ी घटना को छुपाना गलत है। समय पर सूचना मिलती तो अन्य बच्चे परेशान न होते। सचिव पर एफआईआर करवाई जाएगी।

बुधवार दोपहर तक 15 बच्चों की ब्लड रिपोर्ट मिली। पांच-छह बच्चों में एनीमिया मिला है, बाकी सभी में क्रिएटिनिन का स्तर बढ़ा हुआ था। शिशु रोग विशेषज्ञों के अनुसार डिहाइड्रेशन के मामलों में किडनी पर असर पड़ता है, जिससे क्रिएटिनिन बढ़ा हुआ आता है। बच्चे दूषित भोजन और खराब पानी पीने के कारण ही बीमार हुए हैं। आश्रम में पानी और खाने की व्यवस्था अब बाहरी एजेंसी से करवाई गई है।

पांच पॉइंट में जानिए आश्रम में क्या-क्या गड़बड़ियां मिलीं…

  • बच्चों को रखने की कैपेसिटी सवालों के घेरे में : …..महिला व बाल विकास अधिकारी रामनिवास बुधौलिया ने कहा कि आश्रम में 100 बच्चे (50- बालक, 50-बालिका) रखने की अनुमति है। कुछ समय पहले और 100 बच्चों के लिए शासन को प्रपोजल देकर अनुमति मांगी गई है। वहीं मंगलवार को आश्रम संचालिका अनीता शर्मा ने कहा था कि हमारे पास 200 बच्चों को रखने की अनुमति है। जबकि मंगलवार को ही आश्रम में संचालिका द्वारा बताई गई क्षमता से भी 6 बच्चे ज्यादा थे।
  • एक कमरे में 20 से 25 बच्चे : मानसिक दिव्यांग आश्रम की गाइडलाइन के मुताबिक जगह खुली और हवादार होनी चाहिए। युग पुरुष धाम की बिल्डिंग में गाइडलाइन के मुताबिक व्यवस्था नहीं मिली। वहां मौजूद बच्चों की संख्या के मुताबिक जगह कम है। गाइडलाइन के मुताबिक एक हॉल या कमरे में अधिकतम 10-12 बच्चों को रखा जान चाहिए, लेकिन यहां दुगुनी संख्या में बच्चों को रखा जा रहा था। अचानक मौसम बदलने से बच्चों को प्रॉपर वेन्टिलेशन नहीं मिल सका।
  • वॉशरूम, डाइनिंग हॉल और गार्डन नदारद : आश्रम में वॉशरूम और डाइनिंग हॉल की पर्याप्त व्यवस्था नहीं मिली। मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चों को योग करने और बेसिक चलने फिरने के लिए छोटा गार्डन या खुली जगह होनी चाहिए। लेकिन इस आश्रम में बच्चों को बिल्डिंग की पहली और दूसरी मंजिल में रखा जा रहा था। आश्रम संचालिका ने योग व्यायाम के लिए छत में खुली जगह होने की बात कही। लेकिन इन बच्चों के लिए सीढ़ियां चढ़ना-उतरना कठिन है।
  • 20 बच्चों पर एक केयर टेकर : मानसिक दिव्यांग बच्चों की देखरेख के लिए आश्रम में केयर टेकर की कमी है। नियमानुसार 5 बच्चों पर एक केयर टेकर होना जरूरी है, लेकिन आश्रम में 15-20 बच्चों पर एक केयर टेकर रखा गया है।
  • खाने पीने के सामान से फूड पॉइजनिंग की आशंका : नाम न छापने की शर्त पर आश्रम से जुड़े एक कर्मचारी ने बताया कि खाने पीने का सामान खुले में पड़े होने से बच्चों को संभवत: फूड पॉइजनिंग हुई है। मौके पर सैंपल लेने और जांच करने पहुंची टीम को भी राशन और नाश्ते का सामान खुले में रखा मिला था। साथ ही किचन के आसपास गंदगी भी पाई गई है। छोटी-छोटी बातों पर कई बार बच्चों के साथ दुर्व्यवहार भी किया जाता है। लेकिन वो तो न बोल सकते हैं न जता पाते हैं।
2 जुलाई को तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर बच्चों को चाचा नेहरू अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
2 जुलाई को तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर बच्चों को चाचा नेहरू अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

बच्चों की मेडिकल हिस्ट्री तक नहीं

जानकारी के मुताबिक कई बच्चों को मानसिक दिव्यांग होने के चलते उनके पेरेंट्स आश्रम छोड़ जाते हैं। ये बच्चे कई तरह की छोटी-छोटी बीमारियों से ग्रसित होते हैं। जिनकी जानकारी एडमिशन के वक्त पेरेंट्स आश्रम प्रबंधक से साझा नहीं करते। इस घटना में भी कई बच्चे ऐसे हैं, जिन्हें स्वयं उनके पेरेंट्स यहां छोड़ कर गए हैं। लेकिन उनकी मेडिकल हिस्ट्री नहीं होने के चलते तबीयत खराब होने पर सही उपचार नहीं मिल पाता।

सालाना सवा करोड़ का बजट

इस आश्रम के लिए विभाग की ओर से बच्चों की संख्या के आधार पर सालाना 60 से 80 लाख रुपए स्वीकृत किए जाते हैं। जो प्रति बच्चा 3 हजार रुपए प्रति माह के आसपास होता है। यह राशि संस्थान को अलग-अलग किश्तों में जारी की जाती है। इस वर्ष की राशि करीब 2-3 हफ्ते पहले ही जारी की गई है। वहीं दूसरे दान और हॉस्पिटल से होने वाली आय को भी जोड़ा जाए तो यह राशि करीब सवा करोड़ के आसपास होती है।

जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी रामनिवास बुधौलिया ने बताया कि विभाग द्वारा हर तीन महीने में आश्रम का निरीक्षण किया जाता है। युग पुरुष धाम आश्रम का आखिरी बार 14 जून को निरीक्षण किया गया था। इस दौरान आश्रम में बच्चों से जुड़ी हर गतिविधि को बारीकी से देखा जाता है। जिसमें बच्चों के खानपान, उनकी पुरानी रिपोर्ट, दवाइयां और कैंपस में लगे CCTV को देखने के साथ ही स्टाफ से भी पूछताछ होती है।

एसडीएम निधि वर्मा ने बताया कि आश्रम ओवरलोड था। फिलहाल हम बच्चों को रेस्क्यू और उनकी सभी जांच को लेकर जुटे हुए हैं। महिला बाल विकास की ओर से बच्चों को रखने की आश्रम की कैपेसिटी को लेकर जानकारी नहीं मिली है।

आश्रम संचालिका के मुताबिक यहां 200 बच्चों को रखने की कैपेसिटी है। मंगलवार को 206 बच्चों की एंट्री दिखाई गई, जबकि वहां मौजूद लोगों के मुताबिक करीब सवा 200 से अधिक बच्चे आश्रम में मौजूद थे।
आश्रम संचालिका के मुताबिक यहां 200 बच्चों को रखने की कैपेसिटी है। मंगलवार को 206 बच्चों की एंट्री दिखाई गई, जबकि वहां मौजूद लोगों के मुताबिक करीब सवा 200 से अधिक बच्चे आश्रम में मौजूद थे।

पहली मौत की वजह मिर्गी को मान लिया

इंदौर के पंचकुइयां स्थित मानसिक दिव्यांग युग पुरुष धाम के कई बच्चों की 29-30 जून की दरमियानी रात से तबीयत बिगड़ गई। जांच में एक बच्चे को फूड पॉइजनिंग और ब्लड इन्फेक्शन की बात सामने आई। इसके बाद 30 जून को हुई पहली मौत की वजह संस्था ने मिर्गी को मान लिया और प्रशासन को सूचना नहीं दी। जिसके बाद 24 घंटे में एक के बाद एक 2 मौतें और हो गईं।

स्थिति गंभीर होने पर आश्रम संचालिका ने प्रशासन को पत्र लिख करीब 12 बच्चों को ब्लड इन्फेक्शन होने की बात कही। सूचना देने के बाद आनन फानन में आश्रम में मौजूद बच्चों को हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। आश्रम प्रबंधन ने शुरुआती दो दिन के घटनाक्रम की जानकारी छिपाई। नतीजा ये रहा कि 48 घंटे के अंदर ही 2 और बच्चों की जान चली गई।​​​​​​

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