पं. प्रदीप मिश्रा की कथा में कैसे इंतजाम !
पं. प्रदीप मिश्रा की कथा में कैसे इंतजाम
विदिशा में पंडाल की हालात ऐसी कि सहारा देने क्रेन लगाना पड़ी; न फायर ब्रिगेड, न एंबुलेंस
विदिशा-सागर बायपास पर गिरधर कॉलोनी के खाली प्लॉट पर 1 लाख वर्ग मीटर का पंडाल लगा है। खचाखच भरे पंडाल में चारों तरफ कीचड़ और बारिश का पानी है। इसी कीचड़ में लोग बैठे हुए हैं। इस पंडाल में सीहोर के पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा हो रही है।
विवादों के बाद भी पंडित प्रदीप मिश्रा के लिए लोगों की दीवानगी कम नहीं हुई है। विदिशा में यह बात एक बार फिर तब साबित हुई जब हजारों लोग कीचड़ में बैठकर उनकी कथा सुनते रहे। तेज बरसात के बाद भी कथा सुनने आए लोगों को पंडित प्रदीप मिश्रा ने सच्चे शिव भक्त कहा। रविवार को पंडित प्रदीप मिश्रा Pandit Pradeep Mishra की शिव महा पुराण के पहले दिन भी हजारों लोगों ने बारिश में भीगते हुए कथा सुनी थी।
सात दिन तक चलने वाली कथा के चौथे दिन ही इसकी समाप्ति की घोषणा हो गई थी। खुद पंडित प्रदीप मिश्रा ने व्यास पीठ से कहा था, ‘पिछले 4 दिन से हो रही बारिश की वजह से कथा स्थल के आसपास अव्यवस्था हो गई है। पानी भरा हुआ है। कीचड़ हो रहा है। जिसकी वजह से भक्तों को परेशानी हो रही है। यूपी के हाथरस जैसी अप्रिय घटना न हो इसलिए कथा खत्म की जाती है।’
इस घोषणा के बाद आयोजकों ने कैबिनेट मंत्री प्रह्लाद पटेल से संपर्क किया। उनके दखल के बाद अब कथा 6 जुलाई तक होगी।
हाथरस हादसे के बाद धार्मिक आयोजन में सुरक्षा व्यवस्था और इंतजाम को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। कथा, सत्संग जैसे आयोजन को प्रशासन अनुमति देता है, मगर व्यवस्थाओं को बनाना किसकी जिम्मेदारी है? आयोजन समिति की या फिर प्रशासन की? कथा स्थल पर किस तरह के इंतजाम हैं..
….. ने आयोजन समिति और प्रशासन से भी बात की। साथ ही लोगों से समझा कि इस अव्यवस्था को लेकर वे किसे जिम्मेदार मानते हैं.
इन पांच पॉइंट्स पर की व्यवस्थाओं की पड़ताल
1. कथा की परमिशन
2. क्राउड मैनेजमेंट
3. आग बुझाने के इंतजाम
4. पुलिस और प्रशासन की व्यवस्था
5. इमरजेंसी इंतजाम
1. कथा की अनुमति : पंडाल की क्षमता 80 हजार, कथा सुनने पहुंच रहे एक लाख से ज्यादा लोग
पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा का आयोजन 30 जून से 7 जुलाई तक पहले मंडी परिसर में होना था। समिति के सदस्यों का कहना है कि कलेक्टर ने अनुमति भी दे दी थी, लेकिन बाद में किसानों की उपज खरीदी का हवाला देकर इसकी अनुमति निरस्त कर दी। इसके बाद आयोजन समिति ने सागर बायपास से जुड़े गिरधर कॉलोनी के खाली प्लॉट पर कथा कराने का निर्णय लिया।
यहां 1 लाख वर्गफीट में पंडाल बना है। जिसमें छह गेट हैं। एक गेट वीआईपी एंट्री का है। बाकी पांच गेट आम श्रद्धालुओं के लिए बनाए गए हैं। कथा में पहुंचने वाली भीड़ की कितनी अनुमति ली गई है, इस बाबत आयोजन समिति और जिला प्रशासन साफ कुछ नहीं कहता।
100 वर्गफीट चौड़ाई और 10 हजार वर्गफीट लंबाई में बने पंडाल में 80 हजार लोगों के बैठने की क्षमता है। मगर यहां 1 लाख से ज्यादा लोग पहुंच रहे हैं।
वाटर प्रूफ पंडाल, फिर भी पानी भरा
पहले दिन ही पंडित प्रदीप की कथा सुनने के लिए हजारों श्रद्धालु आए थे। हाल यह था कि दोपहर 1 बजे के पहले ही पंडाल खचाखच भर गया था। इसके बाद पंडाल के बाहर भी लोगों की भीड़ नजर आई।
दोपहर 3 बजे तक कथा सुनने पहुंचे भक्तों के लिए जगह ही नहीं बची। पंडाल में जितने लोग बैठे थे, उससे चार गुना ज्यादा पंडाल से बाहर थे। इसके बाद गेट पर एंट्री बंद कर दी गई थी। इस वजह से हजारों लोग सड़कों पर बैठे रहे।
पहले दिन तो सब कुछ ठीक रहा। सोमवार से हालात बिगड़ते चले गए। पंडाल को वाटर-प्रूफ तैयार किया गया था, पर तेज बारिश के बाद पूरे परिसर में बारिश का पानी दाखिल हो गया। इसके चलते पूरा परिसर कीचड़ में तब्दील हो गया है।
आयोजन समिति ने पंडाल के चारों ओर बारिश की पानी के निकासी के लिए नाली खोद दी है। पंडाल तक आरसीसी रोड है, लेकिन पंडाल में लोगों को रोड से डेढ़ से दो फीट नीचे उतरना पड़ रहा है। बुधवार को इसी कीचड़ में लोग खड़े होकर और प्लास्टिक की बोरी बिछाकर कथा सुनते रहे।
2. क्राउड मैनेजमेंट : भीड़ संभालने 250 वॉलंटियर्स तैनात लेकिन ये संख्या नाकाफी
आयोजन समिति की ओर से 250 वॉलेंटियर्स तैनात किए गए हैं। जिस तरह से कथा स्थल पर लोगों की भीड़ पहुंच रही है, उसे देखते हुए वॉलेंटियर्स की संख्या नाकाफी है। रोजाना एक लाख की भीड़ पहुंच रही है तो इस हिसाब से 400 लोगों पर एक वॉलेंटियर है।
भगदड़ जैसी स्थिति में एक व्यक्ति के सहारे इतने लोगों को कंट्रोल नहीं किया जा सकता है। दूसरा जो वॉलेंटियर तैनात हैं वो क्राउड मैनेजमेंट के लिए प्रशिक्षित नहीं है। कुछ वॉलेंटियर्स सीहोर के कुबेरेश्वर धाम से भी पहुंचे हैं, वे जरूर इस तरह की भीड़ का सामना कर चुके हैं। लेकिन उनका फोकस पंडित प्रदीप मिश्रा की सुरक्षा व्यवस्था पर ज्यादा होता है।
3.आग बुझाने के इंतजाम : न पंडाल में अग्निशमन यंत्र, न मौके पर फायर ब्रिगेड
भास्कर की टीम को पूरे पंडाल में अग्निशमन यंत्र नहीं दिखे। फायर बिग्रेड की गाड़ी भी मौके पर नहीं दिखी। जबकि बुधवार को व्यास पीठ के लिए मंच से सटे साउंड सिस्टम के लिए बिछाई गई बिजली के तारों में शॉर्ट-सर्किट से थोड़े समय के लिए लोग घबरा गए थे।
पूरे पंडाल में बिजली के तार कीचड़ और पानी में डूबे दिखे। इससे करंट फैलने के खतरे से इनकार नहीं किया जा सकता है।
4. प्रशासन के इंतजाम : कथास्थल पर 500 पुलिसकर्मी, भारी वाहनों पर रोक
एसपी दीपक शुक्ला के मुताबिक कथा स्थल पर पर्याप्त पुलिस बल तैनात किया गया है। संख्या का उन्होंने खुलासा नहीं किया। कथा स्थल पर तैनात कुछ पुलिस कर्मियों से बात कर जानने की कोशिश की, तो मालूम चला कि 500 के लगभग पुलिस कर्मी यहां तैनात है।
इसमें शहर का ट्रैफिक संभालने से लेकर बायपास पर वाहनों की एंट्री रोकने और कथास्थल पर भीड़ को संभालने वाले पुलिसकर्मी शामिल हैं। सागर बायपास के दोनों ओर से तीन-तीन लेयर पर नाकाबंदी की गई है।
5. इमरजेंसी इंतजाम : अस्थाई कंट्रोल रूम बनाया, एम्बुलेंस की भी व्यवस्था
कथास्थल पर एक अस्थाई कंट्रोल रूम बनाया गया है। यहीं पर एसडीएम या सीएसपी मुआयना के दौरान बैठते हैं। सांची से आने वाले वाहनों को सागर बायपास के तिराहे पर ही डायवर्ट कर दिया गया है। जबकि बड़े वाहनों को रायसेन-सांची के बीच में ही रोक दिया जा रहा है।
इन वाहनों का कथा समाप्त होने और भीड़ छंटने पर प्रवेश कराया जा रहा है। सिर्फ वीआईपी वाहन और आयोजन समिति से जुड़े लोगों के वाहन ही कथास्थल तक जा पा रहे थे। इन वाहनों को सागर बायपास पर रोड किनारे पार्क कराया जा रहा था। बाइक के लिए भी इसी तरह की पार्किंग बनी थी। साथ ही कथा स्थल पर एम्बुलेंस भी मौजूद है।
अब जानिए, कथा क्यों निरस्त हुई और फिर कैसे शुरू हुई
समिति के सदस्यों के मुताबिक हाथरस हादसे के बाद से विदिशा कलेक्टर व एसपी लगातार आयोजन समिति से जुड़े लोगों पर कथा समाप्त कराने की कोशिश में जुट गए थे। उन्होंने कथा स्थल पर फैली अव्यवस्था का भी हवाला दिया।
रोज यहां दोपहर एक से शाम 4 बजे तक कथा का आयोजन हो रहा है। बुधवार 3 जुलाई को प्रदीप मिश्रा इसी ऊहापोह की हालत में डेढ़ बजे के लगभग पहुंचे थे। आयोजन समिति भी कथा कराने और निरस्त कराने को लेकर चिंतित थी। समिति में शामिल लोगों का कहना था ये प्रशासन द्वारा जानबूझकर अड़ंगा लगाने की कोशिश की जा रही थी।
बारिश और हाथरस हादसे के बाद सुबह से ही माहौल बनाया जाने लगा कि कथा निरस्त होगी। यहां तक कि सागर बायपास पर कई लोगों को बीच रास्ते से ही लौटा दिया गया। पंडित प्रदीप मिश्रा कथा करने पहुंचे और उन्होंने कथा समाप्ति की घोषणा कर दी।
आयोजन समिति ने कैबिनेट मंत्री प्रह्लाद पटेल से संपर्क किया
जैसे ही पंडित मिश्रा ने कथा समाप्ति की घोषणा की आयोजन समिति कथा लगातार जारी रखने के प्रयास में जुट गई। ये सूचना कैबिनेट मंत्री प्रह्लाद पटेल तक पहुंचाई गई। वे खुद 2 जुलाई को कथा स्थल पर पहुंचे थे। तीन जुलाई को विधानसभा बजट पेश करने के बाद कैबिनेट मीटिंग हुई।
सूत्र बताते हैं कि इस मीटिंग में प्रह्लाद पटेल ने ये मामला उठाया। इसके बाद कलेक्टर बीके वैद्य-एसपी दीपक शुक्ला पर को आयोजन स्थल पर पर्याप्त व्यवस्था कराने के निर्देश देते हुए कथा पूरे 7 दिन कराने के लिए कहा गया। शाम 4 बजे प्रदीप मिश्रा ने खुद इसकी घोषणा की कि भक्तों के अथाह प्रेम और समर्पण को देखते हुए कथा 6 जुलाई को ही समाप्त होगी।
कथा के पंडाल को संभालने के लिए प्रशासन ने लगाई क्रेन
अब दोबारा कथा शुरू हो गई है, प्रशासन को कथा स्थल पर इंतजाम के निर्देश दिए गए है, लिहाजा प्रशासन ने क्रेन के जरिए पंडाल को सपोर्ट दिया है। ताकि तेज बारिश और हवा में पंडाल न उड़े और व्यवस्थाएं न चरमराए।
भास्कर से बातचीत में कलेक्टर बीके वैद्य ने कहा कि पहले दिन से ही प्रशासन ने आयोजकों का सहयोग किया है। जहां पंडाल लगा था वहां सुरक्षा व्यवस्था और बाकी इंतजाम देखने के लिए अधिकारी वहां पहुंचे थे। आयोजन समिति ने जो सुविधाएं मांगी थी उन्हें प्रशासन ने पूरा किया है। बारिश की वजह से अव्यवस्था हुई है, मगर अब व्यवस्थाएं दुरुस्त की गई है। समिति के लोगों ने भी कहा कि प्रशासन ने अब व्यवस्थाएं बेहतर की है।